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सांठगांठ के चलते प्रसूताओं का सरकारी हॉस्पिटल में नहीं होता ऑपरेशन, निजी नर्सिंग होम की बल्ले-बल्ले!

मुरैना जिला अस्पताल से बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां महिलाओं को सुविधा देने के बयाज दवाब बनाकर उन्हें निजी नर्सिंग होम भेज दिया जाता है. जहां मजबूर उन्हें मोटी रकम देकर सीजर ऑपेशन कराना पड़ता है.

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मुरैना जिला अस्पताल का मामला
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Published : Dec 6, 2019, 6:15 AM IST

मुरैना। सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं के दुरूस्त होने का डिंडौरा पीटती हो पर मुरैना जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. डॉक्टरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. मुरैना जिला अस्पातल से बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां महिलाओं को सुविधा देने के बयाज दवाब बनाकर उन्हें निजी नर्सिंग होम भेज दिया जाता है, जहां मजबूरन प्रसूता के परिजन मोटी रकम देकर सीजर ऑपरेशन कराने हैं. आरोप है कि इस काम में जिला अस्पताल के डॉक्टर लिप्त रहते हैं. यह बात खुद अस्पताल के सिविल सर्जन स्वीकार रहे हैं.

मुरैना जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल
हालांकि सीजर ऑपेशन कम होने के लिए जिला अस्पताल के सिविल सर्जन सुविधाओं और स्टाफ की कमी को बड़ी वजह बता रहे हैं और जल्द ही सुधार करने का दावा कर हर रहे हैं. जानकारी के अनुसार निजी नर्सिंग होम से सांठगांठ के चलते जिला अस्पातल में ये पूरा खेल चल रहा है. इस बात की गवाही जिला अस्पताल में भर्ती होने के बाद निजी नर्सिंग होम रेफर किए जानी महिलाओं के आंकड़े दे रहे हैं. जिला अस्पताल से निजी नर्सिंग होने वाली आंकड़ों पर नजर डाले तों अप्रैल माह में 653 महिलाओं को जिला अस्पातल में भर्ती किया गया. इनमें से 122 महिलाएं रेफर की गईं और 35 के सीजर ऑपरेशन किए गए.

पिछले महीनों के आंकड़े


अप्रैल

  • 653 महिलाओं को भर्ती किया गया.
  • 112 महिलाएं रेफर की गईं,
  • 35 के सीजर ऑपरेशन किए गए.

मई

  • 786 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 102 महिलाओं को रेफर किया गया

जून

  • 955 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 113 को रेफर किया गया
  • 48 महिलाओं का सीजर ऑपरेशन किया गया

जुलाई

  • 1107 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 131 महिलाओं को रेफर किया गया
  • 33 का सीजर ऑपरेशन हुआ

अगस्त

  • 1143 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 26 महिलाओं का सीजर ऑपरेशन किया गया.
  • 142 महिलाएं रेफर की गईं

सितंबर

  • 1055 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 148 महिलाएं रेफर की गईं
  • 15 महिलाओं का सीजर ऑपरेशन हुआ

अक्टूबर

  • 1030 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 101 महिलाएं रेफर की गईं
  • 49 के सीजर ऑपरेशन किए गए

पिछले 6 माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिला अस्पताल में जितनी प्रसूताओं के सीजर ऑपरेशन होते हैं, उससे 4 गुना ज्यादा प्रसूताओं को रेफर कर दिया जाता है. यही वजह है कि जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते गरीब परिवारों को ठगा जा रहा है.

मुरैना। सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं के दुरूस्त होने का डिंडौरा पीटती हो पर मुरैना जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. डॉक्टरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. मुरैना जिला अस्पातल से बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां महिलाओं को सुविधा देने के बयाज दवाब बनाकर उन्हें निजी नर्सिंग होम भेज दिया जाता है, जहां मजबूरन प्रसूता के परिजन मोटी रकम देकर सीजर ऑपरेशन कराने हैं. आरोप है कि इस काम में जिला अस्पताल के डॉक्टर लिप्त रहते हैं. यह बात खुद अस्पताल के सिविल सर्जन स्वीकार रहे हैं.

मुरैना जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल
हालांकि सीजर ऑपेशन कम होने के लिए जिला अस्पताल के सिविल सर्जन सुविधाओं और स्टाफ की कमी को बड़ी वजह बता रहे हैं और जल्द ही सुधार करने का दावा कर हर रहे हैं. जानकारी के अनुसार निजी नर्सिंग होम से सांठगांठ के चलते जिला अस्पातल में ये पूरा खेल चल रहा है. इस बात की गवाही जिला अस्पताल में भर्ती होने के बाद निजी नर्सिंग होम रेफर किए जानी महिलाओं के आंकड़े दे रहे हैं. जिला अस्पताल से निजी नर्सिंग होने वाली आंकड़ों पर नजर डाले तों अप्रैल माह में 653 महिलाओं को जिला अस्पातल में भर्ती किया गया. इनमें से 122 महिलाएं रेफर की गईं और 35 के सीजर ऑपरेशन किए गए.

