मुरैना। कृषि कानूनों के विरोध में किसान 19 दिन से कड़ाके की ठंड में डटे हैं. सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान की सिंघु बॉर्डर पर मौत हो गई. किसान की मौत हार्टअटैक की वजह से होना बताई जा रही है. वहीं पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि वामपंथी ताकतों द्वारा किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है. देश विरोधी के शाहीन बाग आंदोलन का जो अंत हुआ ठीक उसी तरह इस किसान आंदोलन का भी हश्र होने जाया जा रहा है.
कृषि कानून का बचाव
जयभान सिंह पवैया ने कहा कि कृषि संबंधी कानूनों को लेकर विपक्षी दलों द्वारा जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं. उन से पर्दा हटाने के लिए भाजपा ने सभी जिला मुख्यालयों पर एक साथ प्रेस वार्ता आयोजित कर किसानों तक सरकार की मंशा को पहुंचाने के लिए पहल की है.
किसानों को बढ़कर मिलेंगे अधिकार
किसान आंदोलन से जुड़े मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करते हुए पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि जिन बिंदुओं को लेकर विपक्षी दल और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता किसान आंदोलन में शामिल हुए रहे हैं. वह वास्तविकता से हटकर किसानों को गुमराह कर रहे हैं. वह नहीं चाहते कि किसान कभी देश में आत्मनिर्भर बने.
पूर्व मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की नीतियों पर चर्चा करते हुए बताया कि जिस तरह औद्योगिक क्षेत्र के लोगों को अपने उत्पाद का मूल्य तय करने का पूरा अधिकार है. ठीक उसी तरह किसानों को भी उनकी उपज का मूल्य तय करने का अधिकार होना चाहिए और यही कारण है कि सरकार ने निश्चित मंडियों को छोड़कर किसानों को मुक्त बाजार उपलब्ध कराने गए लिए कानून बनाया है.
किसान हो रहे हैं गुमराह
सरकार चाहती है कि किसान डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी अपने लिए बाजार तलाश कर सके. जो प्रावधान सरकार लेकर आ रही है, वह कथित बिचौलियों को मंजूर नहीं है. इसलिए वह किसानों के रूप में शामिल होकर उनकी समस्या का समाधान करने के बजाय उन्हें गुमराह कर रहे हैं.
सरकार चाहती है कि किसानों को कर मुक्त बाजार मिले. इसलिए जिला और राज्य स्तर की सीमाएं सरकार नए कानूनों में समाप्त कर दी हैं. यही नहीं सरकार यह भी चाहती है कि किसी भी फसल का मिनिमम समर्थन मूल्य तो सरकार देगी ही, लेकिन मैक्सिमम मूल्य भी किसान प्राप्त कर सके, इसके लिए उसे स्वतंत्र अधिकार दिए गए हैं.
सुरक्षित है सारे अधिकार
किसानों की फसल को ठेका पद्धति पर देने वाले कानून पर भी पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने बताया कि इस कानून के तहत किसानों के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं. अगर किसान को उसके उत्पाद का उचित मूल्य ठेकेदार द्वारा दिया जाएगा तो वह फसल बेचे. किसान के सारे अधिकार नए नियमों के तहत सुरक्षित हैं. किसान अपनी तरफ से कभी भी अनुबंध को समाप्त करने के लिए स्वतंत्र है, जब की व्यापारी को अनुबंध समाप्त करने का अधिकार नहीं होगा.
कालाबाजारी पर अंकुश
जयभान सिंह पवैया ने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम कानून में संशोधन करने से लोगों को भंडारण करने की छूट जरुर मिलेगी, लेकिन इससे काला बाजारी नहीं बढ़ेगी. क्योंकि कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए एसडीएम स्तर के अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए गए हैं. वही सरकार भी फसलें खरीदने का काम लगातार करती रहेगी. जिससे किसी एक व्यवसाय अथवा संस्थान का आधिपत्य किसी एक वस्तु पर नहीं होगा.
किसान हित में 'कानून'
कृषि उपज मंडी समितियों के बाहर खरीदी करने की छूट मिलने से व्यवसायी किसानों के साथ धोखा कर सकते हैं अथवा ठगी करेंगे, इस पर भी उन्होंने ने सफाई देते हुए कहा कि इसकी निगरानी के लिए प्रशासनिक अधिकारी तैनात रहेंगे और उन्हें इस संबंध में पर्याप्त अधिकार दिए गए हैं जो किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए आवश्यक हैं. इस तरह की शंका मन में किसानों को नहीं पालनी चाहिए सरकार इन सब बातों को और बिंदुओं को नए कानूनों में विचार विमर्श के बाद तय किया गया है.