मुरैना। विधानसभा उप चुनाव की आहट के साथ ही विकास कार्यों के पिटारे से लुभावना जिन्न बाहर आने को बेताब दिख रहा है, बस लॉकडाउन की वजह से थोड़ असमंजस में है, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल की सियासत को पटरी पर लाने के लिए बीजेपी कांग्रेस दोनों ही चंबल एक्सप्रेस-वे पर फर्राटे भर रही हैं, भले ही ये एक्सप्रेस-वे जमीन पर नहीं दिखाई पड़ता, लेकिन सियासत को पटरी पर लाने के लिए चंबल सियासत-वे बेहद कारगर साबित हो रही है. ग्वालियर-चंबल अंचल की 14 विधानसभा सीटों सहित कुल 24 सीटों पर उपचुनाव होना है, जिस पर जीत दर्ज कर बीजेपी अपनी सरकार को और मजबूत करने में जुटी है, जबकि विपक्ष जीत दर्ज कर बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का ख्वाब देख रही है.
चंबल के बीहड़ों को विकसित करने के लिए दो साल पहले 400 किमी लंबे चंबल एक्सप्रेस वे को केंद्र सरकार से स्वीकृति तो मिल गई है, लेकिन ये कभी चुनावी जुमलेबाजी से बाहर नहीं आ पाया है. अब उप चुनाव नजदीक है, इसलिए क्षेत्र के नेताओं को एक बार फिर चंबल एक्सप्रेस-वे याद आने लगा है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि चंबल एक्सप्रेस वे पहले से ही स्वीकृत था. बीजेपी का एजेंडा ही है कि जैसे ही कोई चुनाव आता है, बीजेपी की तरफ से कोई न कोई झूठ हमेशा तैयार रहता है. उन्होंने चंबल एक्सप्रेस वे को लेकर बीजेपी की नीयत पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी शुरु से ही जुमलेबाजी करती आई है और चंबल एक्सप्रेस-वे भी उसकी जुमलेबाजी का एक हिस्सा है.
वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि चंबल नदी के किनारे इतना बड़ा एक्सप्रे वे बन रहा है, वो एक पयर्टन स्थल के रुप में विकसित होगा. वहां के बीहड़ों का समतलीकरण होगा. इसके साथ ही एक्सप्रेस-वे बनने से उस क्षेत्र के आसपास का विकास होगा. कांग्रेस को इस पर ओछी राजनिति नहीं करनी चाहिए. चंबल एक्सप्रेस-वे को लेकर बीजेपी-कांग्रेस के अपने अपने दावे हैं. एक ओर कांग्रेस का मानना है कि क्षेत्र की जनता काफी समझदार है. लोग जानते हैं कि कौन सी पार्टी जनता को गुमराह करके राजनीति करती आई है तो बीजेपी का मानना है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी की लोकप्रिय सरकार है. प्रदेश में विकास के नये नये आयाम पैदा हो रहे हैं. इसलिए अन्य दल ओछी राजनीति कर क्षेत्र के विकास में बाधा न डालें.
मुख्य धारा से जुडे़गा चंबल का बीहड़
राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र के लिए आरक्षित चंबल नदी के बीहड़ अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ेंगे, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने चंबल एक्सप्रेस वे को जल्द शुरू करने की बात कही है. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से बात कर जल्द आधारशिला रखने की बात ट्विटर के माध्यम से सार्वजनिक की है. 400 किलोमीटर लंबाई वाले चंबल एक्सप्रेस वे पर 500 करोड़ से अधिक का खर्च आएगा और इसे पीपीपी मोड पर बनाने की योजना सरकार ने तैयार की है.
तीन जिलों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेस-वे
चंबल एक्सप्रेस-वे भिंड जिले से शुरू होकर मुरैना होते हुए श्योपुर तक जाएगा. इस दौरान चंबल एक्सप्रेस वे के आसपास चार जगह इंडस्ट्रीज कॉरिडोर डेवलप करने की योजना भी बनाई जा रही है. इंडस्ट्रीज कॉरिडोर विकसित करने के लिए सरकार ने दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के विभिन्न मुख्य मार्गों को जोड़ने वाली सड़कों से एक्सप्रेस वे से लिंक करने की योजना भी बनाई है. अगर ऐसा होता है तो चंबल के बीहड़ों में पलने वाले अपराध और अपराधी ही नहीं खत्म होंगे, बल्कि यहां विकास की नई संभावनाएं भी जन्म लेंगी.
एक्सप्रेस-वे पर सियासी जुमलेबाजी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की घोषणा पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है. कांग्रेस ने पिछली घोषणा को याद दिलाते हुए कहा कि भिंड से कोटा तक ये एक्सप्रेस-वे बनाने की बात कही गई थी, लेकिन चुनाव निकलने के बाद एक्सप्रेस वे की बात कोई नहीं कर रहा था.
माकपा ने बीहड़ों के अस्तित्व को बताया खतरा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बीजेपी के चंबल एक्सप्रेस-वे के निर्माण को देश की सबसे शुद्ध महानदी चंबल और बीहड़ों के अस्तित्व के लिए खतरा बताया है. माकपा ने चंबल एक्सप्रेस वे को चंबल नदी के किनारे से हटाकर दूसरे रास्ते से निकालने की मांग की है, उसका मानना है कि ऐसा नहीं करने से चंबल की शुद्धता को खतरा होगा. साथ ही जलीय जीवों का जीवन भी संकट में आएगा, इसलिए यहां से एक्सप्रेस-वे न निकाला जाए और न ही चंबल के किनारे किसी तरह की औद्योगिक इकाइयों को स्थापित किया जाए.