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आसमानी आफत से बेहाल किसान, तेज बारिश से बहने लगे सपने

प्रदेश में कई हिस्सों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हो रही है, जिससे किसानों भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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Published : Mar 24, 2021, 7:43 AM IST

Farmers troubled by unseasonal rain
बेमौसम बारिश से परेशान किसान

मुरैना। जिले में मौसम का मिजाज देर रात ऐसा बदला कि पहले आंधी चली फिर कहीं बारिश के साथ ओले गिरे. आंधी के साथ हुई ओलावृष्टि और बारिश से खेत, खलियान से लेकर कृषि मंडियों तक में किसानों का काफी नुकसान हुआ है. कई गांवों में खेतों में खड़ी गेहूं की फसल चादर की तरह बिछ गई है. तेज बारिश, आंधी और ओलावृष्टि से कई गांवों में कच्चे मकान और पेड़ टूट गए. वहीं प्रशासन का कोई भी अधिकारी ग्रामीणों से मिलने नहीं पहुंचा है, जिसके कारण फसलों के नुकसान का कोई सर्वे शुरू नहीं हुआ. हालांकि एक हल्का पटवारी मौके पर पहुंच गया तो उन्होंने बताया है कि सरसों और गेहूं की फसल में भारी नुकसान हुआ है.

बेमौसम बारिश से परेशान किसान

ओलावर्ष्टि से 80 प्रतिशत फसलों में नुकसान

ओलावृष्टि से जौरा तहसील के 2 दर्जन से अधिक गांवों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है. ग्रामीणों की मानें तो सरसों की फसल लगभग 80 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है. वहीं गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है. अपनी फसल को बर्बाद देखकर किसान परेशान हैं, उनका कहना है कि सरसों, गेहूं और चने की फसल में भारी नुकसान हुआ है.

आकलन बताना मुश्किल

देर रात हुई ओलावृष्टि के बाद मंगलवार को एक हल्का पटवारी छिनवरा के आसपास गांवों पहुंचा, तो उन्होंने बताया कि सरसों और गेहूं की फसल में भारी नुकसान हुआ है. इसका आकलन शीघ्र कराया जाएगा, लेकिन अभी गेहूं के फसल के नुकसान की बात कहना मुश्किल है.

ओलावृष्टि से किसान मौत की कगार पर

किसान को अगर सरकार की तरफ से मुआवजा राशि नहीं मिली तो किसान तो मौत की कगार पर है. किसानों के अनुसार ओलावृष्टि कम से कम 25 से 30 मिनट तक हुई और बारिश तो 3 से 4 घंटे रुकी ही नहीं. तेज हवा के साथ बरसे ओले के कारण खेतों में कटने के लिए तैयार खड़ी सरसों की फसल के दाने झड़ गए हैं और बारिश से गेहूं की फसल खेतों में चादर की तरह बिछ गई है. मौसम की मार से किसान बेहाल है और दफ्तरों में बैठकर अफसर दावा कर रहे हैं कि ओलावृष्टि और बरसात नाम मात्र की हुई है, जिससे कहीं भी कोई नुकसान नहीं हुआ है. हकीकत यह है कि प्रकृति की मार से सरसों को 70 से 80 प्रतिशत और गेहूं को 50 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है.

गृह मंत्री ने ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों का लिया जायजा

इन गांवों में हुआ नुकसान

बीती रात जौरा क्षेत्र के गुर्जा, छिनवरा, डिंडोखर, मनजीत का पुरा, कलुआपुरा, उत्तमपुरा, सहजपुर, कोल्हूडाडा, मोहनपुर, खिडौरा, रसोधना, भटियारा, भगोरा कलां, बर्रेड, सिंगरौली, तिंदोखर व चिन्नौनी गांव से लेकर कैलारस और सबलगढ़ क्षेत्र के बीच कुछ गांवों में 15 से 20 मिनट तक ओलावृष्टि और फिर झमाझम बारिश हुई थी.

आंधी ओर ओलावर्ष्टि से पेड़ टूटे, मकान गिरे

आंधी ऐसी की मकान ढह गए, पेड़ उखड़ गए और बिजली की तार टूट गई. बारिश से पहले ऐसी तेज आंधी चली कि कई घरों के टीनशेड और छप्पर उड़ गए. छिनवरा गांव के एक पक्के घर की एक दीवार आंधी से गिर गई.

