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ताले में कैद 43 बच्चों का भविष्य, महीनों से सरकारी स्कूल में लटका ताला

महीनों से सरकारी स्कूल में ताला लटक रहा है, जबकि स्कूल में एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं हैं और स्कूल के रजिस्टर में 43 बच्चों के नाम दर्ज हैं.

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Published : Nov 11, 2019, 3:35 PM IST

Updated : Nov 11, 2019, 6:56 PM IST

ताले में कैद बच्चों का भविष्य

मुरैना। हर बच्चे को मुकम्मल तालीम देने की सरकार कितने भी दावे क्यों न कर लें, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में सुधार होता नहीं दिख रहा है. इन दावों को लेकर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन कितना सजग है, इसका ताजा उदाहरण मुरैना शहर के नेशनल हाइवे-3 किनारे स्थित हरफूल का पुरा स्कूल में देखने को मिला. जहां का शासकीय प्राथमिक विद्यालय पिछले दो महीने से बंद पड़ा है. जिससे इस स्कूल में पढ़ रहे 43 बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है.

शिक्षक विहीन स्कूल

शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन बेखबर
दो महीने से बंद विद्यालय की शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन तक को खबर नहीं है कि स्कूल बंद है. इतना ही नहीं स्कूल बंद होने के कारणों की भी कोई जानकारी नहीं है. इससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षा को लेकर शिक्षा विभाग हो या जिला प्रशासन दोनों कितने सजग और मुस्तैद हैं.

खंडहर में तब्दील हुई बिल्डिंग
इतना ही नहीं इस शासकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन भी खंडहर में तब्दील हो चुका है. जिसके चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है. ये विद्यालय दो महीने पहले 43 बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर हुआ करता था, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही और अनदेखी के चलते आज ये खंडहर और कूड़ाघर में तब्दील हो चुका है.

शिक्षक नहीं होने के चलते स्कूल में लगा ताला
स्कूल में 2 शिक्षिकाएं पदस्थ थी. जिसमें से एक शिक्षिका अंशु शर्मा मेटरनिटी लीव पर चली गईं और दूसरी शिक्षिका बसंती बंसल का तबादला हो गया. जिसके चलते बिना शिक्षक के स्कूल तो बंद हो गया. साथ ही गांव के रिटायर्ड शिक्षक पर शिक्षिकाओं को परेशान करने का भी कारण सामने आया है. जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. कई बार शिकायत करने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की.

शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही
स्कूल में लगे ताले के जंग ये बता रहे हैं कि महीनों से नौनिहालों का भविष्य ताले में बंद पड़ा है. आखिरकार क्या शिक्षा विभाग और प्रशासन इस खबर से बेखबर हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षकों के छुट्टी या फिर तबादला हो जाने पर क्या स्कूल बंद हो जाएगा. क्या प्रशासन के पास कोई वैक्लपिक व्यवस्था नहीं है. अब देखना ये होगा कि आखिर कब प्रशासन इस मामले पर कार्रवाई करता है. इस मामले में कलेक्टर प्रियंका दास ने शिक्षक नहीं होने की बात कहते हुए स्कूल बंद होने की बात कही और जल्द ही स्कूल में वैकल्पिक व्यवस्था कर शुरू कराने का आश्वासन दिया है.

मुरैना। हर बच्चे को मुकम्मल तालीम देने की सरकार कितने भी दावे क्यों न कर लें, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में सुधार होता नहीं दिख रहा है. इन दावों को लेकर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन कितना सजग है, इसका ताजा उदाहरण मुरैना शहर के नेशनल हाइवे-3 किनारे स्थित हरफूल का पुरा स्कूल में देखने को मिला. जहां का शासकीय प्राथमिक विद्यालय पिछले दो महीने से बंद पड़ा है. जिससे इस स्कूल में पढ़ रहे 43 बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है.

शिक्षक विहीन स्कूल

शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन बेखबर
दो महीने से बंद विद्यालय की शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन तक को खबर नहीं है कि स्कूल बंद है. इतना ही नहीं स्कूल बंद होने के कारणों की भी कोई जानकारी नहीं है. इससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षा को लेकर शिक्षा विभाग हो या जिला प्रशासन दोनों कितने सजग और मुस्तैद हैं.

खंडहर में तब्दील हुई बिल्डिंग
इतना ही नहीं इस शासकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन भी खंडहर में तब्दील हो चुका है. जिसके चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है. ये विद्यालय दो महीने पहले 43 बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर हुआ करता था, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही और अनदेखी के चलते आज ये खंडहर और कूड़ाघर में तब्दील हो चुका है.

