मुरैना। गणेश उत्सव के लिए गणेश स्थापना का मुहूर्त आने वाला है, ऐसे में लोग अपने घरों सहित मोहल्लों में भगवान गणेश की स्थापना करते हैं. उत्सव के समापन के बाद मूर्तियों को नदी अथवा जलाशयों में विसर्जित कर दिया जाता है. अगर पीओपी की मूर्ति पानी में विसर्जित होती है, तो उसके कई दुष्परिणाम सामने आते हैं. पर्यावरण पर विसर्जन का कोई प्रतिकूल असर ना पड़े, इसके लिए चंबल संभाग के आयुक्त ने लोगों से इको फ्रेंडली मूर्तीयों की स्थापना करने की अपील की है.
पीओपी की मूर्तीयों में लगे रासायनिक केमिकल पानी में न सिर्फ कठोरता बढ़ते हैं, बल्कि इसमे कई तरह के रासायनिक तत्व समाहित होते हैं, जो पानी को जलीय जीवों के लिए दूषित बनाते हैं. जीवों के जीवन पर दूषित पानी से संकट आने लगता है. सुंदर और सुविधाजनक होने की वजह से व्यवसायियों के साथ- साथ आम लोग भी पीओपी की मूर्तियों का उपयोग अधिक करते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए सामाजिक संगठन हिंदू जागरण मंच और आयुक्त चंबल संभाग ने आमजन से अपील की है, कि वह मिट्टी, गाय के गोबर तथा पंचगव्य से बनी इको फ्रेंडली मूर्तियों का ही उपयोग करें. इको फ्रेंडली मूर्तियां विसर्जन के बाद पानी में आसानी से घुल जाती हैं, वातावरण को भी किसी तरह का नुकसान नहीं होता है.