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पैदल मार्च से पहले एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक ने की खास बातचीत, 'आंदोलनकारी किसानों से बचना चाहती है सरकार'

नए कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में एकता परिषद के नेतृत्व में 3 राज्यों के किसानों द्वारा पैदल मार्च किया जाएगा. पदयात्रा से पहले एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने ईटीवी भारत की खास बातचीत की.

PV Rajagopal
पीवी राजगोपाल
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Published : Dec 17, 2020, 4:14 PM IST

मुरैना। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. आज प्रदर्शन का 22वां दिन है. किसानों के समर्थन में गुरुवार को मुरैना से एकता परिषद के नेतृत्व में 3 राज्यों के किसानों द्वारा पैदल मार्च किया जाएगा. इससे पहले एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल और कांग्रेसी विधायक रविंद्र सिंह तोमर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

किसानों के लिए पैदल मार्च
3 राज्यों से होते हुए दिल्ली पहुंचेंगे किसान

किसानों के समर्थन में उतरी एकता परिषद ने के राष्ट्रीय संयोजक पीवी राजगोपाल का कहना है कि जब सरकार किसानों के साथ बातचीत करना चाहती है और उनके हित की बात कर रही है, तो खुले मंच पर क्यों नहीं आती. उनका कहना है कि गांव गांव जाकर किसानों के बीच लाए गए 3 कानूनों के फायदे समझाने के बजाय आंदोलनकारी किसानों को क्यों नहीं समझाया जा रहा. उनका कहना है कि कहीं ना कहीं सरकार आंदोलनकारी किसानों से बचना चाहती है. इसलिए हम एकता परिषद के नेतृत्व में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के किसानों को लेकर आज मुरैना जिले से पैदल मार्च की शुरुआत करने जा रहे हैं. पैदल मार्च मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के रास्ते दिल्ली जाएगा और किसानों के आंदोलन को समर्थन देगा.

'षड्यंत्र के जरिए किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश'


एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कहा कि आंदोलन में लगे किसान की मौत होती जा रही है. भारतीय जनता पार्टी के नेता अथवा केंद्र सरकार के कृषि मंत्री किसानों के बीच जाकर उनकी शंकाओं का समाधान क्यों नहीं कर रहे. यही कारण है कि यह आंदोलन और अधिक लंबा होता जा रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसान आंदोलन का समाधान करने को दिए गए निर्देश के बाद जल्द समाप्त होने की उम्मीद भी जगी है. किसान आंदोलन देश विरोधी ताकतों के सम्मेलन होने पर पीवी राजगोपाल ने कहा कि हम इस चीज की निगरानी रखते हैं. हमारे साथ या आंदोलन में ऐसी कोई व्यक्ति शामिल नहीं होगा. हालांकि वहां कुछ प्राइस ब्लॉक किसानों के बीच जाकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे देते हैं. जिसकी वजह से किसान आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है और उसे जल्द खत्म कराने के लिए यह एक षड्यंत्र भी हो सकता है.


उद्योगपतियों को और मजबूत करें नया कृषि बिल
लाए गए तीनों बिलों से उद्योगपतियों को जो फायदे होने वाले हैं और किसानों को जो नुकसान होने वाले हैं. उसपर एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कहा है बिल के माध्यम से उद्योगपतियों को हितों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए अधिकार दिए गए हैं, जबकि किसानों के संरक्षण के लिए उन्हें बिलों में अधिकार नहीं दिए गए. किसान पहले से ही लाचार और बेबस है. इन बिलों के माध्यम से और अधिक लाचार हो जाएगा. यही कारण है कि किसानों के साथ एकता परिषद को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए आना पड़ा.

किसानों के लिए पैदल मार्च

कांग्रेस विधायक ने कही यह बात


कांग्रेस विधायक रविंद्र सिंह तोमर ने एकता परिषद के मंच से किसान आंदोलन को समर्थन देने की बात करते हुए कहा कि हम ना केवल किसानों के साथ हैं. बल्कि अगर जरूरत पड़ी तो इस आंदोलन को राजनीतिक रूप देने के लिए भी तैयार हैं और कांग्रेस पार्टी इसको लेकर अपनी रणनीति तैयार कर रही है. हालांकि अभी तक हम यह चाहते थे कि यह किसानों का आंदोलन सिर्फ किसानों तक ही सीमित रहें, लेकिन सरकार जैसे-जैसे उनकी बात को दरकिनार करती जा रही है और बिलो को वापस लेने पर विचार नहीं कर रही है. इसलिए कांग्रेस किसानों के साथ किसी भी हद तक सामने आने से पीछे नहीं हटेगी.

