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चंबल प्रोग्रेस-वे में भू-अधिग्रहण से किसान नाराज, कहा- सरकार ने किया अधिग्रहण तो दे देंगे जान - भू अधिग्रहण मुरैना चंबल प्रोग्रेस वे

मुरैना में बनने वाले चंबल प्रोग्रेस-वे के लिए सरकार ने जमीनों का अधिग्रहण शुरू कर दिया है. ऐसे में किसानों की उपजाऊ जमीन भी जा रही है, जिसके विरोध में किसानों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. साथ ही अधिग्रहण करने पर जान देने की बात कही.

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किसानों ने सौंपा कलेक्टर को ज्ञापन
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Published : Aug 7, 2020, 12:49 PM IST

मुरैना। जिले में चंबल प्रोग्रेस-वे के विकास की एक नई शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए सरकार ने जमीनों का अधिग्रहण करने की शुरुआत कर दी है. जिसके विरोध में पोरसा तहसील के रुधावली गांव के 40 से ज्यादा गांव वालों ने कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा हैं. किसानों का कहना है कि प्रोग्रेस-वे के लिए जो जमीन ली जा रही है, वो उपजाऊ जमीन है. इस जमीन से कुछ ही दूर पर बीहड़ की जमीन जिसका उपयोग प्रोग्रेस-वे के लिए किया जा सकता है.

इस मामले में जिला कलेक्टर ने किसानों को आश्वासन दिया है, कि वो मौके पर जाकर खुद कैंप लगाएंगे, जिसमें सभी विभागों के अधिकारी रहेंगे. उसी समय इस समस्या का निराकरण किया जा सकेगा. वहीं किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी जमीन का अधिग्रहण किया तो वो अपनी जान तक दे देंगे.

किसानों ने सौंपा कलेक्टर को ज्ञापन
बता दें, प्रोग्रेस-वे बनाए जाने से चंबल क्षेत्र का विकास होगा. वहीं बीजेपी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से सरकार का दावा है कि विकास के नए आयाम तैयार होंगे. लेकिन पोरसा क्षेत्र के रुधावली गांव के किसानों की 100 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन प्रोग्रेस-वे में जा रही है. ऐसे में प्रोग्रेस-वे किसानों के लिए मुसीबत बनता नजर आ रहा है. इस बात से नाराज होकर करीब 200 किसान कलेक्ट्रेट पहुंचे, हंगामा किया और कलेक्टर प्रियंका दास को ज्ञापन सौंपा.

ये भी पढ़ें- खरगोन पुलिस पिटाई कांड में दो बड़े अधिकारियों का तबादला, विजयवर्गीय ने मामले में किया था ट्वीट

बता दें 394 किमी लंबे इस प्रोग्रेस-वे में अटेर क्षेत्र के करीब 26 गांव जुड़ेंगे. वहीं चंबल अंचल में विकास की क्रांति लाने के लिए साल 2017 में चंबल नदी के किनारे चंबल एक्सप्रेस-वे परियोजना की शुरुआत की गई थी.

मुरैना। जिले में चंबल प्रोग्रेस-वे के विकास की एक नई शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए सरकार ने जमीनों का अधिग्रहण करने की शुरुआत कर दी है. जिसके विरोध में पोरसा तहसील के रुधावली गांव के 40 से ज्यादा गांव वालों ने कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा हैं. किसानों का कहना है कि प्रोग्रेस-वे के लिए जो जमीन ली जा रही है, वो उपजाऊ जमीन है. इस जमीन से कुछ ही दूर पर बीहड़ की जमीन जिसका उपयोग प्रोग्रेस-वे के लिए किया जा सकता है.

इस मामले में जिला कलेक्टर ने किसानों को आश्वासन दिया है, कि वो मौके पर जाकर खुद कैंप लगाएंगे, जिसमें सभी विभागों के अधिकारी रहेंगे. उसी समय इस समस्या का निराकरण किया जा सकेगा. वहीं किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी जमीन का अधिग्रहण किया तो वो अपनी जान तक दे देंगे.

किसानों ने सौंपा कलेक्टर को ज्ञापन
बता दें, प्रोग्रेस-वे बनाए जाने से चंबल क्षेत्र का विकास होगा. वहीं बीजेपी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से सरकार का दावा है कि विकास के नए आयाम तैयार होंगे. लेकिन पोरसा क्षेत्र के रुधावली गांव के किसानों की 100 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन प्रोग्रेस-वे में जा रही है. ऐसे में प्रोग्रेस-वे किसानों के लिए मुसीबत बनता नजर आ रहा है. इस बात से नाराज होकर करीब 200 किसान कलेक्ट्रेट पहुंचे, हंगामा किया और कलेक्टर प्रियंका दास को ज्ञापन सौंपा.

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बता दें 394 किमी लंबे इस प्रोग्रेस-वे में अटेर क्षेत्र के करीब 26 गांव जुड़ेंगे. वहीं चंबल अंचल में विकास की क्रांति लाने के लिए साल 2017 में चंबल नदी के किनारे चंबल एक्सप्रेस-वे परियोजना की शुरुआत की गई थी.

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