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मुरैना: सीड बॉल का मदद से चंबल के बीहड़ों में उगाए जाएंगे पौधे

मुरैना में वन विभाग इस बार सीड बॉल से पहाड़ी, बीहड़ों और झाड़ियों वाले क्षेत्र को हरा भरा बनाने की योजना पर काम कर रहा है.

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Published : May 18, 2019, 11:45 PM IST

मुरैना

मुरैना। वन विभाग ने पहाड़ियों , बीहड़ों और झाड़ियों वाले क्षेत्र को हरा भरा करने के लिए एक योजना बनाई है. वन विभाग सीड बॉल पद्धति से जिले में पांच लाख पौधों रोपने की योजना पर काम रहा है. जिससे पहाड़ी, बीहड़ पर फिर से हरियाली लाई जा सकें.

सीड बॉल से पांच लाख पौधों को लगाने का लक्ष्य

डिप्टी रेंजर आरपी शर्मा ने बताया कि सीड बॉल ऐसी संरचना है जो गोलाकार रहती है उसके अंदर बीज रहता है. इसलिए इस का नाम सीड बॉल पड़ा है. सीड बॉल बनाने के लिए हम मिट्टी और गोबर खाद 1/3 के अनुपात में मिलाते है. जिससे एक गोला बनाकर तैयार हो जाता है इससे उसके अंदर बीज रख दिया जाता है. उसे सूखाकर इसे प्रयोग किया जाता है.

वन मंडल डीएफओ प्रभुदास गेब्रियल ने बताया कि सीड बॉल को प्रशासन की तरफ से पूरे वन विभाग के वन मंडलों को लक्ष्य दिया गया है कि जिन पौधें पनप नहीं पाते हैं उन्हें खाद बीज नहीं मिल पाते है, बॉल के रुप में मिट्टी और खाद को मिलकर उस सीट को रख देते है और धूप में अच्छी तरह से सूख जाता है उसके बाद उसे हम बारिश के मौसम में हम ऐसी जगहों पर फेकेंगे जहां इंसान नहीं जा पाता है. इस सीड बॉल का उद्देश्य यह है कि पौधों की जो प्रजाति विलुप्त की कगार है उसे दोबरा जीवत करना है और हमने पांच लाख के पौधों को लगाने का लक्ष्य रखा है.

मुरैना। वन विभाग ने पहाड़ियों , बीहड़ों और झाड़ियों वाले क्षेत्र को हरा भरा करने के लिए एक योजना बनाई है. वन विभाग सीड बॉल पद्धति से जिले में पांच लाख पौधों रोपने की योजना पर काम रहा है. जिससे पहाड़ी, बीहड़ पर फिर से हरियाली लाई जा सकें.

सीड बॉल से पांच लाख पौधों को लगाने का लक्ष्य

डिप्टी रेंजर आरपी शर्मा ने बताया कि सीड बॉल ऐसी संरचना है जो गोलाकार रहती है उसके अंदर बीज रहता है. इसलिए इस का नाम सीड बॉल पड़ा है. सीड बॉल बनाने के लिए हम मिट्टी और गोबर खाद 1/3 के अनुपात में मिलाते है. जिससे एक गोला बनाकर तैयार हो जाता है इससे उसके अंदर बीज रख दिया जाता है. उसे सूखाकर इसे प्रयोग किया जाता है.

वन मंडल डीएफओ प्रभुदास गेब्रियल ने बताया कि सीड बॉल को प्रशासन की तरफ से पूरे वन विभाग के वन मंडलों को लक्ष्य दिया गया है कि जिन पौधें पनप नहीं पाते हैं उन्हें खाद बीज नहीं मिल पाते है, बॉल के रुप में मिट्टी और खाद को मिलकर उस सीट को रख देते है और धूप में अच्छी तरह से सूख जाता है उसके बाद उसे हम बारिश के मौसम में हम ऐसी जगहों पर फेकेंगे जहां इंसान नहीं जा पाता है. इस सीड बॉल का उद्देश्य यह है कि पौधों की जो प्रजाति विलुप्त की कगार है उसे दोबरा जीवत करना है और हमने पांच लाख के पौधों को लगाने का लक्ष्य रखा है.

