मुरैना। हर बच्चे को मुकम्मल तालीम देने की सरकार कितने भी दावे क्यों न कर लें, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में सुधार होता नहीं दिख रहा है. इन दावों को लेकर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन कितना सजग है, इसका ताजा उदाहरण मुरैना शहर के नेशनल हाइवे-3 किनारे स्थित हरफूल का पुरा स्कूल में देखने को मिला. जहां का शासकीय प्राथमिक विद्यालय पिछले दो महीने से बंद पड़ा है. जिससे इस स्कूल में पढ़ रहे 43 बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है.
शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन बेखबर
दो महीने से बंद विद्यालय की शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन तक को खबर नहीं है कि स्कूल बंद है. इतना ही नहीं स्कूल बंद होने के कारणों की भी कोई जानकारी नहीं है. इससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षा को लेकर शिक्षा विभाग हो या जिला प्रशासन दोनों कितने सजग और मुस्तैद हैं.
खंडहर में तब्दील हुई बिल्डिंग
इतना ही नहीं इस शासकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन भी खंडहर में तब्दील हो चुका है. जिसके चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है. ये विद्यालय दो महीने पहले 43 बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर हुआ करता था, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही और अनदेखी के चलते आज ये खंडहर और कूड़ाघर में तब्दील हो चुका है.
शिक्षक नहीं होने के चलते स्कूल में लगा ताला
स्कूल में 2 शिक्षिकाएं पदस्थ थी. जिसमें से एक शिक्षिका अंशु शर्मा मेटरनिटी लीव पर चली गईं और दूसरी शिक्षिका बसंती बंसल का तबादला हो गया. जिसके चलते बिना शिक्षक के स्कूल तो बंद हो गया. साथ ही गांव के रिटायर्ड शिक्षक पर शिक्षिकाओं को परेशान करने का भी कारण सामने आया है. जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. कई बार शिकायत करने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की.
शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही
स्कूल में लगे ताले के जंग ये बता रहे हैं कि महीनों से नौनिहालों का भविष्य ताले में बंद पड़ा है. आखिरकार क्या शिक्षा विभाग और प्रशासन इस खबर से बेखबर हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षकों के छुट्टी या फिर तबादला हो जाने पर क्या स्कूल बंद हो जाएगा. क्या प्रशासन के पास कोई वैक्लपिक व्यवस्था नहीं है. अब देखना ये होगा कि आखिर कब प्रशासन इस मामले पर कार्रवाई करता है. इस मामले में कलेक्टर प्रियंका दास ने शिक्षक नहीं होने की बात कहते हुए स्कूल बंद होने की बात कही और जल्द ही स्कूल में वैकल्पिक व्यवस्था कर शुरू कराने का आश्वासन दिया है.