मुरैना। 8 साल के मासूम की गोद में 2 साल के छोटे भाई का शव मामले ने तूल पकड़ा, तो सरकार हरकत में आ गई है. मुख्यमंत्री ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए मुरैना जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को नोटिस थमाने के साथ ही जिला पंचायत सीईओ को तलब किया है. सीईओ को आज शाम 5 बजे तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए थे. सरकार ने मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई है. इस घटना से सरकार और स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. मुरैना CMHO ने सिविल सर्जन, ड्यूटी डॉक्टर, अम्बाह इंचार्ज और रेफर करने वाले डॉक्टर को नोटिस दिया है और दोषी के खिलाफ कार्रवाई की बात कह रहे हैं.
सरकार और अस्पताल प्रबंधन सावल खड़े किए: आठ साल का मासूम गुलशन अपने छोटे भाई की लाश गोद में लिए एंबुलेंस के इंतजार में बैठा रहा. इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार रजनीश दुबे ने सरकार और जिला अस्पताल प्रशासन पर कई सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने कहा, जिला अस्पताल में किसी भी गरीब मरीज की कोई सुनवाई नहीं होती और डॉक्टर भी मरीज की बात सही से नहीं सुनते हैं. जब मृतक बच्चे के पिता ने अस्पताल प्रबंधन से शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस मांगी, तो प्रबंधन एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं करा पाया. जाहिर है कि 600 बेड के अस्पताल में डेड बॉडी ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं है. सरकार दावा कर रही है कि हम गरीबों के हित के लिए कल्याण योजनाएं चला रहे हैं. इस घटना से मुरैना की छवि पूरे देश में धूमिल हुई है. उन्होनें कहा कि, इस मामले में बाल संरक्षण आयोग जाँच करा रहा है. जब जाँच का दायरा बढ़ेगा, तो इसमें CMHO और सिविल सर्जन सहित अन्य लोग जांच के घेरे में आएंगे. इसलिए अपने आप को बचाने के लिए CMHO अब नोटिस देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. नोटिस देने से पहले अगर ये जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारें, तो शायद ऐसे दृश्य देखने को नहीं मिलेंगे.
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CMHO ने मानी गलती: जब इस मामले को मीडिया ने उठाया तो सरकार हरकत में आई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए इस लापरवाही के लिए सिविल सर्जन डॉ. विनोद गुप्ता को नोटिस थमा दिया है, साथ ही जिला पंचायत सीईओ रोशन कुमार सिंह को तलब किया है. सीईओ को आज शाम 5 बजे तक इस मामले की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. वहीं इस मामले को लेकर CMHO डॉ. राकेश शर्मा ने गलती मानते हुए सिस्टम को सुधारने की बात कही है. वहीं सिविल सर्जन, ड्यूटी डॉक्टर, अम्बाह इंचार्ज और रेफर करने वाले डॉक्टर को नोटिस दिया है और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही जा रही हैं. अब ये देखना होगा कि जाँच के बाद सरकार या फिर CMHO दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं.
ये है पूरा मामला: अंबाह के बड़फरा गांव निवासी पूजाराम जाटव शनिवार की दोपहर करीब 12 बजे अपने दो साल के बेटे राजा को एंबुलेंस के जरिए अंबाह अस्पताल से रेफर कराकर जिला अस्पताल में लाए. एनीमिया और पेट में पानी भरने की बीमारी से ग्रसित राजा ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. अंबाह अस्पताल से राजा को लेकर जो एंबुलेंस आई वह तत्काल लौट गई. राजा की मौत के बाद उसके गरीब पिता पूजाराम ने अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ से शव को गांव ले जाने के लिए वाहन की बात कही तो, यह कहकर मना कर दिया कि शव ले जाने के लिए अस्पताल में कोई वाहन नहीं है, बाहर भाड़े से गाड़ी कर लो.
