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चंबल नदी का 'रौद्र' रूप: 89 गांव बाढ़ प्रभावित, ग्रामीणों तक नहीं पहुंच रही सरकारी मदद, ईटीवी भारत पर जानें ग्राउंड रिपोर्ट

लगातार बारिश के कारण ग्वालियर-चंबल अंचल में बाढ़ के हालात हैं. 89 गांव जलमग्न हो गए, लोग अपने घर को छोड़ बाहर रहने को मजबूर हैं. ऐसे में लोगों को सरकारी मदद तक नहीं मिल रही है. जिस वजह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

GWALIOR FLOOD
चंबल नदी का 'रौद्र' रूप
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Published : Aug 4, 2021, 9:44 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 10:21 PM IST

मुरैना। ग्वालियर-चंबल अंचल में बाढ़ के हालात बन चुके हैं. जोरदार बारिश के कारण चंबल नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है. नदी खतरे के निशान से 5 मीटर ऊपर बह रही है. जिस वजह से नदी किनारे बसे कई गांव जलमग्न हो गए. दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारी बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने और खाने-पीने की तमाम व्यवस्था होने के दावे कर रहा है. लेकिन ईटीवी भारत जब मौके पर पहुंचा, तो जमीनी हकीकत कुछ और ही पाई गई. असल स्थिति जानने के लिए यह रिपोर्ट पढ़ें.

चंबल नदी का 'रौद्र' रूप

चंबल नदी खतरे के निशान के ऊपर

चंबल नदी खतरे के निशान से 5 मीटर ऊपर से बह रही है. नदी किनारे बसे गांव जलमग्न हो चुके हैं. सरायछौला थाना क्षेत्र के भानपुर गांव सहित आस-पास के गांव में स्थिति यह है कि लोग बेघर हो चुके हैं. दो दिनों से ग्रामीण सड़क पर रह रहे हैं. सरकारी मदद नहीं मिलने से लोगों में काफी नाराजगी भी देखी जा रही है. उनका कहना है कि प्रशासन चाहे कितने भी पुख्ता इंतजाम के दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. ग्रामीणों के रहने तक की कोई व्यवस्था नहीं है.

GWALIOR FLOOD
खुले आसमान के नीचे रह रहे लोग

नहीं पहुंचे एक भी प्रशानिक अधिकारी

ग्रामीणों के मुताबिक, बाढ़ के बाद से अभी तक सरकारी विभाग का न कोई कर्मचारी पहुंचा है, न ही अधिकारी. बच्चे और महिलाएं खुले आसमान के नीचे रह रहे है. ऐसे में कभी भी कोई हादसा हो सकता है. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल इसी तरह चंबल नदी का पानी गांव में भर जाता है, इस बार प्रशासन की तरफ से पानी बढ़ने की कोई सूचना नहीं दी गई, मदद के लिए कोई अधिकारी भी नहीं आए, सभी स्वंय पानी में ट्यूब के सहारे और तैरकर गांव से बाहर निकले हैं, और दो दिन से सड़क पर पड़े हुए हैं.

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हाईवे किनारे रहने को लोग मजबूर

बाढ़ से 89 गांव प्रभावित

चंबल नदी के प्रकोप को झेल रहे मुरैना जिले के 89 गांव के ग्रामीण परेशान हैं. सबलगढ से लेकर पोरसा जनपद के चंबल किनारे बसे गांव में ज्यादातर पानी भर गया है. किसानों की बाजरे की फसल नष्ट हो चुकी है. चंबल नदी के उफान पर आने से अंबाह क्षेत्र के किसरोली गांव में मंदिर आधा डूब चुका है. इसके अलावा कई गांव भी चंबल नदी से घिर चुके हैं.

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89 गांव बाढ़ प्रभावित

भ्रष्टाचार के पुल: सिंध नदी पर एक-एक कर बहे 3 पुल, कांग्रेस ने गुणवत्ता पर उठाए सवाल

बोट तक नहीं मिली, ग्रामीणों ने खुद की व्यवस्था

जौरा विकासखण्ड के ग्राम खिटोरा के काबिल का पुरा में करीब 100 लोग क्वारी नदी में आई बाढ़ की वजह से फंस गए थे. जिन्हें निकालने के लिए प्रशासन की तरफ से बोट तक की व्यवस्था नहीं की गई. ग्रामीणों ने बताया कि जौरा SDOP मानवेन्द्र सिंह पुलिस फोर्स के साथ सबसे पहले गांव पहुंचे थे, लेकिन बोट नहीं होने से रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं चलाया जा सका. बाद में गांव की ही एक लड़की के ससुराल से बोट मंगवाई गई, जिसके बाद सैकड़ों ग्रामीणों को एसडीओपी और उनकी टीम की मदद से बाहर निकाला गया.

