मुरैना। लेपा हत्याकांड के पूरे एक सप्ताह बाद पुलिस की मानवता सामने आई है. पुलिस ने भूख, प्यास से व्याकुल हो रहे आरोपियों के मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. यहीं नहीं बीमार घोड़ी को उपचार के लिए पशु अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस के इस कार्य की जमकर तारीफ हो रही है. हालांकि इस हत्याकांड के 4 आरोपी अभी फरार घूम रहे हैं. पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है.
पुरानी रंजिश में 6 की हत्या: जानकारी के अनुसार, सिहोनियां थाना क्षेत्र के लेपा गांव में पुरानी दुश्मनी के चलते नामजद आरोपियों ने रायफल से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाते हुए 6 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इस भीषण नरसंहार ले बाद पुलिस ने दो आरोपियों को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया था, जबकि मुख्य आरोपी सहित 8 लोग मौके से भाग गए थे. पुलिस ने इस घटना के तीसरे दिन मुख्य आरोपी को शॉर्ट एनकाउंटर के दौरान गिरफ्तार कर लिया. पुलिस इस घटना के कुल 10 आरोपियों में से अभी तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. चार आरोपी अभी बाहर घूम रहे हैं. आईजी चम्बल रेंज की ओर से आरोपियों पर 30-30 हजार का इनाम घोषित किया गया है.
दुश्मनी भूलकर आरोपियों के मवेशियों को दिया खाना-पानी: उल्लेखनीय है कि, इस घटना को गुजरे पूरा एक सप्ताह हो गया है. इस दौरान आरोपियों के मवेशी एक सप्ताह से भूखे-प्यासे उनके दरवाजे पर बंधे हुए थे. भूख-प्यास से व्याकुल हो रहे मवेशियों को देखकर पीड़ित परिवार का दिल भी पसीज गया. बताते हैं कि, पीड़ित पक्ष अपनी दुश्मनी भूलकर उनके मवेशियों को पानी पिला देते थे. मवेशियों में भैंस वंश के साथ एक घोड़ी भी है. घोड़ी भूख-प्यास से बेहाल होकर बीमार हो गई. पीड़ित पक्ष से नसीहत लेते हुए पुलिस ने भी मानवता दिखाई. पुलिस घोड़ी के साथ सभी मवेशियों को लोडिंग वाहन में लादकर सिहोनियां थाने ले गई. यहां से घोड़ी को उपचार के लिए जिला अस्पताल भेज दिया है. इस मामले में ASP रायसिंह नरवरिया का कहना है कि ''लेपा हत्याकांड में आरोपियों के घर पर बंधे मवेशियों को लोडिंग वाहन से लाया गया है क्योंकि वो भूख से पीड़ित थे. वरिष्ठ अधिकारीयों के निर्देश पर उनको किसी के सुपर्द किया जाएगा.''
मामले में बड़ा खुलासा: इधर, लेपा हत्याकांड में फरार आरोपी श्याम सिंह तोमर श्यामू ने शनिवार को बड़ा खुलासा किया. उसने कहा, उसके चाचा के लड़के अजीत तोमर ने सरेंडर किया था, इसके 2 घंटे बाद उसे शॉर्ट एनकाउंटर बताकर गिरफ्तार करना बताया. उसे भी एनकाउंटर का डर था, इसलिए वह कोर्ट में सरेंडर करना चाहता था. उसका तो दावा है कि घटना वाले दिन वह गांव में था ही नहीं. जिस वक्त लेपा गांव में गोली मारकर 6 लोगों की हत्या की गई, उस वक्त वह पुणे के टोल नाके पर ड्यूटी कर रहा था. सबूत के तौर पर पुणे टोल नाके का सीसीटीवी फुटेज वकील को सौंपे हैं.