मुरैना। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. आज प्रदर्शन का 22वां दिन है. किसानों के समर्थन में गुरुवार को मुरैना से एकता परिषद के नेतृत्व में 3 राज्यों के किसानों द्वारा पैदल मार्च किया जाएगा. इससे पहले एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल और कांग्रेसी विधायक रविंद्र सिंह तोमर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

किसानों के लिए पैदल मार्च
3 राज्यों से होते हुए दिल्ली पहुंचेंगे किसान

किसानों के समर्थन में उतरी एकता परिषद ने के राष्ट्रीय संयोजक पीवी राजगोपाल का कहना है कि जब सरकार किसानों के साथ बातचीत करना चाहती है और उनके हित की बात कर रही है, तो खुले मंच पर क्यों नहीं आती. उनका कहना है कि गांव गांव जाकर किसानों के बीच लाए गए 3 कानूनों के फायदे समझाने के बजाय आंदोलनकारी किसानों को क्यों नहीं समझाया जा रहा. उनका कहना है कि कहीं ना कहीं सरकार आंदोलनकारी किसानों से बचना चाहती है. इसलिए हम एकता परिषद के नेतृत्व में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के किसानों को लेकर आज मुरैना जिले से पैदल मार्च की शुरुआत करने जा रहे हैं. पैदल मार्च मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के रास्ते दिल्ली जाएगा और किसानों के आंदोलन को समर्थन देगा.

'षड्यंत्र के जरिए किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश'


एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कहा कि आंदोलन में लगे किसान की मौत होती जा रही है. भारतीय जनता पार्टी के नेता अथवा केंद्र सरकार के कृषि मंत्री किसानों के बीच जाकर उनकी शंकाओं का समाधान क्यों नहीं कर रहे. यही कारण है कि यह आंदोलन और अधिक लंबा होता जा रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसान आंदोलन का समाधान करने को दिए गए निर्देश के बाद जल्द समाप्त होने की उम्मीद भी जगी है. किसान आंदोलन देश विरोधी ताकतों के सम्मेलन होने पर पीवी राजगोपाल ने कहा कि हम इस चीज की निगरानी रखते हैं. हमारे साथ या आंदोलन में ऐसी कोई व्यक्ति शामिल नहीं होगा. हालांकि वहां कुछ प्राइस ब्लॉक किसानों के बीच जाकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे देते हैं. जिसकी वजह से किसान आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है और उसे जल्द खत्म कराने के लिए यह एक षड्यंत्र भी हो सकता है.


उद्योगपतियों को और मजबूत करें नया कृषि बिल
लाए गए तीनों बिलों से उद्योगपतियों को जो फायदे होने वाले हैं और किसानों को जो नुकसान होने वाले हैं. उसपर एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कहा है बिल के माध्यम से उद्योगपतियों को हितों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए अधिकार दिए गए हैं, जबकि किसानों के संरक्षण के लिए उन्हें बिलों में अधिकार नहीं दिए गए. किसान पहले से ही लाचार और बेबस है. इन बिलों के माध्यम से और अधिक लाचार हो जाएगा. यही कारण है कि किसानों के साथ एकता परिषद को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए आना पड़ा.

किसानों के लिए पैदल मार्च

कांग्रेस विधायक ने कही यह बात


कांग्रेस विधायक रविंद्र सिंह तोमर ने एकता परिषद के मंच से किसान आंदोलन को समर्थन देने की बात करते हुए कहा कि हम ना केवल किसानों के साथ हैं. बल्कि अगर जरूरत पड़ी तो इस आंदोलन को राजनीतिक रूप देने के लिए भी तैयार हैं और कांग्रेस पार्टी इसको लेकर अपनी रणनीति तैयार कर रही है. हालांकि अभी तक हम यह चाहते थे कि यह किसानों का आंदोलन सिर्फ किसानों तक ही सीमित रहें, लेकिन सरकार जैसे-जैसे उनकी बात को दरकिनार करती जा रही है और बिलो को वापस लेने पर विचार नहीं कर रही है. इसलिए कांग्रेस किसानों के साथ किसी भी हद तक सामने आने से पीछे नहीं हटेगी.

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