मुरैना। जिले से 70 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ इलाके में ईश्वरा महादेव मंदिर स्थित है. बियाबान जंगल में स्थित ईश्वरा महादेव स्वयंभू है, यानी यहां शिवलिंग स्वयं प्रकट हुई है. महाभारत काल से भी पुराने इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की पूजा अर्चना की थी. लोगों की मानें तो रामायण काल में लंकापति रावण के भाई विभीषण ने यहां इस मंदिर में आकर तपस्या की थी.
ईश्वरा महादेव मंदिर में होते हैं चमत्कार
कहा जाता है कि आज भी श्रावण मास में हर रोज सुबह 4 बजे पांडव इस मंदिर में पूजा करने आते हैं, हालांकि इस बात का कोई भी सबूत नहीं है. ईश्वरा महादेव मंदिर अपने चमत्कार के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है, यहां हर रोज सुबह 4 बजे करीब कोई अदृश्य शक्ति आकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करती हैं, पूजा करने वाला कौन है ये आज तक कोई नहीं जानता है.
365 दिन जल धारा से निरंतर अभिषेक
इस शिवलिंग पर 12 महीने जल धारा से अभिषेक होता है,जबकि आसपास पानी के कोई भी स्त्रोत मौजूद नहीं हैं. यहां तक कि इस इलाके में पानी की विकराल समस्या रहती है, पर मंदिर में स्थित शिवलिंग पर निरंतर जलधारा बहती है.
इसी के साथ ये ऐसा एकमात्र स्थान है जहां 3 से लेकर 5, 7,9,11 और 21 मुखी बेलपत्र भी मिलते हैं. पुरातत्व अधिकारी का कहना है कि मंदिर पहुंचने तक आधे रास्ते पर कच्ची सड़क है, जिसे बनाने के जल्द ही प्रयास किए जाएंगे.
सावन के समय हजारों की संख्या में भक्त ईश्वरा महादेव मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं. ऐसे ही कई और चमत्कारों से भरा ईश्वरा महादेव मंदिर लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है, लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते भक्त कम ही संख्या में मंदिर पहुंच रहे हैं.
मंदिर तक जाने का रास्ता खराब
पुरातन काल से स्थित ईश्वरा महादेव मंदिर पहुंचने के लिए पहले पहाड़गढ़ और फिर वहां से जंगल के रास्ते होते हुए 12 किलोमीटर दूर ईश्वरा महादेव मंदिर पहुंचा जा सकता है. मंदिर में नीचे उतरते ही पहाड़ में बनी गुफा में ही शिवलिंग स्थापित है. जिस पर अविरल जल की धारा प्रवाहित होती है.