इंदौर। राज्य में करोड़ों रुपये के सरकारी निर्माण कार्य कैसे होते हैं, इसकी बानगी यह है कि बंगाली चौराहे पर निर्माणाधीन ओवर ब्रिज बन रहा हैं. 80 प्रतिशत काम हो जाने के बाद अधिकारियों को समझा आया कि करोड़ों रुपए से तैयार ओवर ब्रिज का डिजाइन ही गलत हैं. लिहाजा जनप्रतिनिधियों के विरोध के बाद लोक निर्माण विभाग में अब नए सिरे से ओवर ब्रिज की डिजाइन की कवायद हो रही है.
बंगाली चौराहे पर करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा ओवर ब्रिज लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया हैं. दरअसल, 2018 से जारी ओवर ब्रिज के निर्माण के दौरान ब्रिज सेल के अधिकारी यह अंदाजा लगाना ही भूल गए कि जिस सड़क के ट्रैफिक को सुचारू बनाने के लिए पुल बना रहे हैं, उस सड़क का आवागमन मुश्किलों भरा हो जायेगा. नतीजतन अब जबकि तीन साल बाद कुल 80 फीसदी काम हो गया है, तो अधिकारियों और नेताओं के समझ में आया कि पुल बनाने से सड़क सक्रिय हो जाएगी. इससे ट्रैफिक सुगमता से नहीं गुजर सकेगा.
विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए पुल को नए सिरे से डिजाइन करने का फैसला लिया गया. इस मामले में विधायक महेंद्र हार्डिया द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को की गई शिकायत के बाद विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई के साथ प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट और शंकर लालवानी ने ओवर ब्रिज की खामी को दूर करने के लिए चिंतन किया. इसके बाद तय हुआ कि आगामी कुछ दिनों में पुल से गुजरने वाले फ्लो मूवमेंट का सर्वे किया जाएगा. इसके बाद संभव हुआ, तो पुल की ड्राइंग में संशोधन किए जायेंगे.
सर्वे के बाद 25 जून को जनप्रतिनिधियों और तकनीकी विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर पुल का संशोधित प्रस्ताव तैयार कर लोक निर्माण विभाग को भेजा जाएगा. इसके लिए लोक निर्माण विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा कर डिफेक्टेड पुल के कारण हो रही समस्या का हल निकाला जाएगा. इस दौरान प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने स्पष्ट किया कि अगले दौर की बैठक में जनप्रतिनिधियों के सुझाव के बाद ओवर ब्रिज के डिजाइन को लेकर त्वरित कार्रवाई की जायेगी.
ओवर ब्रिज पर देवास में कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने
पांच बार अटक चुका है ओवर ब्रिज का काम
बंगाली चौराहे स्थित ओवर ब्रिज का निर्माण नवंबर 2018 में शुरू हुआ था. इसके बाद मेट्रो प्रोजेक्ट निर्माण के कारण आपत्ती आने पर काम को दो महीने के लिए रोकना पड़ा. जो नई डिजाइन तैयार हुई, वह पीडब्ल्यूडी के भोपाल मुख्यालय पर आपत्ति के कारण रोक दी गई. इसके बाद ड्राइंग संशोधित होकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई, तो काम रोकना पड़ा. 2020 में माधवराव सिंधिया की प्रतिमा शिफ्टिंग के कारण काम रोकना पड़ा. इसके बाद पुल के नीचे से गुजरने वाली नर्मदा लाइन को शिफ्ट करने की मजबूरी के कारण फिर पुल निर्माण को रोकना पड़ा. अब डिजाइन को लेकर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि बैठक के बाद पुल के निर्माण में एक बार फिर तेजी लाई जा सकेगी.