Intro:नर्सरी पद्धति से तैयार कर पौधों को रोपित कर जंगली क्षेत्र को हरा भरा करने में नाकाम रहा वन विभाग इस बार नवाचार कर सीड बॉल से पहाड़ी , बीहड़ और झाड़ियों वाले क्षेत्र को हरे भरे जंगल में तब्दील करने की योजना बना रहा है । सीड बॉल पद्धति के माध्यम से मुरैना जिले के 5 लाख पौधों रोपण किया जाना की योजना बनाई गई है । जिससे वन क्षेत्र के पहाड़ी वाली भूमि जहां आसानी से पौधे के लिए गड्ढे बनाकर रोपाई नहीं की जा सकती या चंबल के बीहड़ क्षेत्र में पौधे की देखभाल नहीं हो सकती वहां सीड बॉल से ऊसर भूमि को घने जंगलों में बदलने का काम वन विभाग में शुरू करने की तैयारी कर ली है ।


Body:सीड बॉल तैयार कर 5 लाख पौधे मुरैना जिले के वन क्षेत्र में लगाए जाना है । इसके लिए वन विभाग द्वारा देवरी स्थित पौधा रोपण नर्सरी में सीड बॉल तैयार करना शुरू कर दिया है । यह काम महिलओं द्वारा कराया जा रहा है । ये महिलाये दो भाग मिट्टी , एक भाग गोबर की खाद या बर्मी कंपोस्ट मिलाकर छोटी छोटी गेंद नुमा मिट्टी की बाल तैयार कर रही है । इन मिट्टी की बाल के अंदर बीज रखा जा रहा है । साथ ही इन सीड बॉल को कड़ी धूप में सुखाया जा रहा है ताकि बीज के अंकुरित होने से पहले ये सूख जाए । जहां लगभग एक लाख की संख्या में तैयार भी किए जा चुके हैं इंस्टॉल बबूल सो भगवान नीम सरस आदि पौधे के बीच रखे जा रहे हैं और उन्हें सुरक्षित स्थान पर स्टोरेज किया जा रहा है जब बरसात का मौसम आएगा और बारिश शुरू होगी उस समय इनसीड बॉल को वन क्षेत्र में जहां पौधरोपण किया जाना है मैं फेंक दिया जाएगा और जैसे ही बारिश आएगी बारिश से सीट बॉल भी देंगे और उन में रखा हुआ बीज अंकुरित होने लगेगा और इस तरह अंकुरित होकर पौधा उसी स्थान पर अपनी जड़े जमाना शुरू कर देगा वन विभाग के अधिकारियों का मानना है यह लगातार 4 महीने बारिश के समय में उसे पर्याप्त पानी और नमी मिलेगी तो वह अंकुरित बीज एक बड़े पौधे के रूप में आकार लेगा और फिर समय आते समय समय वृक्ष में तब्दील होगा ।


Conclusion:नर्सरी में पौधे तैयार कर उन्हें जंगली क्षेत्र में रोपना और उनके लिए सिंचाई की व्यवस्था करना बहुत महंगा कार्य होता था । इस परंपरागत पद्धति से एक पौधे को तैयार करने में कम से कम ₹25 का खर्च आता था । लेकिन एक सीट बोल तैयार करने में सिर्फ 65 पैसे का ही खर्च आता है । साथ ही इन्हें महिलाओं द्वारा तैयार कराया जा सकता है । जिससे ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगार बैठी महिलाओं को भी पर्याप्त रोजगार मिल रहा है । वन मंडल अधिकारी के अनुसार एक महिला 1 दिन में लगभग 400 से 500 सीड बॉल तैयार करती है । जिससे उसे 300 से 350 रुपये की आमदनी होती है । और यह कार्य कहीं भी छाया में बैठ कर पेड़ के नीचे या कमरे में किया जा सकता है जो महिलाओं के लिए एक अच्छा रोजगार का अवसर भी हैं। अब देखना यह है यह प्रयोग बीरान पड़ी वन भूमि को कितना हरा भरा बना पायेगा ।

बाईट - 1 आरपी शर्मा - डिप्टी रेंजर , पौधा रोपणी देवरी
बाईट - 2 प्रभुदास गेब्रियल - डीएफओ वन मंडल मुरैना
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