मुरैना। कहते हैं कि अगर हौसला मजबूत हो और कुछ कर गुजरने का जुनून तो हर मुश्किल राह आसान हो जाती है. ऐसी ही एक कहानी है मुरैना के पोरसा जनपद की ग्राम पंचायत रजौधा में रहने वाली महिला मिथलेश तोमर की. पति की मौत के बाद निजी स्कूल में टीचिंग कर रहीं मिथलेश तोमर की कहानी संघर्षों से भरी है.
10 वीं तक पढाई करने वालीं मिथलेश तोमर शादी के बाद कड़ी मेहनत के बलबूते आज मास्टर ऑफ सोशल वर्क की डिग्री हासिल की है. निजि स्कूल के अलावा कोचिंग पढ़ाकर परिवार का भरण पोषण करने वालीं मिथलेश तोमर नेहरु युवा केंद्र से जुड़ीं और स्वच्छ भारत के प्रति लोगों को जागरूक किया. इसके बाद उन्हें नई पहचान मिली और राज्यपाल ने सम्मानित भी किया.
मिथलेश ने स्वच्छता अभियान के तहत खुले में शौंच मुक्त, पॉलीथिन से हानी समेत स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया और राजौध के अलावा पोरसा जनपद के दूसरें गांव में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक किया. लिहाजा उन्हें पूरे जिले में एक अलग पहचान मिली है.
राज्यपाल ने किया सम्मानित
मिथलेश तोमर को स्वच्छता के बेहतर काम के लिए पहले ब्लॉक स्तर पर सराहा गया, फिर जिला स्तर पर 2019 में सम्मानित कर 30 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई. मिथलेश के काम की रिपोर्ट फाइल दूसरे कार्यकर्ताओं से बेहतर होने के कारण उसे राज्य स्तर पर दिये जाने वाले पुरस्कार की चयन समिति को भेजा गया.
शादी के कुछ समय बाद पति की मौत
मिथलेश की रिपोर्ट को राज्य स्तर पर तीसरा स्थान मिला. लिहाजा उन्हें तत्कालीन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में आयोजित एक समारोह के दौरान सम्मानित किया.मिथलेश का जन्म भिंड जिले के एक गांव में हुआ, 10वीं तक पढ़ाई करने वाली मिथलेश की शादी मुरैना जिले के राजौधा गांव में हो गई. शादी के बाद से ही मिथलेश और उसके ससुराल पक्ष के लोगों से विचार नहीं मिलते थे. पति भी बेरोजगार था. इसी बीच उसके पति की मौत हो गई. इसके निजी स्कूल टीचिंग के साथ उसने नेहरू युवा केंद्र से मिलने वाले प्रोजेक्ट पर काम किया और आगे बढ़ती गईं.