मुरैना। जौरा विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में एक बार फिर कैलारस शुगर मिल का मुद्दा उठ सकता है. क्योंकि सरकार इसे एक बार फिर पीपीपी मोड पर शुरू करना चाहती है, जबकि पूर्व की भाजपा सरकार के दौरान पीपीपी मोड पर इस मील को चालू करने को लेकर कांग्रेस ने काफी विरोध किया था. पीपीपी मोड मील के शुरू होने से किसानों के सहकारी व्यवस्था की नींव को खत्म कर दी दाएगी और मील पूरी तरह निजी हाथों में चली जाएगी.
पीपीपी मोड़ का कांग्रेस करती थी विरोध
शिवराज सरकार पीपीपी मोड पर शुगर मिल चालू करना चाहती थी, तब कांग्रेस इसे मुद्दा बनाकर न केवल विरोध जताती थी.बल्कि बड़े पैमाने पर किसानों को लेकर आंदोलन करती और भाजपा पर मिल बेचने का आरोप लगाती थी. कांग्रेस की सरकार बने एक साल से अधिक हो गया है, लेकिन अभी तक न शुगर मिल चालू हुई और ना ही किसानों और कर्मचारियों के बकाया का भुगतान हो सका. ऐसे में जौरा विधानसभा में होने वाले उपचुनाव से पहले सरकार कैलारस सहकारी शक्कर कारखाने को पीपीपी मोड पर चालू करने की बात कहने गली है.
किसानों और कर्मचारियों का बकाया अधर में
अभी तक मिल के कर्मचारियों के वेतन और भत्ते मिलाकर लगभग 22 करोड़ का भुगतान और गन्ना किसानों के बकाया 1 करोड़ रुपये के भुगतान पर कोई स्पष्ट मसौदा तैयार नहीं किया है. ऐसे में नही लगता कि अप्रैल मई माह में होने वाले उप चुनाव से पहले किसानों और कर्मचारियों को सरकार भुगतान कर सन्तुष्ट कर पायेगी.