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बाढ़ की तबाही के बाद मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते पीड़ित

जिले में आई भीषण बाढ़ के बाद लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. जिंदगी बचाने के लिए अपने गांव से पलायन कर चुके लोगों को रात टेंटों में गुजारनी पड़ रही है, जहां दो वक्त का खाना मिलना भी मुश्किल है.

बाढ़ के बाद के हालात
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Published : Sep 20, 2019, 12:12 PM IST

मुरैना। जिले में चंबल नदी का पानी इस तरह लोगों के लिए कहर बनकर टूटा है कि कई लोगों के आशियाने पूरी तरह से उजड़ गए हैं. अंचल में बाढ़ से कई घर बेघर हो गए, तो कुछ घर सन्नाटे के साए में रात गुजारने को मजबूर हैं.

बाढ़ के बाद के हालात

जिला प्रशासन के द्वारा कुछ बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर लाने के साथ-साथ उन्हें खाने-पीने की चीजें भी मुहैया कराई जा रही हैं, लेकिन कुछ लोग सड़कों पर बिना खाए-पीए अपने परिवार के साथ मदद की आस लगाए बैठे हैं. हालत ये है कि प्रशासन ग्रामीणों के लिए खाने-पीने तक का इंतजाम ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा है, हालांकि अब ग्रामीणों की मदद के लिए कुछ समाजसेवियों के द्वारा भोजन-पानी और दवाईयों की व्यवस्था की जा रही है. अपना आशियाना खो चुकी महिलाएं अपने बच्चों के साथ सड़क पर और खुले टेंट के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं.

दिमनी क्षेत्र के मल्लाह का पुरा गांव की रनिया देवी का कहना है कि हम पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. खेत में खड़ी फसल बर्बाद हो गई. कुछ महीने बाद बेटी की शादी है, उनके लिए धीरे-धीरे करके शादी में देने के लिए सामान जोड़ा था, लेकिन चंबल में बाढ़ आने से पूरा सामान बह गया.

वहीं राडुआपुरा गांव में अभी भी कई घर पानी में डूबे हुए हैं. गांव के उदय सिंह ने बताया कि बाढ़ आने से हम तबाह हो गए हैं. सारा सामान बाढ़ में बह गया. फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है. फिलहाल प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पा रही है.

मुरैना। जिले में चंबल नदी का पानी इस तरह लोगों के लिए कहर बनकर टूटा है कि कई लोगों के आशियाने पूरी तरह से उजड़ गए हैं. अंचल में बाढ़ से कई घर बेघर हो गए, तो कुछ घर सन्नाटे के साए में रात गुजारने को मजबूर हैं.

बाढ़ के बाद के हालात

जिला प्रशासन के द्वारा कुछ बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर लाने के साथ-साथ उन्हें खाने-पीने की चीजें भी मुहैया कराई जा रही हैं, लेकिन कुछ लोग सड़कों पर बिना खाए-पीए अपने परिवार के साथ मदद की आस लगाए बैठे हैं. हालत ये है कि प्रशासन ग्रामीणों के लिए खाने-पीने तक का इंतजाम ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा है, हालांकि अब ग्रामीणों की मदद के लिए कुछ समाजसेवियों के द्वारा भोजन-पानी और दवाईयों की व्यवस्था की जा रही है. अपना आशियाना खो चुकी महिलाएं अपने बच्चों के साथ सड़क पर और खुले टेंट के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं.

दिमनी क्षेत्र के मल्लाह का पुरा गांव की रनिया देवी का कहना है कि हम पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. खेत में खड़ी फसल बर्बाद हो गई. कुछ महीने बाद बेटी की शादी है, उनके लिए धीरे-धीरे करके शादी में देने के लिए सामान जोड़ा था, लेकिन चंबल में बाढ़ आने से पूरा सामान बह गया.

वहीं राडुआपुरा गांव में अभी भी कई घर पानी में डूबे हुए हैं. गांव के उदय सिंह ने बताया कि बाढ़ आने से हम तबाह हो गए हैं. सारा सामान बाढ़ में बह गया. फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है. फिलहाल प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पा रही है.

Intro:एंकर - मुरैना जिले में चंबल नदी का पानी इस तरह लोगों के लिए कहर बनकर टूटा है कि कई लोगों के आशियाने को पूरी तरह उजाड़ दिया। अंचल में बाढ़ से कई घर बेघर हो गए तो कुछ घर सन्नाटे के साए में रात गुजारने को मजबूर है।जिला प्रशासन के द्वारा कुछ बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर लाने के साथ-साथ उनको खाने पीने की चीजें भी मुहैया कराई जा रही है। लेकिन कुछ लोग सड़कों पर बिना खाए पिए अपने परिवार के साथ आस लगाए बैठे हैं स्थिति यह है ये है कि प्रशासन ग्रामीणों के लिए खाने-पीने तक का इंतजाम ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा है।हालांकि अब ग्रामीणों की मदद के लिए कुछ समाजसेवियों के द्वारा भोजन पानी एवं दवाइयों की व्यवस्था की जा रही है।





Body:वीओ - अपना आशियाना खो चुकी महिलाएं अपने बच्चों के साथ सड़क पर व खुले टेंट के नीचे रात गुजारने को मजबूर है। दिमनी क्षेत्र के मल्लाह का पुरा गाँव की रनिया देवी का कहना है कि हम पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं खेत में खड़ी फसल बर्बाद हो गई कुछ महीने बाद बेटी की शादी है उनके लिए धीरे-धीरे करके शादी में देने के लिए सामान जोड़ा था लेकिन चंबल में बाढ़ आने से पूरा समान बह गया।हमें भोजन की आवश्यकता नही है हम चार दिन ओर भूखे रह लेंगे लेकिन हमें रहने के लिए आशियाने की मदद चाइये। वहीं राडुआपुरा गाँव में अभी भी कई घर पानी।मे डूबे हुए है।गाँव मे 50 से अधिक घर डूब चुके है गाँव की उदय सिंह ने बताया कि बाढ़ आने से हम तबाह हो गए है सारा सामान बाढ़ में बह गया।फसल पूरी तरह नष्ट हो गई।है।खाने पीने का सामान व पशुओं का चारा भूसा सब बह गया।प्रशासन की तरफ से कोई मदद नही मिल पा रही है।अब तो बस सरकार से ही आस है।


Conclusion:बाइट1 - रनिया देवी - पीड़ित।
बाइट2 - उदय सिंह - पीड़ित।
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