मुरैना। जिले में मौसम का मिजाज देर रात ऐसा बदला कि पहले आंधी चली फिर कहीं बारिश के साथ ओले गिरे. आंधी के साथ हुई ओलावृष्टि और बारिश से खेत, खलियान से लेकर कृषि मंडियों तक में किसानों का काफी नुकसान हुआ है. कई गांवों में खेतों में खड़ी गेहूं की फसल चादर की तरह बिछ गई है. तेज बारिश, आंधी और ओलावृष्टि से कई गांवों में कच्चे मकान और पेड़ टूट गए. वहीं प्रशासन का कोई भी अधिकारी ग्रामीणों से मिलने नहीं पहुंचा है, जिसके कारण फसलों के नुकसान का कोई सर्वे शुरू नहीं हुआ. हालांकि एक हल्का पटवारी मौके पर पहुंच गया तो उन्होंने बताया है कि सरसों और गेहूं की फसल में भारी नुकसान हुआ है.

बेमौसम बारिश से परेशान किसान

ओलावर्ष्टि से 80 प्रतिशत फसलों में नुकसान

ओलावृष्टि से जौरा तहसील के 2 दर्जन से अधिक गांवों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है. ग्रामीणों की मानें तो सरसों की फसल लगभग 80 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है. वहीं गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है. अपनी फसल को बर्बाद देखकर किसान परेशान हैं, उनका कहना है कि सरसों, गेहूं और चने की फसल में भारी नुकसान हुआ है.

आकलन बताना मुश्किल

देर रात हुई ओलावृष्टि के बाद मंगलवार को एक हल्का पटवारी छिनवरा के आसपास गांवों पहुंचा, तो उन्होंने बताया कि सरसों और गेहूं की फसल में भारी नुकसान हुआ है. इसका आकलन शीघ्र कराया जाएगा, लेकिन अभी गेहूं के फसल के नुकसान की बात कहना मुश्किल है.

ओलावृष्टि से किसान मौत की कगार पर

किसान को अगर सरकार की तरफ से मुआवजा राशि नहीं मिली तो किसान तो मौत की कगार पर है. किसानों के अनुसार ओलावृष्टि कम से कम 25 से 30 मिनट तक हुई और बारिश तो 3 से 4 घंटे रुकी ही नहीं. तेज हवा के साथ बरसे ओले के कारण खेतों में कटने के लिए तैयार खड़ी सरसों की फसल के दाने झड़ गए हैं और बारिश से गेहूं की फसल खेतों में चादर की तरह बिछ गई है. मौसम की मार से किसान बेहाल है और दफ्तरों में बैठकर अफसर दावा कर रहे हैं कि ओलावृष्टि और बरसात नाम मात्र की हुई है, जिससे कहीं भी कोई नुकसान नहीं हुआ है. हकीकत यह है कि प्रकृति की मार से सरसों को 70 से 80 प्रतिशत और गेहूं को 50 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है.

गृह मंत्री ने ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों का लिया जायजा

इन गांवों में हुआ नुकसान

बीती रात जौरा क्षेत्र के गुर्जा, छिनवरा, डिंडोखर, मनजीत का पुरा, कलुआपुरा, उत्तमपुरा, सहजपुर, कोल्हूडाडा, मोहनपुर, खिडौरा, रसोधना, भटियारा, भगोरा कलां, बर्रेड, सिंगरौली, तिंदोखर व चिन्नौनी गांव से लेकर कैलारस और सबलगढ़ क्षेत्र के बीच कुछ गांवों में 15 से 20 मिनट तक ओलावृष्टि और फिर झमाझम बारिश हुई थी.

आंधी ओर ओलावर्ष्टि से पेड़ टूटे, मकान गिरे

आंधी ऐसी की मकान ढह गए, पेड़ उखड़ गए और बिजली की तार टूट गई. बारिश से पहले ऐसी तेज आंधी चली कि कई घरों के टीनशेड और छप्पर उड़ गए. छिनवरा गांव के एक पक्के घर की एक दीवार आंधी से गिर गई.

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