सिवनी (महेंद्र राय): भारत में सड़क दुर्घटना आम है. हर रोज सैकड़ों लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवा देते हैं. इन हादसों में कई जानवरों की मौत हो जाती है. जानवरों की जान का खतरा तब और बढ़ जाता है, जब कोई हाईवे जंगल से होकर गुजरता है. ऐसे में जहां जंगली जानवर दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं, वहीं शोरगुल होने की वजह से भी उन्हें परेशानी भी होती है. इसी को ध्यान में रखकर पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-44 को साउंड और लाइट प्रूफ बनाया गया है. इस कमाल की तकनीकी का फायदा ये रहा कि जबसे इस हाईवे का निर्माण हुआ है. इस जंगल के हिस्से में एक भी एक्सीडेंट नहीं हुआ है. जानते हैं विस्तार से.
जानवरों के कानों तक नहीं पहुंचती आवाज और रोशनी
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचआई) ने साल 2021 में देश के सबसे बड़े नेशनल हाईवे-44 में देश का पहला साउंड एंड लाइट प्रूफ सिस्टम लगाया. 16 सितंबर 2021 में 29 किलोमीटर का हाईवे सिवनी से नागपुर के बीच मोहगांव से लेकर खवासा तक बनाया गया था. वाहन कितने ही फर्राटे से इस हाईवे पर दौड़े और रात में कितनी भी तेज रोशनी आए, जानवरों के लिए कोई भी दिक्कत नहीं होती, क्योंकि न तो जानवरों को आवाज सुनाई देती है और नहीं उनकी आंखों में रोशनी पड़ती है.
स्पेशल तकनीक का किया इस्तेमाल
पेंच नेशनल पार्क के बफर एरिया में होने के चलते मोहगांव से खवासा के बीच एनएचआई सड़क निर्माण की अनुमति नहीं दे रहा था, क्योंकि यहां पर जंगली जानवरों के लिए खतरा साबित हो सकता था. जंगल का प्राकृतिक रास्ता हाईवे को क्रॉस कर पेंच से कान्हा (कॉरिडोर) नेशनल पार्क को जोड़ता है. आवाजाही के लिए वन्य प्राणी इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए वन विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा की शर्तों को मद्देनजर रखते हुए सड़क निर्माण की अनुमति मिली थी. इसलिए पहले के प्रोजेक्ट में बड़े बदलाव करते हुए इसे और हाइटेक बनाया गया.
करीब 5 मीटर ऊंचे ऐनिमल अंडर पास के ऊपरी हिस्से से वाहन निकलते हैं, जबकि निचले हिस्से से वन्य प्राणियों की आवाजाही होती है. वन्य क्षेत्र की 21.69 किलोमीटर फोरलेन सड़क व अंडरपास के दोनों किनारों पर साउंड बैरियर और हेडलाइट रिड्यूसर लगाकर लगभग 4 मीटर ऊंची दीवार बनाई गई है. इससे वाहनों के हेडलाइट की तेज रोशनी व शोरगुल जंगल तक नहीं पहुंचता.
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ऊपर से वाहन फर्राटे भरते, नीचे से गुजरते जंगली जानवर
वन्यजीवों के सड़क पार करने के लिए राजमार्ग के 3.5 किलोमीटर हिस्से में 14 एनिमल अंडर पास भी बनाए गए हैं. साथ ही पानी निकासी के लिए 58 पुलिया में से 18 एनिमल क्रॉसिंग कलवर्ट भी बनाए गए हैं, जिससे वन्यजीव हाइवे पर आए बिना ही सड़क पार कर लेते हैं. सबसे अच्छी बात ये है कि वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक रास्ता बनाए रखने का इंतजाम हाईवे में ही किया गया है.
960 करोड़ की लागत से बनाया गया है अंडरपास
एनएचआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संजीव शर्मा ने बताया कि "ऐसी तकनीक का इस्तेमाल इस लाइट एंड साउंड प्रूफ हाईवे में किया गया है. जिससे जंगली जानवर आसानी से नीचे से विचरण कर सकते हैं. वाहन चालक ऊपर से अपने वाहन लेकर जाते हैं. 960 करोड़ की लागत से बनाए गए इस अंडरपास का सबसे बड़ा फायदा यह हो रहा है कि अब कोई भी जंगली जानवर सड़क दुर्घटना का शिकार नहीं होता है."
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सड़क दुर्घटना का शिकार होते थे जानवर
पेंच टाइगर रिजर्व की डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि "सिवनी से नागपुर को जोड़ने वाला यह नेशनल हाईवे में करीब 29 किलोमीटर का एरिया पेंच नेशनल पार्क के बफर जोन में आता है. यहां पर पहले सिंगल लेन सड़क हुआ करती थी. जिससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. सरकार यहां पर 4 लेन नेशनल हाईवे बनाने के लिए प्रयास कर रही थी, लेकिन वन विभाग ने जंगली जानवरों की सुरक्षा के चलते करीब 10 सालों तक प्रोजेक्ट को हरी झंडी नहीं दी थी.
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क्योंकि उस दौर में भी अधिकतर रात के समय में कई जंगली जानवर सड़क दुर्घटना के शिकार हो जाते थे और ज्यादा वाहनों की आवाज के चलते उन्हें नुकसान भी होता था. 2021 में इस लाइट एंड साउंड प्रूफ नेशनल हाईवे के बनने के बाद एक भी जंगली जानवर सड़क दुर्घटना का शिकार नहीं हुआ है. हालांकि 1 साल पहले सर्विस रोड में एक तेंदुआ को अज्ञात वाहन ने टक्कर मारकर फरार हो गया था."