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बेटियों के प्रति सोच बदलने को मजबूर कर रही ये तीन महिला अधिकारी

कोरोना योद्धा के रूप में मुरैना की महिला अधिकारियों के काम ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी से कम नहीं होती, ईटीवी भारत मध्यप्रदेश पर देखिए कोरोना काल से लड़ने मुरैना में तैनात महिला अधिकारियों की कहानी.

female officers change mindset
तीन महिला अधिकारी
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Published : May 18, 2020, 9:16 PM IST

मुरैना। चंबल अंचल में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के प्रति दोयम दर्जे की सोच रखने वाले समाज के लिए अंचल में तैनात की गई महिला अधिकारी प्रेरणा बनी हुईं हैं. महामारी के बुरे दौर में कोरोना योद्धा के रूप में मुरैना की महिला अधिकारियों के काम ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं और वे अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा सकती हैं.

ढाल बनी महिला अधिकारी

आयुर्वेद चिकित्सक के रूप में आयुष विभाग का काम देख रहीं डॉक्टर शिवानी तोमर घर-घर जाकर लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक कर रही हैं. शिवानी ने ड्यूटी के दौरान 24 घंटे दिन-रात एक कर दिया है और घर के लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए खुद को परिवार से कुछ दिनों के लिए दूर भी.

कोरोना से जंग में जुटा दूसरा विभाग पुलिस महकमा है, जिसमें पदस्थ डीएसपी भी एक महिला हैं. प्रतिभा शर्मा को कोरोना काल में पुलिस विभाग का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. 24 घंटे की ड्यूटी है और कंटेनमेंट जोन में तैनात पुलिस कर्मियों की भी चिंता करनी है. प्रतिभा ने तो अपनी 4 मई को होने वाली शादी की तारीख भी आगे बढ़ी दी है.

तीसरी महिला हैं कलेक्टर प्रियंका दास जो न केवल कोरोना बल के सभी विभागों के कामों की बखूबी देखभाल कर रही हैं और पूरे जिले की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं. प्रियंका दास का मानना है कि बेटियां कहीं किसी से कम नहीं हैं, जिस चंबल अंचल में महिलाओं के साथ दोहरी मानसिकता का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन लोगों को ये सोच बदलना चाहिए

चंबल अंचल की बेटियों में योग्यता है, चंबल का पानी पीने वाली बेटियों के अंदर असीम साहस है जो उन्हें किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्पित करता है बहरहाल अपने काम पर मुस्तैद ये महिला अधिकारियों ने यह साबित कर दिया है कि बेटियां किसी से कम नहीं होती.

मुरैना। चंबल अंचल में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के प्रति दोयम दर्जे की सोच रखने वाले समाज के लिए अंचल में तैनात की गई महिला अधिकारी प्रेरणा बनी हुईं हैं. महामारी के बुरे दौर में कोरोना योद्धा के रूप में मुरैना की महिला अधिकारियों के काम ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं और वे अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा सकती हैं.

ढाल बनी महिला अधिकारी

आयुर्वेद चिकित्सक के रूप में आयुष विभाग का काम देख रहीं डॉक्टर शिवानी तोमर घर-घर जाकर लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक कर रही हैं. शिवानी ने ड्यूटी के दौरान 24 घंटे दिन-रात एक कर दिया है और घर के लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए खुद को परिवार से कुछ दिनों के लिए दूर भी.

कोरोना से जंग में जुटा दूसरा विभाग पुलिस महकमा है, जिसमें पदस्थ डीएसपी भी एक महिला हैं. प्रतिभा शर्मा को कोरोना काल में पुलिस विभाग का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. 24 घंटे की ड्यूटी है और कंटेनमेंट जोन में तैनात पुलिस कर्मियों की भी चिंता करनी है. प्रतिभा ने तो अपनी 4 मई को होने वाली शादी की तारीख भी आगे बढ़ी दी है.

तीसरी महिला हैं कलेक्टर प्रियंका दास जो न केवल कोरोना बल के सभी विभागों के कामों की बखूबी देखभाल कर रही हैं और पूरे जिले की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं. प्रियंका दास का मानना है कि बेटियां कहीं किसी से कम नहीं हैं, जिस चंबल अंचल में महिलाओं के साथ दोहरी मानसिकता का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन लोगों को ये सोच बदलना चाहिए

चंबल अंचल की बेटियों में योग्यता है, चंबल का पानी पीने वाली बेटियों के अंदर असीम साहस है जो उन्हें किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्पित करता है बहरहाल अपने काम पर मुस्तैद ये महिला अधिकारियों ने यह साबित कर दिया है कि बेटियां किसी से कम नहीं होती.

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