मुरैना। मुरैना से पोरसा तक स्टेट हाईवे बनाने का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें हाइवे के लिए कहीं-कहीं किसानों के खेतों की जमीन का अधिग्रहण भी किया गया, लेकिन ढाई साल बीत जाने के बाद भी किसानों को जमीन के बदले मुआवजा का पैसा अभी तक नहीं मिला है. इससे दिमनी इलाके के 2 गांवों के किसान ऐसे नाराज हुए हैं कि वो अब अपने गांव से गुजर रहे हाईवे का निर्माण पूरा नहीं होने दे रहे हैं. एक गांव के किसानों ने तो क्वारी नदी पर बनाए जा रहे पुल तक का निर्माण रोक दिया है. निर्माण कार्य करवा रहे इंजीनियर और मजदूरों को भी भगा दिया.
NH-552 का निर्माण कार्य ग्रामीणों ने रोका
दरअसल 49 किलोमीटर की टू-लेन नेशनल हाइवे-552 के इस टुकड़े का निर्माण 135 करोड़ रुपए की लागत से कराया रहा है. इस हाइवे के लिए मुरैना, अम्बाह और पोरसा क्षेत्र के 110 से ज्यादा किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया. इन किसानों को 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान होना है, जिनमें से अभी तक 14 किसानों को 6 लाख 38 हजार रुपए का ही भुगतान हुआ है.
मुरैना ब्लॉक में आने वाले रपट का पूरा और अम्बाह ब्लॉक के चांदपुर गांव के किसानों को जमीन के बदले एक रुपया का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. ढाई साल से गुहार लगा रहे किसान अब निर्माण के विरोध में उतर आए हैं. किसानों ने क्वारी नदी पर बन रहे पुल निर्माण को रोक दिया है. इसी गांव में स्टेट हाईवे के 15 से 20 मीटर के हिस्से के निर्माण को ग्रामीणों ने रोक दिया है
चांदपुर गांव के ग्रामीणों ने भी रोका काम
यही हाल अम्बाह ब्लॉक के चांदपुर गांव में है. यहां भी ग्रामीणों ने 50 से 55 मीटर के नेशनल हाईवे के हिस्से का निर्माण पूरा नहीं होने दिया. हाईवे पर हो रहे गड्ढे लोगों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं. नेशनल हाइवे-552 के निर्माण बंद होने के कार्य का मामला पिछले सप्ताह दिमनी थाने तक पहुंचा, जहां पुलिस बंद निर्माण कार्य को शुरू करवाने भी गई, लेकिन ग्रामीणों ने ये कहकर लौटा दिया कि पहले हमारा पैसा दिलवाओ, तब कहीं सड़क और पुल का निर्माण होने देंगे.
पीड़ित किसान
नेशनल हाइवे-552 निर्माण के लिए रपट का पुरा गांव के ग्रामीण रामवीर कुशवाह की 3 बिस्वा जमीन ली गई थी, जिसमें 1 लाख 5 हजार रुपए का भुगतान होना था, लेकिन अभी तक एक रुपया भी नहीं दिया. कोई मुआवजे पर सही जवाब ही नहीं दे रहा. इसलिए ग्रामीणों ने सड़क और पुल का निर्माण रुकवा दिया है. इसी तरह चांदपुर गांव के हाकिम सिंह की जमीन दो बार अधिग्रहित की गई थी. पहले की गई अधिग्रहित जमीन का पैसा मिला नहीं और दूसरी बार का भी रोक दिया.