मुरैना। पूरे प्रदेश और देश के जलीय जीव प्रेमियों के लिए एक खुशखबरी है, कि मुरैना जिले के चंबल अभ्यारण में मगर, घड़ियाल और डॉल्फिन की संख्या में इस साल वृद्धि हुई है. यह एक राहत की खबर भी है कि इन जलीय जीवों की संख्या में प्रदेश ने आंकड़ों में वृद्धि की है. वन विभाग हर साल इन जलीय जीवों की गणना का काम करता है, जो कि 15 से 20 दिनों तक चलता है. जिसके बाद एकत्रित किए गए डाटा को एनालिसिस कर इनकी संख्या तय की जाती है. जिसके लिए वन विभाग अभ्यारण के 434 किलोमीटर के क्षेत्र में सर्च कर,यह आंकड़े निकालते हैं.
वन अधिकारी के अनुसार इस साल के आंकड़ों में घड़ियालों की संख्या जो कि पहले 1859 थी, वो इस साल बढ़कर 2176 हो गई है. वहीं मगर की संख्या जो कि 710 थी, वह बढ़कर 886 हो गई है. वहीं डॉल्फिन जैसा जलीय जीव जिसकी संख्या पिछले साल तक 68 थी, वह बढ़कर 82 हो गई है. ये प्रदेश के जलीय जीव प्रेमियों के लिए खुशखबरी है.
मुरैना की चंबल घड़ियाल सेंचुरी में जलीय जीवों कि हर साल जनवरी-फरवरी में गणना होती है. श्योपुर,मुरैना भिंड तक 434 किलोमीटर लंबी चंबल नदी में इस बार 1 से 16 फरवरी तक घड़ियाल सेंचुरी में वन कर्मचारियों के साथ रिसर्च स्कॉलर्स और जलीय जीव विशेषक WII के विशेषज्ञ ने यह गणना की थी. जिसके पूरे आंकड़े एकत्रित कर जारी किए हैं. इन आंकड़ों में घड़ियालों की संख्या 317 बढ़ी है. जो इतिहास की दूसरे सबसे बड़ी बढ़त है.
'चंबल' में छोड़े गए 20 घड़ियाल, वाइल्ड लाइफ में वर्ल्ड टॉप एमपी
साल 2018 की गणना में सबसे ज्यादा 426 घड़ियाल सेंचुरी में बढे थे. दूसरी अच्छी बात यह है कि 7 साल में चंबल नदी में घड़ियाल लगभग दोगुने हो गए हैं. 2014 में 1102 घड़ियाल थे जो, इस गड़ना में 2176 हो गए हैं.
डॉल्फिन का कुनबा बढ़ा
इस बार चंबल अभ्यारण में वन्यजीव गणना के आंकड़ों ने डॉल्फिन के मामले में भी खुशखबरी दी है. पिछले 5 साल से चंबल नदी में डॉल्फिन की संख्या घटती ही जा रही थी. 2016 में 78 डॉल्फिन की गिनती हुई थी, जो साल दर साल कम होती गई. इस कारण साल 2019 की गणना में डॉल्फिन की गिनती नहीं की गई. 2020 की गणना में 68 डॉल्फिन चंबल में बताई गई, जो इस बार 82 हो गई है. यानी 2016 के बाद चंबल में डॉल्फिन का परिवार बढ़ा है.
चंबल में मगरों का कुनबा दो गुना हुआ, जो कि चिंताजनक है
चंबल नदी में मगरमच्छों का कुनबा भी लगातार बढ़ रहा है, जो की चिंताजनक है. जलीय जीवों का मत है कि मगरमच्छ घड़ियाल के लिए भोजन की कमी का कारण बन जाते हैं,जहां मगरमच्छ रहते हैं, वहां से घड़ियालों को पलायन करना पड़ता है. इस लिहाज से मगरमच्छ का बढ़ना चिंताजनक है. साल 2016 में जो मगरमच्छ 454 थे, वो भी इस साल की गणना में लगभग दोगुने 886 हो गए हैं.
6 साल में किस प्रजाति का कुनबा कितना घटा और बढ़ा
वर्ष | घड़ियाल | डॉल्फिन | मगरमच्छ |
2016 | 1162 | 78 | 454 |
2017 | 1255 | 75 | 562 |
2018 | 1681 | 74 | 562 |
2019 | 1876 | सर्वे नहीं हुआ | 706 |
2020 | 1859 | 68 | 710 |
2021 | 2176 | 82 | 866 |