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शुगर मिल बेचने के आदेश को लेकर किसानों में आक्रोश, आंदोलन की दी चेतावनी - etv bharat

मुरैना के कोलारस की शुगर मिल को बेचने के आदेश के बाद किसानों और कर्मचारियों में आक्रोश है. उनका कहना है कि इस मिल से कई परिवारों को रोजी-रोटी मिलती है, इसे शुरू नहीं किया गया तो जन आंदोलन शुरू हो जाएगा.

शुगर मिल बेचने के आदेश को लेकर किसानों में आक्रोश
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Published : Nov 5, 2019, 3:01 PM IST

Updated : Nov 5, 2019, 3:16 PM IST

मुरैना। जिले की एकमात्र शुगर मिल को बेचने के आदेश के बाद किसानों और कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है. राजनीतिक गलियारों में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. बता दें कि शुगर मिल कर्मचारी और किसानों के 25 करोड़ बकाया भुगतान के मामले को निपटाने के लिए हाईकोर्ट ने मिल को बेचने के लिए आदेश दिए हैं.

शुगर मिल बेचने के आदेश को लेकर किसानों में आक्रोश

कोलारस में यह मिल 1972 में डकैत प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए लगाई थी. इससे 25 हजार किसान परिवार जुड़े थे. 15 हजार कर्मचारियों के परिवारों की रोजी-रोटी इसी कारखाने से चलती थी. मिल में 1100 से अधिक कर्मचारियों का लगभग 25 करोड़ रुपए भुगतान बकाया है. वहीं कुछ गन्ना किसानों की राशि शेष है, जिसके चलते हाईकोर्ट ने मिल बेचकर भुगतान किए जाने के निर्देश दिए हैं.

हाईकोर्ट के इस फैसले का कर्मचारी एक तरफ स्वागत कर रहे हैं, तो मिल बंद न करने की भी मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही इस मिल को शुरू करने का वादा किया था, लेकिन मिल बंद कर दी गई तो यह जनता के साथ धोखाधड़ी होगी. किसानों का कहना है कि वह मिल बंद होने के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और जौरा के पूर्व विधायक सूबेदार सिंह का कहना है कि भाजपा सरकार ने मिल को शुरू करने के कई प्रयास किए थे. इसे पीपीपी मॉडल के तहत भी शुरू करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वो शुरू नहीं हो पाई. वहीं कांग्रेस सरकार ने वादा किया था कि सरकार बनते ही मिल शुरू कर दी जाएगी, लेकिन सत्ता में आते ही उसे बेचने की तैयारी में जुट गई.

जिले के प्रभारी मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन मिल शुरू कराए जाने के भी प्रयास किए जाएंगे. बीजेपी 15 सालों में भी मिल को शुरू नहीं कर पाई, लेकिन कांग्रेस सरकार इस मिल को जरूर शुरू कराएगी.

वहीं कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि हाईकोर्ट चल रहे में प्रकरणों पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया है, जिस पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है और जल्द ही कर्मचारियों का और किसानों का भुगतान किया जाएगा.

मुरैना। जिले की एकमात्र शुगर मिल को बेचने के आदेश के बाद किसानों और कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है. राजनीतिक गलियारों में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. बता दें कि शुगर मिल कर्मचारी और किसानों के 25 करोड़ बकाया भुगतान के मामले को निपटाने के लिए हाईकोर्ट ने मिल को बेचने के लिए आदेश दिए हैं.

शुगर मिल बेचने के आदेश को लेकर किसानों में आक्रोश

कोलारस में यह मिल 1972 में डकैत प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए लगाई थी. इससे 25 हजार किसान परिवार जुड़े थे. 15 हजार कर्मचारियों के परिवारों की रोजी-रोटी इसी कारखाने से चलती थी. मिल में 1100 से अधिक कर्मचारियों का लगभग 25 करोड़ रुपए भुगतान बकाया है. वहीं कुछ गन्ना किसानों की राशि शेष है, जिसके चलते हाईकोर्ट ने मिल बेचकर भुगतान किए जाने के निर्देश दिए हैं.

हाईकोर्ट के इस फैसले का कर्मचारी एक तरफ स्वागत कर रहे हैं, तो मिल बंद न करने की भी मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही इस मिल को शुरू करने का वादा किया था, लेकिन मिल बंद कर दी गई तो यह जनता के साथ धोखाधड़ी होगी. किसानों का कहना है कि वह मिल बंद होने के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और जौरा के पूर्व विधायक सूबेदार सिंह का कहना है कि भाजपा सरकार ने मिल को शुरू करने के कई प्रयास किए थे. इसे पीपीपी मॉडल के तहत भी शुरू करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वो शुरू नहीं हो पाई. वहीं कांग्रेस सरकार ने वादा किया था कि सरकार बनते ही मिल शुरू कर दी जाएगी, लेकिन सत्ता में आते ही उसे बेचने की तैयारी में जुट गई.

जिले के प्रभारी मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन मिल शुरू कराए जाने के भी प्रयास किए जाएंगे. बीजेपी 15 सालों में भी मिल को शुरू नहीं कर पाई, लेकिन कांग्रेस सरकार इस मिल को जरूर शुरू कराएगी.