शिक्षक नहीं होने के चलते स्कूल में लगा ताला
स्कूल में 2 शिक्षिकाएं पदस्थ थी. जिसमें से एक शिक्षिका अंशु शर्मा मेटरनिटी लीव पर चली गईं और दूसरी शिक्षिका बसंती बंसल का तबादला हो गया. जिसके चलते बिना शिक्षक के स्कूल तो बंद हो गया. साथ ही गांव के रिटायर्ड शिक्षक पर शिक्षिकाओं को परेशान करने का भी कारण सामने आया है. जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. कई बार शिकायत करने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की.

शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही
स्कूल में लगे ताले के जंग ये बता रहे हैं कि महीनों से नौनिहालों का भविष्य ताले में बंद पड़ा है. आखिरकार क्या शिक्षा विभाग और प्रशासन इस खबर से बेखबर हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षकों के छुट्टी या फिर तबादला हो जाने पर क्या स्कूल बंद हो जाएगा. क्या प्रशासन के पास कोई वैक्लपिक व्यवस्था नहीं है. अब देखना ये होगा कि आखिर कब प्रशासन इस मामले पर कार्रवाई करता है. इस मामले में कलेक्टर प्रियंका दास ने शिक्षक नहीं होने की बात कहते हुए स्कूल बंद होने की बात कही और जल्द ही स्कूल में वैकल्पिक व्यवस्था कर शुरू कराने का आश्वासन दिया है.

Intro:एंकर - मुरैना जिले में शिक्षा के लिए भले ही बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हो पर इन दावों को लेकर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन कितना सजक है। इसका ताजा उदाहरण मुरैना शहर से महज 5 किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे-3 स्थित हरफूल का पुरा में देखने को मिला। जहां पर शासकीय प्राथमिक विद्यालय पिछले 2 महीने से बंद है और 43 बच्चों के भविष्य को अंधकार में डाला जा रहा है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन तक को इस बात की खबर है कि स्कूल बंद है और उसके पीछे के कारणों की भी जानकारी है 2 महीने में वह स्कूल को शुरू नहीं करा पाए। ऐसे में साफ है कि शिक्षा विभाग हो या जिला प्रशासन दोनों ही कितने सजग और मुस्तैद हैं जिले की शिक्षा व्यवस्था को लेकर पता चलता है।


Body:वीओ1 - आपके सामने यह खंडहर सी दिख रही बिल्डिंग जिसमें चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है। ये दो महीने पहले 43 बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर हुआ करती थी पर शिक्षा विभाग की लापरवाही और अनदेखी के चलते आज यह खंडहर और कूड़ा घर में तब्दील हो चुकी है। दरअसल स्कूल में 2 शिक्षिकाएं पदस्थ थी पर जिसमें से एक शिक्षिका अंशु शर्मा मेटरनिटी लीव पर चली गई और दूसरी शिक्षिका बसंती बंसल का तबादला कर दिया गया। जिसके बाद बिना शिक्षक के स्कूल तो बंद होना ही था और गाँव के ही एक रिटायर्ड शिक्षक द्वारा परेशान करना ये ओर एक कारण है जिसका खामियाजा बच्चों को उठाना पड़ रहा है। कई बार शिकायत करने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं की।

बाइट1 - केदार - ग्रामीण हरफूल का पुरा।
( पीछे दुकान है)
बाइट2 - ग्रामीण - हरफूल का पुरा।
बाइट3 - सतीश - परिजन।

वीओ2 - इस मामले में कलेक्टर प्रियंका दास ने शिक्षक न होने की बात कहते हुए स्कूल बंद होने की बात कही और जल्द ही स्कूल में वैकल्पिक व्यवस्था कर उसे शुरू कराने का आश्वासन दिया। साथ ही गांव के रिटायर्ड शिक्षक द्वारा परेशान करने की बात पर उन्होंने कहा कि उनको पहले समझाइश दी जाएगी अगर ना मानने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बाइट4 - प्रियंका दास - कलेक्टर मुरैना।


Conclusion:वीओ3 - बड़ा सवाल यही है कि पहले तो लीव और तबादले के चलते स्कूल बंद क्यों हुआ। क्या शिक्षा विभाग सो रहा था कि उसे पता नहीं था कि तबादला होने के बाद स्कूल बंद होने की नौबत आ जाएगी। दूसरी बात ये है कि अगर तबादला हो गया तो अतिथि शिक्षक के सहारे भी उस स्कूल को चलाया जा सकता था पर उस पर भी 2 महीने में कोई फैसला नहीं लिया गया। अब देखना यही है कि जिला प्रशासन भी इस मामले में कोई एक्शन लेता है या नहीं।
Last Updated : Nov 11, 2019, 6:56 PM IST
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