मुरैना। मध्यप्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियां पूरी तरह सक्रिय नजर आ रही है. इस महीने लगभग तीनों ही पार्टी - कांग्रेस भाजपा और बसपा अपने कैंडिटेट्स की लिस्ट जारी कर देगी.
इस चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण (MP Constituency Analysis) लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा सीट (Ambah Assembly Seat) के बारे में ! इस विधानसभा में हमेशा से त्रिकोणीय मुकाबला होता आया है. यहां बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी का भी दबदबा बना रहता है.
अम्बाह विधानसभा सीट एससी वर्ग (SC) के लिए आरक्षित होने के बावजूद भी दोनों ही बड़ी पार्टियों से आधा-आधा दर्जन दावेदार टिकट की लाइन में खड़े हैं. टिकट पाने की होड़ में दावेदारों दिल्ली-भोपाल के चक्कर काट रहे हैं.
दावेदारों में वर्तमान और पूर्व विधायक-सांसदों के अलावा कुछ सेना से जुड़े हुए लोग भी बताए गए हैं. यदि पार्टी उनको भरोसा जताएगी, तो वह सेना की नौकरी छोड़कर चुनावी रण में दम भरने के लिए तैयार है. इस सीट पर राजपूतों का दबदबा है.
अम्बाह में कुल कितने मतदाता: अम्बाह विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या 2 लाख 11 हजार के आसपास है. यहां पुरुषों की संख्या 1,17,038 है और महिला वोटर्स 94,642 हैं. इसके अलावा अन्य मतदाता कुल 5 हैं.
क्या है अम्बाह सीट सियासी समीकरण: आगामी विधानसभा चुनाव दावेदारों की लंबी फेहरिस्त लग गई है. बीजेपी से टिकट पाने के लिए वर्तमान विधायक कमलेश जाटव, आईटीबीपी में डिप्टी कमाण्डेन्ट डॉ मनोज सखवार, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए डॉ सत्यप्रकाश सखवार, पूर्व सांसद अशोक अर्गल और भिंड सांसद संध्या सुमन रॉय के नाम सामने आ रहे हैं.
इसी प्रकार कांग्रेस पार्टी से टिकट लेने के लिए सुरेश जाटव, अभिनव छारी, देवेंद्र सखवार, हरीश हिंडोलिया और ब्रजकिशोर सखवार अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे है. यदि जनता की मानें तो बीजेपी की ओर से आईटीबीपी में कमाण्डेन्ट डॉ सत्यप्रकाश सखवार टिकट के सबसे प्रमुख दावेदार हैं.
डॉ सखवार अपने समाज के अलावा बाकि समाज के लोगों में भी गहरी पैठ रखते हैं. वर्तमान विधायक कमलेश जाटव साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े थे. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी नेहा किन्नर को लगभग 8000 वोट से हराया था. लेकिन 2019 में सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. उपचुनाव में उन्होंने अच्छी परफॉर्मेंस दिखाते हुए कांग्रेस प्रत्याशी डॉ सत्यप्रकाश को लगभग 14000 वोटो से हराकर जीत हासिल की थी.
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हालांकि, वर्तमान विधायक ही फिलहाल भाजपा से फिर से टिकट लेने के लिए प्रबल दावेदार हैं. हालांकि, चुनाव जीतने के बाद इलाके में बहुत कम नजर आए हैं. उन्होंने जनता के कामों में रुचि नहीं ली, ऐसा इलाके की जनता का नजरिया है. इस वजह से भी जनता वर्तमान विधायक से नाराज बताई जा रही है.
हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए, डॉ सत्यप्रकाश सखवार की स्थिति ठीक बताई जाती है. वह साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े थे. इस चुनाव में उनका बीजेपी प्रत्याशी से कांटे का मुकाबला हुआ था. बीजेपी से टिकट पाने की उम्मीद में ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी, लेकिन हाल के हालातों में बीजेपी में उनकी दाल गलती नजर नहीं आ रही है.
पूर्व सांसद अशोक अर्गल और भिंड सांसद संध्या राय का जादू इस बार चलने वाला नहीं है. हालांकि, पूर्व सांसद अशोक अर्गल एक अजेय प्रत्याशी हैं. अपने राजनैतिक करियर में शुरू से लेकर आज तक कोई चुनाव नहीं हारे है, लेकिन मुरैना महापौर के पद पर रहते हुए उनकी छवि को बट्टा लगा है. उधर कांग्रेस प्रत्याशियों का आंकलन किया जाए तो सुरेश जाटव और देवेंद्र सखवार सबसे प्रबल कैंडिडेट है. सुरेश जाटव की क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ है.
क्या है जातीय समीकरण:
यहां अगर जातीय जनगणना के हिसाब से वोटर्स का तुलनात्मक अध्ययन करें, तो इनमें सबसे अधिक 65000 वोट तोमर समाज का है. इसके बाद दूसरे नंबर पर एससी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले सखवार समाज के 35000 हजार वोट हैं.
तो ब्राह्मण (27000), बघेल (23000), वैश्य (12000), कुशवाह (15000), राठौर (13000), जाटव (8500), मुस्लिम (5000), गुर्जर (8000), नाई (4000), धोबी (3000), प्रजापति ( 6000), 10,000 वोट (लोधी समाज) और 3 हजार अन्य वोटर्स हैं.
अब देखना होगा, कि त्रिकोण बनती सियासी बिसात पर कौन आगामी चुनाव में यहां से जनता का प्रतिनिधित्व हासिल करता है.