सड़क किनारे शव को गोद में लेकर बैठा रहा मासूम: अस्पताल परिसर में खड़ी एंबुलेंस के किसी संचालक ने एक तो किसी ने डेढ़ हजार रुपये भाड़े के मांगे. पूजाराम के पास इतनी रकम नहीं थी, इसलिए वह अपने बेटे राजा के शव को लेकर अस्पताल के बाहर आ गया, साथ में आठ साल का बेटा गुलशन भी था. अस्पताल के बाहर भी कोई वाहन नहीं मिला, इसके बाद गुलशन को नेहरू पार्क के सामने सड़क किनारे बने नाले के पास बैठाकर पूजाराम सस्ते रेट में वाहन तलाशने चला गया. करीब पौन घंटे तक आठ साल का गुलशन अपने दो साल के भाई के शव को गोद में लेकर बैठा रहा. इस दौरान उसकी नजरें टकटकी लगाए सड़क पर पिता के लौटने का इंतजार करती रहीं.
टीआई ने मौके पर पहुंच कर की मदद: कभी गुलशन रोने लगता, तो कभी अपने भाई के शव को दुलारने लगता. सड़क पर राहगीरों की भीड़ लग गई, जिसने भी यह द्श्य देखा उसकी रूह कांप गई. कई लोगों की आंखें से आंसू बह निकले. सूचना मिलने पर कोतवाली टीआई योगेंद्र सिंह जादौन आए, उन्होंने मासूम गुलशन की गोद से उसके भाई का शव उठवाया और दोनों को जिला अस्पताल ले गए. जहाँ गुलशन का पिता पूजाराम भी आ गया. उसके बाद एंबुलेंस से शव को बड़फरा भिजवाया गया. रोते हुए पूजाराम ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं, तीन बेटे व एक बेटी, जिनमें राजा सबसे छोटा था. पूजाराम के अनुसार उसकी पत्नी तुलसा तीन महीने पहले घर छोड़कर अपने मायके डबरा चली गई है. वह खुद ही बच्चों की देखभाल करता है.
छतरपुर में भी मानवता हुई शर्मसार: मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की स्वास्थ्य सेवाओं के हाल कितने बेहाल हैं, ये किसी से छिपा नहीं हैं. इसी कड़ी में नगर परिषद का अमानवीय चेहरा भी सामने आया है. यहां चार साल की मासूम बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने नगर परिषद से शव वाहन देने की मिन्नतें कीं लेकिन उन्हें वाहन नहीं दिया गया. अंत में परिजन बदहाल सरकारी व्यवस्था से हार गए और बच्ची को सीने से चिपकाकर घर के लिए तेज धूप में निकल पड़े.
शव देखकर भी नहीं पसीजा जिम्मेदारों का दिल: नगर परिषद का अमानवीय चेहरा उजागर करने वाला यह मामला बकस्वाहा क्षेत्र का है. मासूम बच्ची को बुखार के चलते पड़ोसी जिले दमोह रिफर किया गया था. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी. वहां से परिजन शव को बस से लेकर बकस्वाहा आये थे. चूंकि, पोंडी गांव बकस्वाहा (Pondi Buckswaha) से चार किलोमीटर दूर है, इसलिए मृतक बच्ची के परिजनों ने नगर परिषद से शव वाहन की मांग की. लेकिन मासूम के शव को देखकर भी जिम्मेदार अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा और वाहन देने से साफ इंकार कर दिया.
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शव लेकर पैदल चल दिये परिजन: शव वाहन नहीं मिलने के बाद मजबूरन परिजन उसे सीने से चिपका कर अपने गांव पैदल चल दिये. आधी दूर चलने पर लोगों ने यह दृश्य देखा तो परिजनों से पूछा कि शव वाहन क्यों नहीं मिला. तब परिजनों ने उन्हें पूरी आपबीती सुनाई. परिजनों की व्यथा सुनकर लोगों ने नगर परिषद से बात की, तब जाकर शव वाहन उपलब्ध हो सका. इस मामले में लापरवाही उजागर होने पर अब सीएमएचओ जांच की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि इस तरह की लापरवाही भविष्य में नहीं हो इसका ध्यान रखा जायेगा.(Ambulance not found to carry dead body) (family walked on foot with girl dead body)