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बाढ़ से 89 गांव प्रभावित

8 पंचायतें क्वारी नदी से घिरीं, नदी पर बने सभी पुल बंद

चंबल नदी के अलावा क्वारी नदी भी उफान पर है. रामपुर कलां से भी क्वारी नदी गुजरती है. नदी में 10 मीटर पानी चढ़ने की वजह से 12 में से 8 पंचायतों के रास्ते पर नदी का पानी चढ़ गया है. इस वजह से रामपुर कलां क्षेत्र की बेरखेड़ा, गोबरा, बामसोली, सेमना, डुंगरावली, रुनघान खालसा, सालई, जलालगढ़ पंचायत सहित मजरा जरैना, थापर, बहेरी, बातेड़, बंगा, भवरेछा, जौंसिल का पूरा संपर्क रामपुर कलां गांव से कट गया है.

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क्वारी नदी पर बने सभी पुल बंद

निठारे और रुनघान खालसा के निचले हिस्सों में क्वारी नदी का पानी भर गया है. इसके साथ ही मुरैना शहर से गुजरी क्वारी नदी में उफान आने के बाद बुधवार को नेशनल हाइवे-3 पर नदी पर बने पुराने पुल से वाहनों का आवागमन बंद कर दिया, केवल एक साइड से वाहनों की आवाजाही हो रही है.

बाढ़ में फंसी जिंदगियों के लिए देवदूत बनी सेना, पाली गांव के 46 लोगों का 24 घंटे बाद रेस्क्यू

सिंध नदी के ऊपर बना रेलवे ट्रैक दोबारा शुरू

ग्वालियर में डबरा तहसील के सिंध नदी के ऊपर बने रेलवे ट्रैक को कुछ घंटों बाद दोबारा शुरू कर दिया गया है. सिंध नदी पर बने पुल की सतह पर बाढ़ का पानी आ जाने के बाद एहतियातन झांसी से दिल्ली जाने वाला ट्रैक बंद कर दिया गया था. रेलवे प्रशासन ने इसके लिए दो ट्रेनों को रद्द किया था, लेकिन बुधवार सुबह सिंध नदी का जलस्तर कम होने के बाद इसे खोल दिया गया है. पानी का जलस्तर ज्यादा होने से डाउन ट्रैक पर ट्रेनों को 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजारा जा रहा है.

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ट्रैक से धीरे-धीरे निकल रही ट्रेन

मंगलवार देर रात सिंध नदी में तेज बहाव के चलते रेलवे ट्रैक को बंद कर दिया गया था. जिससे डाउन ट्रैक की करीब एक दर्जन पैसेंजर और गुड्स ट्रेन प्रभावित हुईं थी. रेलवे प्रशासन का कहना है कि अब ट्रैक को खोल दिया गया है, लेकिन सतर्कता बरती जा रही है. गौरतलब है कि चंबल नदी पर रेलवे पुल के नजदीक पानी के बहाव को देखते हुए ट्रेनों को सतर्कता से निकाला जा रहा है.

मुरैना। ग्वालियर-चंबल अंचल में बाढ़ के हालात बन चुके हैं. जोरदार बारिश के कारण चंबल नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है. नदी खतरे के निशान से 5 मीटर ऊपर बह रही है. जिस वजह से नदी किनारे बसे कई गांव जलमग्न हो गए. दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारी बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने और खाने-पीने की तमाम व्यवस्था होने के दावे कर रहा है. लेकिन ईटीवी भारत जब मौके पर पहुंचा, तो जमीनी हकीकत कुछ और ही पाई गई. असल स्थिति जानने के लिए यह रिपोर्ट पढ़ें.

चंबल नदी का 'रौद्र' रूप

चंबल नदी खतरे के निशान के ऊपर

चंबल नदी खतरे के निशान से 5 मीटर ऊपर से बह रही है. नदी किनारे बसे गांव जलमग्न हो चुके हैं. सरायछौला थाना क्षेत्र के भानपुर गांव सहित आस-पास के गांव में स्थिति यह है कि लोग बेघर हो चुके हैं. दो दिनों से ग्रामीण सड़क पर रह रहे हैं. सरकारी मदद नहीं मिलने से लोगों में काफी नाराजगी भी देखी जा रही है. उनका कहना है कि प्रशासन चाहे कितने भी पुख्ता इंतजाम के दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. ग्रामीणों के रहने तक की कोई व्यवस्था नहीं है.

GWALIOR FLOOD
खुले आसमान के नीचे रह रहे लोग

नहीं पहुंचे एक भी प्रशानिक अधिकारी

ग्रामीणों के मुताबिक, बाढ़ के बाद से अभी तक सरकारी विभाग का न कोई कर्मचारी पहुंचा है, न ही अधिकारी. बच्चे और महिलाएं खुले आसमान के नीचे रह रहे है. ऐसे में कभी भी कोई हादसा हो सकता है. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल इसी तरह चंबल नदी का पानी गांव में भर जाता है, इस बार प्रशासन की तरफ से पानी बढ़ने की कोई सूचना नहीं दी गई, मदद के लिए कोई अधिकारी भी नहीं आए, सभी स्वंय पानी में ट्यूब के सहारे और तैरकर गांव से बाहर निकले हैं, और दो दिन से सड़क पर पड़े हुए हैं.

