मुरैना। जिले में खुलेआम अवैध रेत का कारोबार किया जा रहा है. खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि अवैध रेत से भरे ट्रैक्टर और ट्रक एसपी ऑफिस और कोतवाली थाने के सामने से दिनदहाड़े फर्राटे मारते निकलते हैं. मजाल है कि पुलिस इन को रोकने की जहमत भी उठा ले. रेत माफियाओं के ट्रैक्टर शहर में यमराज की तरह घूम रहे हैं. वहीं पुलिस कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करके अपना पल्ला झाड़ लेती है.
रेत माफियाओं को मिल रहा राजनीतिक संरक्षण
चंबल से अवैध रेत उत्खनन के तार सीधे तौर पर राजनैतिक रसूखदारों से जुड़ रहे हैं. इसका खुलासा समय-समय पर बीजेपी नेता ही नहीं, बल्कि कमलनाथ सरकार के ही विधायक और मंत्री तक कर चुके हैं. रसूखदार विधायकों के चलते पुलिस इन खनन माफियाओं के आगे नतमस्तक नजर आ रही है. बीजेपी के पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार ने कांग्रेस विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं मंत्री लाखन सिंह ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि क्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन में कमी आई है.
शहर में हो चुके हैं कई गंभीर हादसे
4 महीने पहले अंबाह रोड पर ट्रैक्टर से कुचलकर छात्रा की मौत के मामले में पुलिस अभी तक आरोपी का पता नहीं लगा पाई है. ठीक उसके 10 दिन बाद महुआ गांव में भी रेत से भरे ट्रैक्टर ने युवक को कुचल दिया. 2 महीने पहले रेलवे फाटक के सामने स्कूल वैन में टक्कर मारने वाले ट्रैक्टर का पुलिस आज तक पता नहीं लगा पाई है. इतना ही नहीं 1 महीने पहले ही एसपी ऑफिस के पास रेत से भरे एक ट्रैक्टर ने दो भाईयों को टक्कर मार दी थी, जिसमें एक की मौत हो गई थी. पुलिस के इस मामले में भी हाथ खाली हैं.
कलेक्टर ने वन विभाग पर डाली जिम्मेदारी
कलेक्टर प्रियंका दास के मुताबिक अवैध रेत उत्खनन के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है. हालांकि वे खनन अधिकारी के नहीं होने की बात पर अपना बचाव भी करती नजर आईं. उन्होंने कहा कि वन विभाग के पास पूरा मामला है. यह कहकर वन विभाग पर पूरी जिम्मेदारी डाल दी.
रेत माफियाओं का आतंक
एएसपी आशुतोष बागरी खुद रेत माफियाओं पर कार्रवाई करने पर लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने की बात कहकर अपनी मजबूरी पेश कर रहे हैं. जब जिले के आला पुलिस अधिकारी इस तरह की बात करेंगे, तो साफ हो जाता है कि न तो इन अधिकारियों में रेत माफियाओं पर कार्रवाई करने का हौसला है और शायद न ही इजाजत. आसपास के इलाकों में कुछ ट्रकों को पकड़कर ये अपनी इज्जत बचा रहे हैं.
रेत माफियाओं को राजनैतिक संरक्षण देने के साथ ही कुछ नेताओं पर तो खुद ही रेत का अवैध कारोबार करने के आरोप लग रहे हैं. ऐसे में जिले में अवैध रेत के कारोबार पर रोक लगा पाना पुलिस के सामने एक चुनौती है.