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आत्मनिर्भर बनती महिलाएं, हर माह कमा रही तीन हजार रुपए

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Published : Mar 15, 2021, 11:14 AM IST

मुरैना जिले में महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने का अभियान छेड़ा है. अब वह झाड़ू की बिक्री कर हर माह तीन हजार रुपए कमाती है.

Self reliant women
आत्मनिर्भर बनती महिलाएं

मुरैना। रोजगार बड़ी समस्या है, लेकिन इसके निदान के भी रास्ते हैं. बशर्ते इच्छाशक्ति और लगन हों. ऐसा ही कुछ अंबाह के गोठ गांव की महिलाओं ने कर दिखाया है. उन्होंने झाड़ू के जरिए आत्मनिर्भर बनने का अभियान छेड़ा है. अब इन महिलाओं की हर माह तीन हजार रुपए तक की आमदनी होने लगी है.

महिलाओं ने पहले पैसा जोड़ा और फिर मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से उन्हें सहायता मिली. उसके बाद उन्होंने झाड़ू बनाने का काम शुरू किया. अब उनकी जिंदगी ही बदलने लगी है.

एक लाख रुपए समूह को मिले
माया आजीविका स्व-सहायता समूह गोठ की अध्यक्ष अल्पना तोमर ने बताया कि वर्ष 2019 में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से समूह का गठन किया गया था. समूह में प्रति सप्ताह सभी महिलाओं से 10-10 रुपए एकत्रित कर बैंक में 10 हजार 200 रुपए की राशि एक साल जमा कर दी. इसके बाद मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा रिवॉलबिंग फंड के रूप में प्रति महिला के 10 हजार रुपये के मान से एक लाख रुपए समूह को मिले. इसके अलावा 50 हजार रुपए की सहायता समूह को और मिली.

लॉकडाउन में 450 महिलाओं को सशक्त कर रहा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन


बाजार में होने लगी बिक्री
अल्पना तोमर बताती हैं कि इस प्रकार समूह के पास एक लाख 50 हजार रुपए की आय एकत्रित हुई. समूह को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिलाए गए, जिसमें माया आजीविका स्व-सहायता समूह ने झाड़ू बनाने का उद्योग अपने लिए चयन किया. समूह की सभी महिलाओं ने इंदौर से झाड़ू बनाने का सामान क्रय किया. धीरे-धीरे झाड़ू उद्योग प्रारंभ कर दिया. झाड़ू की बिक्री स्थानीय स्तर से बाजार में भी होने लगी.

स्व-सहायता समूह की महिलाओं को प्रति झाड़ू चार रुपए के हिसाब से शुद्ध आय समूह को मिलने लगी. धीरे-धीरे समूह की महिलाओं को रोजगार मिलने लगा. प्रति महिला को तीन हजार रुपए मासिक आय प्रारंभ होने लगी.

मुरैना। रोजगार बड़ी समस्या है, लेकिन इसके निदान के भी रास्ते हैं. बशर्ते इच्छाशक्ति और लगन हों. ऐसा ही कुछ अंबाह के गोठ गांव की महिलाओं ने कर दिखाया है. उन्होंने झाड़ू के जरिए आत्मनिर्भर बनने का अभियान छेड़ा है. अब इन महिलाओं की हर माह तीन हजार रुपए तक की आमदनी होने लगी है.

महिलाओं ने पहले पैसा जोड़ा और फिर मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से उन्हें सहायता मिली. उसके बाद उन्होंने झाड़ू बनाने का काम शुरू किया. अब उनकी जिंदगी ही बदलने लगी है.

एक लाख रुपए समूह को मिले
माया आजीविका स्व-सहायता समूह गोठ की अध्यक्ष अल्पना तोमर ने बताया कि वर्ष 2019 में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से समूह का गठन किया गया था. समूह में प्रति सप्ताह सभी महिलाओं से 10-10 रुपए एकत्रित कर बैंक में 10 हजार 200 रुपए की राशि एक साल जमा कर दी. इसके बाद मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा रिवॉलबिंग फंड के रूप में प्रति महिला के 10 हजार रुपये के मान से एक लाख रुपए समूह को मिले. इसके अलावा 50 हजार रुपए की सहायता समूह को और मिली.

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बाजार में होने लगी बिक्री
अल्पना तोमर बताती हैं कि इस प्रकार समूह के पास एक लाख 50 हजार रुपए की आय एकत्रित हुई. समूह को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिलाए गए, जिसमें माया आजीविका स्व-सहायता समूह ने झाड़ू बनाने का उद्योग अपने लिए चयन किया. समूह की सभी महिलाओं ने इंदौर से झाड़ू बनाने का सामान क्रय किया. धीरे-धीरे झाड़ू उद्योग प्रारंभ कर दिया. झाड़ू की बिक्री स्थानीय स्तर से बाजार में भी होने लगी.

स्व-सहायता समूह की महिलाओं को प्रति झाड़ू चार रुपए के हिसाब से शुद्ध आय समूह को मिलने लगी. धीरे-धीरे समूह की महिलाओं को रोजगार मिलने लगा. प्रति महिला को तीन हजार रुपए मासिक आय प्रारंभ होने लगी.

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