मुरैना। जिले में भले ही रेत माफिया चंबल घाट से रेत का अवैध उत्खनन कर रोजाना सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली भरकर मुरैना और आसपास के जिलों में खपाते हैं. लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन की टीम जब भी कार्रवाई करने पहुंचती है तो उनको माफिया एक भी नजर नहीं आता. अधिकारी जब भी कार्रवाई करने के लिए चंबल के राजघाट पहुंचते हैं, तो वहां पर सिर्फ डंप रेत के टीलों के अलावा कुछ नहीं मिलता. अधिकारी रेत के टीलों को मिट्टी में मिलाकर वापस लौट आते हैं. ऐसा ही कुछ मुरैना में शनिवार को हुआ.
कार्रवाई पर कांग्रेस का तंज: शनिवार को मुरैना पुलिस और फारेस्ट विभाग के अधिकारी रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने दलबल के साथ भानपुर और राजघाट पहुंचे. यहां उन्हें रेत माफिया तो नहीं मिले लेकिन खेतों में डंप रेत के टीले नजर आए. अधिकारी कार्रवाई के नाम पर 50 लाख घनमीटर रेत मिट्टी में नष्टीकरण कर वापस लौट आए और अपनी पीट थपथपाते रहे. पुलिस प्रशासन की रेत माफियाओं पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेस नेता ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस नेता राकेश परमार का कहना है कि, पुलिस प्रशासन की ये कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए है. यही कारण है कि जब पुलिस प्रशासन कार्रवाई करने के लिए वहां पर पहुंचता है तो माफिया पहले ही भाग जाते हैं. इससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं पुलिस प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारियों का रेत माफियाओं के बीच सांठगांठ है.
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भाग जाते हैं माफिया: सबसे मजेदार बात ये है कि चंबल के भानपुर और राजघाट से रेत माफिया रोजाना अवैध उत्खनन कर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर सैकड़ों की संख्या में मुरैना और आसपास के शहरों में खपा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को इसपर बिलकुल भी नजर नहीं है. रेत माफिया पुलिस और फॉरेस्ट विभाग की टीम के आने से पहले ही गायब हो जाते है. इसका मतलब साफ है कि या तो रेत माफियाओं का मुखबिर तंत्र काफी मजबूत है, या फिर कार्रवाई करने वालों में से ही कोई भेदिया है जो इसकी जानकारी उन तक पहले ही पहुंचा देता है.