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बीहड़ में हर साल बह जाता है गरीबों का 'आशियाना', अब कलेक्टर ने दिया ये आश्वासन - mp news

चंबल नदी में आई बाढ़ हर साल कई आशियाने उजाड़ देती है, हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो जाती हैं. इसके बावजूद प्रशासन किसानों की बर्बादी का नजारा मूकदर्शक बनकर देखता रहता है.

हर साल कई आशियाने उजाड़ देती है चंबल नदी में आई बाढ़
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Published : Oct 12, 2019, 10:58 PM IST

मुरैना। चंबल नदी में बाढ़ आने से हर साल कई गांव प्रभावित होते हैं. जिससे ग्रामीणों की फसलें तबाह हो जाती हैं. साथ ही ग्रामीणों की जान पर बन आती है. ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायत के बावजूद प्रशासन इसे लेकर संजीदा नजर नहीं आ रहा है. जिसके चलते हर साल उनके घर उजड़ जाते हैं.

हर साल कई आशियाने उजाड़ देती है चंबल नदी में आई बाढ़

इस साल 2006 के बाद चंबल नदी सबसे ज्यादा उफान पर रही, जिसकी वजह कोटा बैराज से अधिक पानी छोड़ा जाना था. इसके अलावा भी कई गांव ऐसे हैं, जहां चंबल नें थोड़ा पानी बढ़ने से आवागमन बधित हो जाता है.

चम्बल किनारे बसे नदुआपुरा गांव सहित जिले में ऐसे कई गांव हैं, जो चंबल नदी में आई बाढ़ के चलते प्रभावित हुए हैं. ऐसे में ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि बीहड़ में रहने के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए, जिससे हर साल होने वाले नुकसान से ग्रामीणों को बचाया जा सके.

मुरैना। चंबल नदी में बाढ़ आने से हर साल कई गांव प्रभावित होते हैं. जिससे ग्रामीणों की फसलें तबाह हो जाती हैं. साथ ही ग्रामीणों की जान पर बन आती है. ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायत के बावजूद प्रशासन इसे लेकर संजीदा नजर नहीं आ रहा है. जिसके चलते हर साल उनके घर उजड़ जाते हैं.

हर साल कई आशियाने उजाड़ देती है चंबल नदी में आई बाढ़

इस साल 2006 के बाद चंबल नदी सबसे ज्यादा उफान पर रही, जिसकी वजह कोटा बैराज से अधिक पानी छोड़ा जाना था. इसके अलावा भी कई गांव ऐसे हैं, जहां चंबल नें थोड़ा पानी बढ़ने से आवागमन बधित हो जाता है.

चम्बल किनारे बसे नदुआपुरा गांव सहित जिले में ऐसे कई गांव हैं, जो चंबल नदी में आई बाढ़ के चलते प्रभावित हुए हैं. ऐसे में ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि बीहड़ में रहने के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए, जिससे हर साल होने वाले नुकसान से ग्रामीणों को बचाया जा सके.

Intro:एंकर - मुरैना जिले में चंबल नदी के उफान पर आने से कई गांव हर साल उसकी चपेट में आ जाते हैं। जिसमें ग्रामीणों की फसलों का तो नुकसान होता ही है साथ ही जान को भी खतरा रहता है। ग्रामीणों के अनुसार कई बार प्रशासन से उन्होंने रहने के लिए जमीन मांगी है पर उस पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई जिसकी वजह से हर साल उनके घर उजड़ जाते हैं।


Body:वीओ - हालांकि इस बार मुरैना जिले में 2006 के बाद 23 साल के बाद चंबल सबसे अधिक उफान पर रही। जिसका बड़ा कारण कोटा बैराज से अधिक पानी छोड़ा जाना रहा पर उसके अलावा भी कई गांव है जो थोड़ा पानी बढ़ने पर भी उनका आवागमन का संपर्क टूट जाता है।चम्बल किनारे बसे नदुआपुरा गाँव सहित जिले में ऐसे कई गांव है जो चंबल में पानी आ जाने से घर व फसल बर्बाद हो जाती है।ऐसे में कलेक्टर प्रियंका दास ने भी ग्रामीणों की मांग पर बीहड़ में रहने के लिए जमीन उपलब्ध कराने की बात कही है। जिससे कि हर साल होने वाले नुकसान से ग्रामीणों को बचाया जा सके।


Conclusion:बाइट1 - ज्ञान सिंह - ग्रमीण बाइट2 - उमेन्द्र सिंह - ग्रामीण बाइट3 - प्रियंका दास - कलेक्टर मुरैना।
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