GWALIOR FLOOD
हाईवे किनारे रहने को लोग मजबूर

बाढ़ से 89 गांव प्रभावित

चंबल नदी के प्रकोप को झेल रहे मुरैना जिले के 89 गांव के ग्रामीण परेशान हैं. सबलगढ से लेकर पोरसा जनपद के चंबल किनारे बसे गांव में ज्यादातर पानी भर गया है. किसानों की बाजरे की फसल नष्ट हो चुकी है. चंबल नदी के उफान पर आने से अंबाह क्षेत्र के किसरोली गांव में मंदिर आधा डूब चुका है. इसके अलावा कई गांव भी चंबल नदी से घिर चुके हैं.

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89 गांव बाढ़ प्रभावित

भ्रष्टाचार के पुल: सिंध नदी पर एक-एक कर बहे 3 पुल, कांग्रेस ने गुणवत्ता पर उठाए सवाल

बोट तक नहीं मिली, ग्रामीणों ने खुद की व्यवस्था

जौरा विकासखण्ड के ग्राम खिटोरा के काबिल का पुरा में करीब 100 लोग क्वारी नदी में आई बाढ़ की वजह से फंस गए थे. जिन्हें निकालने के लिए प्रशासन की तरफ से बोट तक की व्यवस्था नहीं की गई. ग्रामीणों ने बताया कि जौरा SDOP मानवेन्द्र सिंह पुलिस फोर्स के साथ सबसे पहले गांव पहुंचे थे, लेकिन बोट नहीं होने से रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं चलाया जा सका. बाद में गांव की ही एक लड़की के ससुराल से बोट मंगवाई गई, जिसके बाद सैकड़ों ग्रामीणों को एसडीओपी और उनकी टीम की मदद से बाहर निकाला गया.

GWALIOR FLOOD
बाढ़ से 89 गांव प्रभावित

8 पंचायतें क्वारी नदी से घिरीं, नदी पर बने सभी पुल बंद

चंबल नदी के अलावा क्वारी नदी भी उफान पर है. रामपुर कलां से भी क्वारी नदी गुजरती है. नदी में 10 मीटर पानी चढ़ने की वजह से 12 में से 8 पंचायतों के रास्ते पर नदी का पानी चढ़ गया है. इस वजह से रामपुर कलां क्षेत्र की बेरखेड़ा, गोबरा, बामसोली, सेमना, डुंगरावली, रुनघान खालसा, सालई, जलालगढ़ पंचायत सहित मजरा जरैना, थापर, बहेरी, बातेड़, बंगा, भवरेछा, जौंसिल का पूरा संपर्क रामपुर कलां गांव से कट गया है.

GWALIOR FLOOD
क्वारी नदी पर बने सभी पुल बंद

निठारे और रुनघान खालसा के निचले हिस्सों में क्वारी नदी का पानी भर गया है. इसके साथ ही मुरैना शहर से गुजरी क्वारी नदी में उफान आने के बाद बुधवार को नेशनल हाइवे-3 पर नदी पर बने पुराने पुल से वाहनों का आवागमन बंद कर दिया, केवल एक साइड से वाहनों की आवाजाही हो रही है.

बाढ़ में फंसी जिंदगियों के लिए देवदूत बनी सेना, पाली गांव के 46 लोगों का 24 घंटे बाद रेस्क्यू

सिंध नदी के ऊपर बना रेलवे ट्रैक दोबारा शुरू

ग्वालियर में डबरा तहसील के सिंध नदी के ऊपर बने रेलवे ट्रैक को कुछ घंटों बाद दोबारा शुरू कर दिया गया है. सिंध नदी पर बने पुल की सतह पर बाढ़ का पानी आ जाने के बाद एहतियातन झांसी से दिल्ली जाने वाला ट्रैक बंद कर दिया गया था. रेलवे प्रशासन ने इसके लिए दो ट्रेनों को रद्द किया था, लेकिन बुधवार सुबह सिंध नदी का जलस्तर कम होने के बाद इसे खोल दिया गया है. पानी का जलस्तर ज्यादा होने से डाउन ट्रैक पर ट्रेनों को 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजारा जा रहा है.

GWALIOR FLOOD
ट्रैक से धीरे-धीरे निकल रही ट्रेन

मंगलवार देर रात सिंध नदी में तेज बहाव के चलते रेलवे ट्रैक को बंद कर दिया गया था. जिससे डाउन ट्रैक की करीब एक दर्जन पैसेंजर और गुड्स ट्रेन प्रभावित हुईं थी. रेलवे प्रशासन का कहना है कि अब ट्रैक को खोल दिया गया है, लेकिन सतर्कता बरती जा रही है. गौरतलब है कि चंबल नदी पर रेलवे पुल के नजदीक पानी के बहाव को देखते हुए ट्रेनों को सतर्कता से निकाला जा रहा है.

Last Updated : Aug 4, 2021, 10:21 PM IST
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