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मुरैना में 10 मीटर नीचे गिरा भूजल स्तर, शहर में 250 फीट, तो गांव मे 400 फीट की गहराई में मिलता है पानी

पिछले एक दशक में मुरैना का जलस्तर 10 से 12 मीटर नीचे जा चुका है, इसलिए कहीं हैंड पंप या नलकूप खनन के दौरान 250 फीट तो कहीं 4 सौ फीट तक खुदाई करनी पड़ रही है.

10 मीटर नीचे गिरा भूजल स्तर
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Published : Jun 7, 2019, 6:03 PM IST

मुरैना। पिछले एक दशक में जिले का जलस्तर लगभग 10 मीटर से अधिक नीचे गिर गया. जिससे हैंडपंप से पानी आना तो बंद हो गए हैं इसके साथ ही नदियां-तालाब भी सूखने लगी है. जिसके चलते लोगों के साथ ही पशु पक्षियों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. लिहाजा ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं और लोगों को पानी के लिए कोसों दूर भटकना पड़ रहा है. इसके बावजूद प्रशासन कोई इंतजाम नहीं कर रहा है.

मानसून आने में अभी 20 से 25 दिन का समय लगेगा, लेकिन इस समय अंचल की क्वारी नदी, आसन नदी और सांक नदी जगह-जगह सूखने लगी हैं जिससे इन नदियों के किनारे बसे लगभग 400 गांव पानी के संकट से जूझ रहे हैं. इन गांव के मवेशी और पशु पक्षी सभी प्यास बुझाने के लिए कोसों दूर तक भटकने को मजबूर हैं. पिछले एक दशक में यहां का जलस्तर 10 से 12 मीटर नीचे जा चुका है, इसलिए कहीं हैंड पंप या नलकूप खनन के दौरान 250 फीट तो कहीं 4 सौ फीट तक खुदाई करनी पड़ रही है.

10 मीटर नीचे गिरा भूजल स्तर

जिले के सबलगढ़ और पहाड़ गढ़ विकासखंड में जलस्तर 2 सौ से 3 सौ फ़ीट की गहराई तक है, तो कहीं यह 4 सौ फीट तक पहुंच गया है. प्रशासन द्वारा हर वर्ष नीचे गिरते जल स्तर को रोकने के लिए कार्य योजना तैयार की जाती है और तमाम स्टॉप डैम बनवाए जाते हैं, तालाब के निर्माण कराए जाते हैं तो जल स्रोत संजोए रखने के लिए वाटर रिसोर्स सिस्टम के तहत सोख्ता गड्ढा भी बनाए जाते हैं, लेकिन आज तक इन सभी प्रयासों का कोई परिणाम सामने नहीं आया और जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है.

मुरैना। पिछले एक दशक में जिले का जलस्तर लगभग 10 मीटर से अधिक नीचे गिर गया. जिससे हैंडपंप से पानी आना तो बंद हो गए हैं इसके साथ ही नदियां-तालाब भी सूखने लगी है. जिसके चलते लोगों के साथ ही पशु पक्षियों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. लिहाजा ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं और लोगों को पानी के लिए कोसों दूर भटकना पड़ रहा है. इसके बावजूद प्रशासन कोई इंतजाम नहीं कर रहा है.

मानसून आने में अभी 20 से 25 दिन का समय लगेगा, लेकिन इस समय अंचल की क्वारी नदी, आसन नदी और सांक नदी जगह-जगह सूखने लगी हैं जिससे इन नदियों के किनारे बसे लगभग 400 गांव पानी के संकट से जूझ रहे हैं. इन गांव के मवेशी और पशु पक्षी सभी प्यास बुझाने के लिए कोसों दूर तक भटकने को मजबूर हैं. पिछले एक दशक में यहां का जलस्तर 10 से 12 मीटर नीचे जा चुका है, इसलिए कहीं हैंड पंप या नलकूप खनन के दौरान 250 फीट तो कहीं 4 सौ फीट तक खुदाई करनी पड़ रही है.

