मुरैना। पूरे देश में महिला सशक्तिकरण करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. महिला दिवस पर आपको कई ऐसी महिलाओं के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलेगा. जिन्होंने अपनी जिद और हौसले से अपनी या लोगों की जिंदगी बदली होगी. इसी कड़ी में आज हम आपको चंबल अंचल के एक छोटे से गांव की उन महिलाओं से मिलवायेंगे. जिन्होंने जिद की और अपने साथ पूरे गांव की तस्वीर को ही बदल कर रख दिया. ये उस समय बड़ी बात होती है, जब यह इलाका चंबल का हो, जहां पर कभी बेटियों को अभिशाप माना जाता था.
महिलओं के संगठन ने बदली गांव की तस्वीर
ये हैं मुरैना जिले का उमरिया पूरा गांव. मुरैना से 25 किलोमीटर दूर पड़ने वाला ये गांव कभी शराब और शराबियों का अड्डा माना जाता था. आए दिन शराब पीकर महिलाओं के साथ मारपीट की घटना तो जैसे आम बात थी. लगभग 8 साल पहले सामाजिक कार्यकर्ता ने महिलाओं को समझाने और उन्हें जागरूक करने का सिलसिला शुरू किया. धीरे-धीरे इस प्रयास का असर हुआ और पूरे गांव को ना सिर्फ शराब से मुक्ति मिली. बल्कि पाई पाई को मोहताज महिलाओं ने ही अपना संगठन बनाकर दूध का कारोबार शुरू कर दिया.
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शराबी पतियों को सुधारा
कल तक जो महिलाएं बात करने से डरती थीं. आज वो खुलकर अपनी बात रखती हैं. यहां तक कि बेटी बचाओ को लेकर यहां की बच्चियां पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मिल चुकी हैं. वहीं शराबी पतियों से परेशान महिलाओं ने पहले तो पतियों को थाने में बंद कराना शुरू किया. फिर उसके बाद शराब कारोबारियों की गाड़ियां तोड़ी, तब जाकर ये पूरे गांव को शराब से मुक्ति मिली. फिर महिलाओं ने मिलकर गांव में दूध का कारोबार शुरू किया. जिसके चलते आज पैसे भी आ रहे हैं. बच्चे पढ़ रहे हैं और उनके शराबी पति भी अब सुधरकर उनके काम में सहयोग कर रहे हैं.
बच्चे भी खुश
कहावत है कि अगर ठान लो कुछ भी नामुमकिन नहीं है. उमरिया पुरा की महिलाओं ने ये साबित कर दिया है,चंबल अंचल की तस्वीर बदल रही है. उमरिया पूरा एक उदाहरण है, उन गांव की सभी महिलाओं के लिए जो इस तरह से पीड़ित हैं.