पिछले महीनों के आंकड़े


अप्रैल

  • 653 महिलाओं को भर्ती किया गया.
  • 112 महिलाएं रेफर की गईं,
  • 35 के सीजर ऑपरेशन किए गए.

मई

  • 786 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 102 महिलाओं को रेफर किया गया

जून

  • 955 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 113 को रेफर किया गया
  • 48 महिलाओं का सीजर ऑपरेशन किया गया

जुलाई

  • 1107 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 131 महिलाओं को रेफर किया गया
  • 33 का सीजर ऑपरेशन हुआ

अगस्त

  • 1143 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 26 महिलाओं का सीजर ऑपरेशन किया गया.
  • 142 महिलाएं रेफर की गईं

सितंबर

  • 1055 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 148 महिलाएं रेफर की गईं
  • 15 महिलाओं का सीजर ऑपरेशन हुआ

अक्टूबर

  • 1030 महिलाएं भर्ती हुईं
  • 101 महिलाएं रेफर की गईं
  • 49 के सीजर ऑपरेशन किए गए

पिछले 6 माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिला अस्पताल में जितनी प्रसूताओं के सीजर ऑपरेशन होते हैं, उससे 4 गुना ज्यादा प्रसूताओं को रेफर कर दिया जाता है. यही वजह है कि जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते गरीब परिवारों को ठगा जा रहा है.

Intro:मुरैना जिला अस्पताल में प्रसूता महिलाओं को सुविधा देने के बजाय उन्हें बेवक्त निजी नर्सिंग होम पर दबाव बनाकर भेज दिया जाता है यह काम जिला अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ से लेकर डॉक्टर तक सभी मिलकर करते हैं इसके पीछे का कारण जिला अस्पताल के कर्मचारियों का निजी नर्सिंग होम संचालकों के साथ गठजोड़ है यह बात साबित करते हैं जिला अस्पताल में भर्ती और रेफर होने वाली प्रसूताओं के आंकड़े बताते है ।


Body:पिछले 6 माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिला अस्पताल में जितनी प्रसूता ओं के सीजर प्रतिमा होते हैं उससे 4 गुना प्रसूता ओं को रेफर कर दिया जाता है जो मजबूरन जिला अस्पताल से निजी नर्सिंग होम पर पड़ जाते हैं । विषम परिस्थितियों में प्रस्ताव को रेफर किए जाने के पीछे निजी नर्सिंग होम संचालकों के साथ प्रसूति विभाग में पदस्थ डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के साथ गठजोड़ होना बताया जाता है ।

अप्रैल माह में जिला अस्पताल में 600 53 महिलाओं को प्रसूति के लिए भर्ती कराया गया जिनमें से 112 महिलाओं को रेफर किया गया जबकि सिर्फ 35 के सीजर ऑपरेशन किए गए । मई माह में 786 महिलाएं भर्ती हुई जिनमें से 102 महिलाओं को रेफर किया गया जून माह में 955 महिलाएं भर्ती हुई जिनमें से 113 को रेफर किया गया तो 48 के सीजर किए गए । जुलाई माह में 1107 महिलाएं भर्ती हुई जिनमें से 33 का सीजर किए गए 131 रेफर की गई अगस्त माह में 1143 महिलाएं भर्ती हुई इनमें 26 के सीजर किए गए 142 रेफर की गई सितंबर माह में 1055 महिलाएं भर्ती हुई 15 के सीजन हुए तो 148 महिलाएं पर की गई इसी तरह अक्टूबर माह में 1030 महिलाएं जिला अस्पताल में कृषि विभाग में भर्ती हुई तो 49 के सीजर किए गए वहीं 101 महिलाएं रेफर की गई ।


Conclusion:यह आंकड़े दर्शाते हैं कि जिला अस्पताल से रेफर होने वाली महिलाएं मजबूरन निजी नर्सिंग होम मैं जाती हैं और वहां इनके परिजनों को मोटी रकम देकर सीजर ऑपरेशन कराने पड़ते हैं यह बात स्वयं अस्पताल के प्रभारी यानी सिविल सर्जन डॉ अशोक गुप्ता ने स्वीकार की के कुछ ऐसे तत्व थे लेकिन उन्हें समय के साथ बदला जा रहा है और सुधार किए जा रहे हैं सुधार की बात भले ही सिविल सर्जन द्वारा कहीं जा रही हो लेकिन आंकड़ों के अनुसार स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है ।

बाईट 1-डॉ अशोक कुमार गुप्ता , सिविल सर्जन - जिला अस्पताल मुरैना
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