वहीं कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि हाईकोर्ट चल रहे में प्रकरणों पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया है, जिस पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है और जल्द ही कर्मचारियों का और किसानों का भुगतान किया जाएगा.

Intro:एंकर - मुरैना जिले की एक मात्र शुगर मिल को बेचने की तैयारी हो चुकी है। शुगर मिल कर्मचारी और किसानों के 25 करोड़ बकाया भुगतान के मामले को निपटाने के लिए हाईकोर्ट ने मिल को बेचने के लिए आदेश दिए हैं। जिस पर विरोध शुरू हो गया है एक तरफ बकाया बिलों का भुगतान की मांग है तो उसके लिए शुगर मिल को बेचने के विरोध में किसान और कर्मचारी भी आ गए हैं। वहीं बीजेपी कांग्रेस पर आरोप लगा रही है वहीं कांग्रेसी बीजेपी पर आरोप लगाते हुए मिल को दोबारा शुरू कराने का भरोसा दिला रही है। अब देखना यही है कि जिले की एक मात्र शुगर मिल जिससे सैकड़ों किसान और कर्मचारियों का घर चलता था वो अब हमेशा के लिए बंद होगी या फिर से शुरू हो पाएगी।


Body:वीओ1- शक्कर कारखाना मुरैना जिले के डकैत प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए 1972 में लगाया गया था। इस मिल से कैलारस, सबलगढ़,विजयपुर और जौरा के 25 हजार किसान परिवार जुड़े हुए थे जो शक्कर कारखाना 2009 में बंद हो गया।शुगर मिल 15 हजार कर्मचारियों के परिवार की रोजी रोटी थी व जीवन यापन का एक मात्र साधन था। शुगर मिल में 1100 से अधिक कर्मचारियों का लगभग 25 करोड़ रुपए भुगतान बकाया है। वही किसानों के गन्ने की राशि शेष है जिसके चलते हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया है कि जल्द से जल्द यह भुगतान किए जाएं जिसमें शुगर मिल को बेचने के भी निर्देश है। जिस पर कर्मचारी एक तरफ फैसले का स्वागत कर रहे हैं पर मिल बंद न किए जाने की भी मांग कर रहे हैं। किसान व किसान नेताओं का कहना कि कांग्रेस सरकार व इससे पहले भाजपा सरकार ने इस मिल को शुरू कराने का वायदा जनता से किया था। मिल बंद होने से ये जनता के साथ धोखधड़ी है।वहीं किसानों ने तो साफ कर दिया कि वो मिल बंद होने के खिलाफ आंदोलन करेंगे।

बाइट1 - ज्ञयाराम धाकड़ - किसान।
बाइट2 - अशोक तिवारी - किसान नेता।
बाइट3 - विजय भारत - शुगर मिल कर्मचारी।


वीओ2 - केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तौमर व जौरा के पूर्व विधायक सूबेदार सिंह के अनुसार भाजपा सरकार ने मिल को शुरू करने के कई प्रयास किए थे। जिसमें इसे पीपीपी मॉडल के तहत शुरू करने का प्रयास भी किया था। पर कांग्रेस सरकार ने अपने घोषणा पत्र में भी मिल को शुरू कराने की बात कही थी पर सरकार आते ही उसे बेचने की तैयारी में लग गई। जिसका वो भी विरोध करते हैं जिले में एकमात्र मिल है जिसे शुरू होना चाहिए।

बाइट4 - नरेन्द्र सिंह तौमर - सांसद व केन्द्रीय मंत्री।
बाइट5 - सूबेदार सिंह रजौधा - पूर्व विधायक जौरा।

वीओ3 - प्रभारी मंत्री लाखन सिंह यादव का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले का वो सम्मान करते हैं। पर मिल को शुरू कराए जाने के भी प्रयास किए जाएंगे। जिसके लिए क्या संभावना हो सकती है उस पर विचार किया जा रहा है और बीजेपी ने तो 15 सालों की सरकार होने के बावजूद भी शुगर मिल को शुरू नहीं किया। पर कांग्रेसी सरकार इस मिल को जरूर शुरू कराएगी।

बाइट6 - लाखन सिंह यादव - प्रभारी मंत्री।



Conclusion:वीओ4 - कलेक्टर प्रियंका दास ने साफ कहा है कि हाईकोर्ट में 6 से 7 प्रकरण चल रहे हैं। जिन पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया है। जिस पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है और जल्द ही कर्मचारियों का और किसानों का भुगतान किया जाएगा।

बाइट7 - प्रियंका दास - कलेक्टर मुरैना।


वीओ5 - कैलारस शक्कर कारखाना का मुद्दा हर बार चुनावों में छाया रहता है। अब देखना यही है कि क्या वाकई में कांग्रेस सरकार इसे शुरू करवा पाती है या फिर जिले की एकमात्र शुगर मिल एक इतिहास बन कर रह जाएगी।
Last Updated : Nov 5, 2019, 3:16 PM IST
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