मुरैना। एमपी में ठगी का एक हाई प्रोफाइल मामला सामने आया है. यहां SAF पुलिस की 5वीं बटालियन में पदस्थ एक आरक्षक ने 110 बेरोजगारों से ठगी की है. आरक्षक खुद को पूर्व राज्यसभा सांसद का पीएसओ बताकर 2 सालों तक ठगी करता रहा और किसी को भनक भी नहीं लगी. बेरोजगार युवक-युवतियों को पुलिस आरक्षक भर्ती और संविदा शिक्षक वर्ग-2 की मेरिट लिस्ट में नाम दर्ज कराने को लेकर करोड़ों रुपए ऐंठे हैं. जब पीड़ित रुपए मांगने गए तो उन्हें छेड़खानी, बलात्कार सहित अन्य मामलो में फंसाने की धमकियां देकर भगा दिया. इसको लेकर शुक्रवार को करीब 12 से अधिक पीड़ितों ने एसपी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन दिया और कार्रवाई की मांग की है. एसपी ने तत्काल इस मामले में संज्ञान लेते हुए SDOP को जांच के आदेश दिए हैं.
नंबर बढ़ाने के नाम पर ठगी: पीड़ितों ने शिकायत के दौरान बताया कि वे सभी कैलारस और पहाड़गढ़ तहसील के अंतर्गत आने वाले गांवों के रहने वाले हैं. एसपी ऑफिस पहुंचे बेरोजगारों में मोनू धाकड़ ने बताया कि "सोनेराम धाकड़ नाम के सिपाही ने 110 बेरोजगारों से संविदा शिक्षक वर्ग-2 की नौकरी दिलाने के नाम पर 10 से 12 लाख रुपए मांगे थे, इसमें से कुछ ने 10 लाख दिए तो किसी ने कुछ कम दिए. आरोपी ने 110 लड़कों से लगभग साढ़े 4 करोड़ रुपए नौकरी लगवाने के नाम पर ठगे." बता दें कि मोनू के इस परीक्षा में वास्तविक नंबर-92 थे, जिस पर आरोपी ने 113 नंबर बढ़ाने की बात कही. लेकिन बाद में उसे पता लगा कि नंबर तो बढ़े ही नहीं हैं और उसके साथ धोखा हुआ है. मोनू धाकड़ ने बताया कि उसने कैलारस थाना प्रभारी से लेकर SDOP तक को इसकी शिकायत की. यहां तक की पुलिस अधीक्षक से भी शिकायत की, लेकिन अब तक आरक्षक सोनेराम के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है.
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बीजेपी के नेता का दिखाया रसूख: मोनू के साथ आए सुमन धाकड़, राजेन्द्र धाकड़, राजवीर धाकड़, रिंकू धाकड़, अशोक धाकड़, अनूप, ब्रजेश, सुमेर, सतेंद्र और मातादीन धाकड़ के साथ भी ठगी हुई. सिपाही के सजातीय होने की वजह से वे सभी सोनेराम की बातों में आ गए और 2 से 3 किस्तों में पूरी रकम आरोपी के खाते में जमा करवा दी. इस मामले में रोचक बात ये है कि आरोपी सोनेराम खुद को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा का PSO होने का दावा करता था. पूर्व में वह सुरक्षा गार्ड के रुप में उनके निवास पर पदस्थ रहा था इसी के आधार पर वहां से हटने के बाद रसूख दिखा ठगी का जाल फैला बैठा. मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा भोपाल मुख्यालय को 20 अक्टूबर 2020 को पत्र लिखकर पदस्थ करने के निर्देश दिए गए थे. उसी पुराने लेटर को सोनेराम ने हथियार बनाया और युवाओं को लेटर दिखाकर अपनी पहुंच का झूठा बखान करने लगा. हालांकि इन दोनों ही नेताओं से उसका कभी कोई संबंध नहीं रहा मगर ट्रांसफर लेटर और गार्ड के रुप में पदस्थ होने के आधार पर फर्जीवाड़ा किया.