10 मीटर नीचे गिरा भूजल स्तर

जिले के सबलगढ़ और पहाड़ गढ़ विकासखंड में जलस्तर 2 सौ से 3 सौ फ़ीट की गहराई तक है, तो कहीं यह 4 सौ फीट तक पहुंच गया है. प्रशासन द्वारा हर वर्ष नीचे गिरते जल स्तर को रोकने के लिए कार्य योजना तैयार की जाती है और तमाम स्टॉप डैम बनवाए जाते हैं, तालाब के निर्माण कराए जाते हैं तो जल स्रोत संजोए रखने के लिए वाटर रिसोर्स सिस्टम के तहत सोख्ता गड्ढा भी बनाए जाते हैं, लेकिन आज तक इन सभी प्रयासों का कोई परिणाम सामने नहीं आया और जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है.

Intro:लगातार घटते वृक्षों के कारण बढ़ते तापमान और कम होती वर्षा का परिणाम है कि अंचल में जल स्तर गहराता जा रहा है । पिछले एक दशक में लगभग 10 मीटर से अधिक जल स्तर नीचे चला गया । जिससे हैंड पंप पानी देना बंद कर गए तो ताल-तलैया और छोटी-छोटी नदियां सूखने लगी परिणाम स्वरूप ना नदी किनारे बसे लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी मिल रहा है और ना ही पशु पक्षियों के इस भीषण गर्मी में पेय जल एवं आश्रय का कोई ठिकाना बचा है , लिहाजा ग्रामीण क्षेत्र में आवारा पशुओं को पानी पीने के लिए कोसों दूर भटकना पड़ता है प्रशासन द्वारा किए जा रहे सारे इंतजाम महज कागजी घोड़े साबित होकर फाइलों तक सीमित रह गए ।


Body:बरसात आने में अभी 20 से 25 दिन का समय और लगेगा लेकिन इस समय अंचल की क्वारी नदी ,आसन नदी और सांक नदी जगह-जगह सूखने लगी हैं जिससे इन नदियों के किनारे बसे लगभग 400 गांव पानी के संकट से जूझ रहे हैं ।इन गांव की मवेशी और पशु पक्षी सभी प्यास बुझाने के लिए कोसों दूर तक भटकने को मजबूर हैं । पिछले एक दशक में यहां का जलस्तर 10 से 12 मीटर नीचे जा चुका है । इसलिए कहीं हेण्डपम्प या नलकूप खनन के दौरान 250 फीट गहरे में पानी मिलता है तो कहीं 400 फीट तक खुदाई करनी होती है । प्रशासन द्वारा हर वर्ष नीचे गिरते जल स्तर को रोकने के लिए कार्य योजना तैयार की जाती है और तमाम स्टॉप डैम बनवाए जाते हैं , तालाब के निर्माण कराए जाते हैं तो जल स्रोत संजोए रखने के लिए वाटर रिसोर्स सिस्टम के तहत सोख्ता गड्ढा भी बनाए जाते हैं लेकिन आज तक इन सभी प्रयासों का कोई परिणाम सामने नहीं आया और जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा हेब।


Conclusion:जिले के सबलगढ़ और पहाड़ गढ़ विकासखंड में जलस्तर 200 से 300 फ़ीट की गहराई तक है तो कहीं कहीं यह 400 फ़ीट तक पहुंच गया है । जो आने वाले समय के लिए बड़ी चिंता और परेशानी का विषय है। इसे ध्यान में रखकर जिला प्रशासन ने इस बार फिर एक कार्य योजना तैयार की है और सभी सभी छोटी नदियों पर जगह-जगह स्टॉपडेम बनाकर जल स्रोतों को संरक्षित किया जाना है साथी मेड बंधान बनाकर खेत का पानी खेत में रोकना सहित हर गांव में तालाब बनाकर पानी संरक्षित कर जलस्तर को बढ़ाने के प्रयास करना प्रशासन की मंशा है । लेकिन प्रशासन की यह योजना धरातल पर कितनी कारगर होगी यह आने वाला समय बताएगा । क्योंकि इससे पहले भी अनेक योजनाएं जमीन का परिणाम धरातल पर दिखाई नहीं दिया ।

बाईट - श्रीमती प्रियंका दास - कलेक्टर मुरैना
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