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समर्थन मूल्य पर बाजरा बेचने के बाद नहीं हुआ किसानों का भुगतान

मुरैना में किसानों ने समर्थन मूल्य पर 17 क्विंटल बाजरा बेचा था. लेकिन गोदाम में समय सीमा में जमा नहीं होने के कारण किसानों का भुगतान नहीं हो रहा है. जिससे किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है.

Farmers upset
किसान परेशान
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Published : Jan 8, 2021, 8:28 AM IST

मुरैना। समर्थन मूल्य पर बाजरा की खरीदी भले ही 5 जनवरी को बंद हो गई है और भले सरकार भी 1 सप्ताह में किसानों के भुगतान करने की बात कह रही हो. लेकिन मुरैना के आधा सैकड़ा किसान ऐसे हैं. जिनका बाजरा समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्र द्वारा तुलवा तो लिया गया है, लेकिन गोदाम में समय सीमा में जमा नहीं होने के कारण भुगतान नहीं हो रहा है. जिससे किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है.

किसान परेशान
नहीं हुआ किसानों का भुगतान
अंबा तहसील के खरीदी केंद्र बिरहरुआ, रिठौना, गोठ, ओर बरवाई पर आधा सैकड़ा किसानों ने 1700 क्विंटल बाजार पोर्टल द्वारा भेजे गए दूसरे मैसेज पर बाजरा बेचा था. जिसकी प्राप्ति संबंधित खरीदी केंद्र द्वारा उन्हें दी गई, लेकिन 17 क्विंटल बाजरा समय सीमा के तहत शासन के गोदामों में जमा नहीं हो सका. जिसके चलते इस 17 सौ क्विंटल बाजरे का लगभग 36 लाख रुपए का भुगतान अभी तक नहीं किया गया. परेशान किसान अपनी समस्या को लेकर खरीदी केंद्र प्रबंधक से आपूर्ति एवं नियंत्रक अधिकारी, एसडीएम और कलेक्टर तक शिकायत कर चुके है. लेकिन कोई भी उन्हें संतोषजनक जवाब देने को तैयार नहीं है.
क्या है भुगतान न होने के तकनीकी कारण
जिला खाद्य आपूर्ति एवं नियंत्रक अधिकारी का कहना है कि इन किसानों का बाजरा दूसरे दौर में तोला गया है और उस अंतिम समय में तोला गया है. जिस समय सरकार द्वारा दूसरे राज्यों से बिचौलियों के आने वाले बाजरे को रोकने के लिए कई तरह के सख्त नियम बनाए गए थे. उस दौरान सरकार ने 5 जनवरी अंतिम तिथि के बाद पोर्टल को बंद कर दिया था और यह बाजरा भी 3 जनवरी को तौला गया है. जिस से 5 जनवरी तक यह गोदाम में जमा होकर पोर्टल पर ऑनलाइन नहीं हो सका. इसलिए भुगतान भी नहीं हो सका.
क्या होगी अब भुगतान की प्रक्रिया
मुरैना जिले की चार सेवा सहकारी संस्थाओं द्वारा खरीदे गए लगभग 17 कुंटल बाजरे के लंबित 36 करोड रुपए के भुगतान को लेकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग कलेक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजेंगे और पुणे पोर्टल को चालू कर आएंगे. अगर राज्य सरकार अनुमति देकर पोर्टल चालू करती है, तब 17 कुंटल बाजरे को गोदाम में जमा कराते हुए पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा और तभी भुगतान संभव है. इसके लिए कलेक्टर मुरैना के माध्यम से राज्य शासन को पत्र लिखा जा रहा है.

मुरैना। समर्थन मूल्य पर बाजरा की खरीदी भले ही 5 जनवरी को बंद हो गई है और भले सरकार भी 1 सप्ताह में किसानों के भुगतान करने की बात कह रही हो. लेकिन मुरैना के आधा सैकड़ा किसान ऐसे हैं. जिनका बाजरा समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्र द्वारा तुलवा तो लिया गया है, लेकिन गोदाम में समय सीमा में जमा नहीं होने के कारण भुगतान नहीं हो रहा है. जिससे किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है.

किसान परेशान
नहीं हुआ किसानों का भुगतान
अंबा तहसील के खरीदी केंद्र बिरहरुआ, रिठौना, गोठ, ओर बरवाई पर आधा सैकड़ा किसानों ने 1700 क्विंटल बाजार पोर्टल द्वारा भेजे गए दूसरे मैसेज पर बाजरा बेचा था. जिसकी प्राप्ति संबंधित खरीदी केंद्र द्वारा उन्हें दी गई, लेकिन 17 क्विंटल बाजरा समय सीमा के तहत शासन के गोदामों में जमा नहीं हो सका. जिसके चलते इस 17 सौ क्विंटल बाजरे का लगभग 36 लाख रुपए का भुगतान अभी तक नहीं किया गया. परेशान किसान अपनी समस्या को लेकर खरीदी केंद्र प्रबंधक से आपूर्ति एवं नियंत्रक अधिकारी, एसडीएम और कलेक्टर तक शिकायत कर चुके है. लेकिन कोई भी उन्हें संतोषजनक जवाब देने को तैयार नहीं है.
क्या है भुगतान न होने के तकनीकी कारण
जिला खाद्य आपूर्ति एवं नियंत्रक अधिकारी का कहना है कि इन किसानों का बाजरा दूसरे दौर में तोला गया है और उस अंतिम समय में तोला गया है. जिस समय सरकार द्वारा दूसरे राज्यों से बिचौलियों के आने वाले बाजरे को रोकने के लिए कई तरह के सख्त नियम बनाए गए थे. उस दौरान सरकार ने 5 जनवरी अंतिम तिथि के बाद पोर्टल को बंद कर दिया था और यह बाजरा भी 3 जनवरी को तौला गया है. जिस से 5 जनवरी तक यह गोदाम में जमा होकर पोर्टल पर ऑनलाइन नहीं हो सका. इसलिए भुगतान भी नहीं हो सका.
क्या होगी अब भुगतान की प्रक्रिया
मुरैना जिले की चार सेवा सहकारी संस्थाओं द्वारा खरीदे गए लगभग 17 कुंटल बाजरे के लंबित 36 करोड रुपए के भुगतान को लेकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग कलेक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजेंगे और पुणे पोर्टल को चालू कर आएंगे. अगर राज्य सरकार अनुमति देकर पोर्टल चालू करती है, तब 17 कुंटल बाजरे को गोदाम में जमा कराते हुए पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा और तभी भुगतान संभव है. इसके लिए कलेक्टर मुरैना के माध्यम से राज्य शासन को पत्र लिखा जा रहा है.
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