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कृषि मंडी में समर्थन मूल्य से कम दाम पर हो रही खरीदी, किसानों का हो रहा शोषण - Farmers' crops

मुरैना में किसानों की उपज को उचित मूल्य पर नहीं खरीदी जा रही है, जिससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि अगर व्यापारियों को अपने अनुसार खरीदी करनी है और सरकार को उनका ही समर्थन करना है तो मूल्य निर्धारित ही क्यों किया जाता है.

Farmers' crops are not being purchased at the right price in Morena.
कृषि मंडी में समर्थन मूल्य से कम हो रही खरीदी
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Published : May 6, 2020, 4:17 PM IST

मुरैना। केंद्र और राज्य सरकार किसानों की उपज को उचित मूल्य पर खरीदने के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस निर्धारित करती हैं. जिसका उद्देश होता है कि बाजार में व्यापारी किसान की उपज को इससे कम कीमत पर ना खरीदें. लेकिन मुरैना में शासन के आदेशों का पालन नहीं हो रहा और मंडी में खरीदी समर्थन मूल्य से कम पर की जा रही है. जिससे व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा है और प्रशासन भी इस ओर कार्रवाई करने की बजाय व्यापारियों के पक्ष में उतरता नजर आ रहा है.

कम मूल्य पर खरीदी जा रही उपज

लॉक डाउन 3.0 के दौरान कृषि उपज मंडियों को सरकार द्वारा चालू करने की अनुमति दी गई. जिसके तहत मुरैना जिले की भी सभी मंडियां 40 दिन बाद शुरू हुईं. ये समय किसानों की रबी फसल आने का समय है. इसलिए वर्तमान में मंडियों में गेहूं और सरसों की बंपर आवक हो रही है. उधर समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा सरसो खरीदी नहीं किए जाने से किसानों को मजबूरन अपनी फसल मंडियों में व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर है. मुख्य फसल गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 प्रति क्विंटल और सरसों का मूल्य 4425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है. ईमानदारी से कम दाम पर खरीदी नहीं होनी चाहिए, लेकिन कृषि उपज मंडी में सरसों 3800 से 3900 रु. प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है.

प्रशासन और जिला प्रशासन द्वारा व्यापारियों की मनमानी पर अंकुश लगाने की बजाय उनके पक्ष लेते नजर आ रहे हैं. कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि मंडी में किसानों का सभी तरह का अनाज आता है. जो सही मानक का नहीं होने से उचित मूल्य नहीं दिया जा सकता. वहीं किसानों का कहना है कि अगर व्यापारियों को अपने अनुसार खरीदी करनी है और सरकार को उनका ही समर्थन करना है तो मूल्य निर्धारित ही क्यों किया जाता है.

मुरैना। केंद्र और राज्य सरकार किसानों की उपज को उचित मूल्य पर खरीदने के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस निर्धारित करती हैं. जिसका उद्देश होता है कि बाजार में व्यापारी किसान की उपज को इससे कम कीमत पर ना खरीदें. लेकिन मुरैना में शासन के आदेशों का पालन नहीं हो रहा और मंडी में खरीदी समर्थन मूल्य से कम पर की जा रही है. जिससे व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा है और प्रशासन भी इस ओर कार्रवाई करने की बजाय व्यापारियों के पक्ष में उतरता नजर आ रहा है.

कम मूल्य पर खरीदी जा रही उपज

लॉक डाउन 3.0 के दौरान कृषि उपज मंडियों को सरकार द्वारा चालू करने की अनुमति दी गई. जिसके तहत मुरैना जिले की भी सभी मंडियां 40 दिन बाद शुरू हुईं. ये समय किसानों की रबी फसल आने का समय है. इसलिए वर्तमान में मंडियों में गेहूं और सरसों की बंपर आवक हो रही है. उधर समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा सरसो खरीदी नहीं किए जाने से किसानों को मजबूरन अपनी फसल मंडियों में व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर है. मुख्य फसल गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 प्रति क्विंटल और सरसों का मूल्य 4425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है. ईमानदारी से कम दाम पर खरीदी नहीं होनी चाहिए, लेकिन कृषि उपज मंडी में सरसों 3800 से 3900 रु. प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है.

प्रशासन और जिला प्रशासन द्वारा व्यापारियों की मनमानी पर अंकुश लगाने की बजाय उनके पक्ष लेते नजर आ रहे हैं. कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि मंडी में किसानों का सभी तरह का अनाज आता है. जो सही मानक का नहीं होने से उचित मूल्य नहीं दिया जा सकता. वहीं किसानों का कहना है कि अगर व्यापारियों को अपने अनुसार खरीदी करनी है और सरकार को उनका ही समर्थन करना है तो मूल्य निर्धारित ही क्यों किया जाता है.

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