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वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में चंबल की बेटियों का दबदबा, गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल किया अपने नाम

चंबल की की दो बेटियों ने वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर चंबल का नाम रोशन किया है. ईशा और प्राची सिकरवार ने अपनी जीत का श्रेय अपने परिजनों को दिया है.

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Published : Feb 15, 2019, 3:31 PM IST

Updated : Feb 15, 2019, 7:58 PM IST

weightlifting

मुरैना। चंबल में जहां बेटियों को अभिशाप माना जाता था, उसी जमीन पर जन्मी बेटियां अब पूरे देश में अपने नाम का परचम फैला रही है. मुरैना की दो बेटियों ने वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर चंबल का नाम रोशन किया है.

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ईशा और प्राची सिकरवार
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प्रदेश स्तरीय वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में जीत हासिल करने वाली ईशा और प्राची सिकरवार ने अपनी जीत का श्रेय अपने परिजनों को दिया है. उनका कहना है कि उनके परिजनों के सपोर्ट का नतीजा है कि चंबल की लड़कियां वेटलिफ्टिंग जैसे खेल में स्वर्ण और कांस्य पदक जीत रही हैं. खिलाड़ी ईशा का कहना है कि अगर उन्हें गवर्नमेंट का सपोर्ट मिले, तो वो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन कर सकती हैं.


ईशा और प्राची के कोच अरुण शर्मा जिम चलाते हैं, जहां 5-6 लड़कियां और 30 लड़के वेटलिफ्टिंग की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सहायता नहीं मिल रही है. जिसके चलते सभी खिलाड़ियों को चंदा इकट्ठा कर सारे इंतजाम करने पड़ते हैं. अगर इन खिलाड़ियों को शासन मदद कर दे, तो हो सकता है कि जल्द ही नेशनल लेवल पर भी इनमें से कोई खिलाड़ी गोल्ड जीतकर लाए.

मुरैना। चंबल में जहां बेटियों को अभिशाप माना जाता था, उसी जमीन पर जन्मी बेटियां अब पूरे देश में अपने नाम का परचम फैला रही है. मुरैना की दो बेटियों ने वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर चंबल का नाम रोशन किया है.

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ईशा और प्राची सिकरवार
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प्रदेश स्तरीय वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में जीत हासिल करने वाली ईशा और प्राची सिकरवार ने अपनी जीत का श्रेय अपने परिजनों को दिया है. उनका कहना है कि उनके परिजनों के सपोर्ट का नतीजा है कि चंबल की लड़कियां वेटलिफ्टिंग जैसे खेल में स्वर्ण और कांस्य पदक जीत रही हैं. खिलाड़ी ईशा का कहना है कि अगर उन्हें गवर्नमेंट का सपोर्ट मिले, तो वो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन कर सकती हैं.


ईशा और प्राची के कोच अरुण शर्मा जिम चलाते हैं, जहां 5-6 लड़कियां और 30 लड़के वेटलिफ्टिंग की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सहायता नहीं मिल रही है. जिसके चलते सभी खिलाड़ियों को चंदा इकट्ठा कर सारे इंतजाम करने पड़ते हैं. अगर इन खिलाड़ियों को शासन मदद कर दे, तो हो सकता है कि जल्द ही नेशनल लेवल पर भी इनमें से कोई खिलाड़ी गोल्ड जीतकर लाए.

Intro:एंकर - चंबल क्षेत्र में जहां बेटियों को अभिशाप माना जाता था उसी जमीन पर जन्मी बेटियां अब प्रदेश में ही क्या देश में चंबल का नाम रोशन कर रही है। मुरैना की दो बेटियों ने वेटलिफ्टिंग में गोल्ड और ब्रांच मेडल जीतकर चंबल क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया। ईशा और प्राची सिकरवार ने इस जीत के लिए अपने परिजनों को धन्यवाद दिया है। उनके परिजनों के प्रोत्साहन और सपोर्ट का नतीजा है,कि वेटलिफ्टिंग जैसे खेल में आज चंबल की लड़कियां नेशनल स्तर पर ना सिर्फ भाग ले रही है बल्कि राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड जीत रही है।

वीओ1 - वेटलिफ्टिंग में चंबल संभाग का पहला मौका है जब किसी ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड जीता हो।वो भी चंबल की बेटी ने इस जीत को पाकर चंबल का नाम रोशन कर दिया ईशा आगे जाकर नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर मेडल जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन करना चाहती है। वह अपनी जीत के लिए अपने परिजनों को मेहनत और सपोर्ट का एक बड़ा कारण मानती है। खिलाड़ी ईशा का यह भी कहना है की अगर गवर्नमेंट का सपोर्ट हमको मिले तो ओलंपिक में जा कर गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन कर सकते हैं।

बाईट1 - ईशा सिंह - गोल्ड मेडल विजेता


Body:वीओ2 - चंबल में बेटियों की संख्या बेटों से कम है ऐसे में जब यहां की बेटी सफलता पाती है तो यह खुशी दोगुनी हो जाती है। साथ ही समाज में एक संदेश जाता है कि बेटी भी बेटे से कम नहीं हैं, ईशा सिंह के पिता अरविंद सिंह ने कभी भी अपनी दोनों बेटियों को बेटों से कम नहीं माना और वह उसके सपने पूरे करने के लिए सब कुछ करने को तैयार है।

बाईट 2 - अरविंद सिंह - ईशा के पिता

वीओ3 - मुरैना में वेटलिफ्टिंग के लिए अरुण शर्मा जिम भी चलाते हैं जहां पर 5 से 6 लड़कियां और 30 लड़के तैयारी कर रहे हैं पर उनको किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल रही है। जिसके चलते सभी खिलाड़ियों को भी चंदा कर सारे इंतजाम करने पड़ते हैं।अगर इन खिलाड़ियों को शासन मदद कर दे तो हो सकता है कि जल्द ही नेशनल लेवल पर भी इनमें से कोई खिलाड़ी गोल्ड जीतकर लाए।

बाईट3 - अरुण शर्मा - कोच


Conclusion:वीओ4 - चंबल अंचल में यह खुशी की खबर है कि बेटियां अब आगे बढ़ रही हैं ऐसे में अगर सरकार भी थोड़ा आगे आज तो हालत और बेहतर हो सकते हैं लोगों की सोच बदल रही है इसलिए कहा जा सकता है कि चंबल बदल रहा है।
Last Updated : Feb 15, 2019, 7:58 PM IST
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