मुरैना। चंबल अंचल को ज्यादातर लोग बीहड़ और डाकुओं के लिए जानते हैं. लेकिन अब इस जमीन की फिजा बदल रही है. यहां से शिक्षा,कला और खेल के क्षेत्र में भी कई प्रतिभाएं देश दुनिया में अपना नाम रोशन कर रही है. ऐसी ही एक प्रतिभा को क्रिकेट में मौका मिला है. मुरैना जिले की अम्बाह तहसील के एक छोटे से गांव पाली से निकले आलोक बघेल अब मुंबई में ज्वाला सिंह कोच से ट्रेनिंग लेने जा रहा है.
ज्वाला सिंह के ट्रेनिंग कैंप में सिलेक्ट हुए आलोक को क्रिकेट की कोचिंग दी जाएगी. जिसका पूरा कर्ज ज्वाला सिंह की अकेडमी उठाएगी. ज्वाला सिंह के सिखाए हुए यशवी अंडर-19 में और आईपीएल में खेल चुके हैं. आलोक और उसके कोच रवि उपाध्याय इस सफलता से खुश हैं, और उनको आशा है कि आलोक एक दिन जरूर इंडिया के लिए भी क्रिकेट खेलकर अपने मध्यप्रदेश का नाम रोशन करेगा.
आलोक का वीडियो देख किया सिलेक्ट
अम्बाह क्रिकेट क्लब के लिए खेलते हुए आलोक ने पिछले महीने 102 गेंदों में 152 रनों की शानदार पारी खेली. जिसका वीडियो बनाकर आलोक के कोच रवि उपाध्याय ने मुंबई के ज्वाला सिंह को भेजा. जिसे देखकर ज्वाला सिंह की एकेडमी ने आलोक को सिलेक्ट किया है. वो उसे अपने खर्चे पर ही पूरी ट्रेनिंग देंगे. आलोक इस मौके से बहुत खुश है. आलोक का कहना है कि जिले में क्रिकेट का मैदान ना होने से कई खिलाड़ी नहीं खेल पा रहे हैं. कोच रवि उपाध्याय के अनुसार अगर परिजन भी बच्चों को थोड़ा मोटिवेट करें तो कई प्रतिभाएं जिले से निकल सकती है और अपने मुरैना जिले के साथ-साथ मध्यप्रदेश का नाम रोशन कर सकती है.
मैदान ना होने से मायूस हो जाते खिलाड़ी
खिलाड़ी आलोक बघेल के कोच रवि उपाध्याय ने बताया कि आलोक मुरैना जिले के एक छोटे से गांव और एक मिडिल फैमली से है. आलोक के सिलेक्ट होने के बाद हम लोगों में बहुत खुशी है.अगर अम्बाह क्षेत्र में कोई खेल मैदान हो तो यहां से कई प्रतिभाएं निकल सकती है. जब हम आसपास के जिलों में खेलने जाते हैं. घर में ही खेल मैदान न हो तो खिलाड़ी मायूस हो जाते हैं. कोच रवि के अनुसार खेल मैदान की मांग को लेकर अम्बाह एसडीएम से लेकर कलेक्टर और विधायकों से कई बार ज्ञापन दिए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. उन्होंने कहा कि आलोक की मेहनत की वजह से अम्बाह से आलोक ज्वाला सिंह की एकेडमी के लिए मुंबई जा रहा है. हम सब को आशा है कि एक दिन आलोक इंडिया के लिए जरूर खेलेगा और मुरैना जिले के साथ साथ मध्यप्रदेश का नाम रोशन करेगा.
अम्बाह से लगभग 18 किलोमीटर दूर पाली गांव का रहने वाला 15 वर्षीय आलोक बघेल के पिता हलवाई के काम करते हैं. आलोक क्रिकेट खेलने की प्रैक्टिस करने अपने गांव पाली से हर रोज साइकिल से अम्बाह में खेलने आता है. जहां रवि उपाध्याय कोच उसे एक निजी स्कूल की जमीन पर उसे प्रेक्टिस कराया करते है.