मुरैना। नए कृषि कानूनों के खिलाफ मध्यप्रदेश कांग्रेस ने केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस आज में मुरैना खाट पंचायत करने जा रही है. इस पंचायत के माध्यम से कांग्रेस किसानों को संदेश देना चाहती है कि वे किसानों के साथ हैं. साथ सरकार किसी भी कीमत पर तीन कृषि कानूनों को वापस ले. खाट पंचायत की तैयारियां शुरू हो गईं हैं. मुरैना के देवरी गांव में गजब का नजारा देखने को मिला.
खाट लेकर पहुंच रहे किसान व कांग्रेस कार्यकर्ता
किसान व कांग्रेस कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों से करीब 500 खाट लेकर यहां पहुंच रहे हैं. कोई कंधे पर खाट लिए है, तो कोई सिर पर खाट लेकर पहुंच रहा है. इस पंचायत में ग्रामीण जीवन शैली में किसानों के बीच कृषि कानूनों के विरोध की पटकथा कांग्रेस द्वारा लिखी जाएगी.
दिग्गी व कमलनाथ के नेतृत्व में होगी सभा
पूरी सभा में मंच पर नेता भी खाट पर बैठेंगे और सामने किसान और प्रदर्शनकारी कांग्रेस कार्यकर्ता भी खाट पर विराजमान होंगे. कार्यक्रम के नायक पीसीसी चीफ कमलनाथ व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह होंगे.
5 हजार किसान हो सकते हैं शामिल
किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने बताया कि कृषि कानूनों के विरोध में ग्वालियर-चंबल अंचल से 5000 से अधिक किसान बुधवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा ले सकते हैं. हमारी एक ही मांग है कि किसी भी कीमत पर नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए. खाट पंचायत में फैसला करेंगे और लिखित निर्णय की प्रति केंद्र सरकार को भेज कर अपने आगामी रणनीति से अवगत कराएंगे.
कांग्रेस पदाधिकारी संभाल रहे मोर्चा
खाट पंचायत बुधवार को देवरी गांव में दोपहर 12:00 बजे आयोजित होने वाली है. पंचायत में किसानों के बैठने की व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय कांग्रेस पदाधिकारियों को दी गई है. कांग्रेस पदाधिकारी किसानों से अपील कर रहे हैं कि इस प्रदर्शन में हिस्सा लें. अपनी खाट लाएं और कार्यक्रम के बाद खाट साथ ले जाएं.
यूपी जैसा हाल ना हो, इसलिए पुख्ता व्यवस्था
यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने खाट पंचायत का आयोजन किया था. गैरकांग्रेसी दलों द्वारा भिन्न-भिन्न स्थानों पर हुई कांग्रेस की 'खाट सभा' के बाद हुई 'खाट लूट' का मजाक उड़ाया था. हालांकि इस मजाक को राजनीति के ज्ञाता अपरिपक्व की श्रेणी में रखते हैं. लेकिन 'खाट सभा' और 'खाट लूट' की चर्चा उस समय हॉट टॉपिक बन गई थी. लिहाजा कांग्रेस इस बार उसे दोहराना नहीं चाहेगी. इसलिए एक-एक कार्यकर्ता को व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी है. किसान जो खाट लाएगा उसे बाकायदा कार्यक्रम के बाद साथ ले जाएगा. इसकी जवाबदेही स्थानीय कार्यकर्ताओं की होगी.
क्या 'खाट' से निकलेगी कृषि कानूनों की काट ?
भारतीय राजनीति में नए-नवेले प्रयोग और ग्लैमर का तड़का कोई नहीं बात नहीं है. इन सबके बावजूद लीक से हटकर कुछ अलग सोचने वाला राजनेता व कार्यकर्ता अपेक्षा से एकाध प्रतिशत कम अथवा ज्यादा रिजल्ट हासिल कर ही लेता है. अब ये कांग्रेस की खाट पंचायत के बाद ही पता चलेगा कि आखिर केंद्र सरकार पर कितना दवाब बना और कांग्रेस के इस प्रदर्शन से किसान आंदोलन को कितना संबल मिला.
'खाट पंचायत के बाद दिल्ली कूच करेंगे'
पूर्व मंत्री किसान रैली के दौरान स्पष्ट कर चुके हैं कि ये आंदोलन अभी खत्म नहीं हो रहा है. मुरैना में खाट पंचायत के बाद दिल्ली कूच करना है. साथ उन्होंने सीएम शिवराज को चैलेंज किया है कि 'शिवराज तेरी पुलिस में दम हो, तो हमें दिल्ली जाने से रोक लेना. नहीं रोका, तो मोदी की ईंट से ईंट बजा कर आएंगे'