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बाढ़ पीड़ितों को खाद्य समाग्री देने के लिए देखी जा रही पात्रता - बाढ़ पीड़ितों को बीपीएल की दर पर पीडीएस

मुरैना में शासन के आदेश के बावजूद बाढ़ पीड़ितों को बीपीएल की दर पर पीडीएस दुकानों से खाद्यान्न नहीं मिल रहा है, जिससे चंबल के ग्रामीण खाने की सामग्री के लिये परेशान हैं.

खाद्यान वितरित करने को लेकर देखा जा रहा पात्र-अपात्र
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Published : Oct 18, 2019, 2:01 AM IST

मुरैना। जिले में शासन के आदेश अनुसार सभी बाढ़ पीड़ितों को बीपीएल की दर पर पीडीएस दुकानों से खाद्यान्न देने के आदेश जारी किए गए. लेकिन पीडीएस दुकान संचालक बाढ़ पीड़ित इलाकों में भी लोगों को पात्र-अपात्र देखकर ही खाद्यान्न बांट रहे हैं, जिसके चलते बाढ़ पीड़ित दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हो रहे हैं और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं.

राशन के लिए परेशान हो रहे बाढ़ पीड़ित

चंबल किनारे बाढ़ से करीब 100 से अधिक गांव प्रभावित हुए थे, और फसलों को भी नुकसान हुआ था. ग्रामीणों को जब तक मुआवजे की राशि और क्षतिपूर्ति नहीं मिलती तब तक बाढ़ पीड़ितों को बीपीएल की दर पर पीडीएस दुकानों से खाद्यान्न देने के आदेश शासन ने जारी किए थे, लेकिन ग्रामीणों को खाद्यान्न वितरित करने से पहले पीडीएस दुकान संचालक उनसे बीपीएल कार्ड मांग रहे हैं.


सहसपुरा के ग्रामीण गुरूवार को मामले की शिकायत लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे लेकिन कलेक्टर से मुलाकात न होने के कारण ग्रामीण मायूस होकर लौट गए, हालांकि इससे पहले भी उन्होंने तहसीलदार और एसडीएम कार्यालय से संपर्क किया और अपनी समस्या बताई लेकिन किसी ने उसको गंभीरता से नहीं लिया. फिलहाल, बाढ़ पीड़ित दो वक्त की रोटी के लिए सरकारी अफसर के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

मुरैना। जिले में शासन के आदेश अनुसार सभी बाढ़ पीड़ितों को बीपीएल की दर पर पीडीएस दुकानों से खाद्यान्न देने के आदेश जारी किए गए. लेकिन पीडीएस दुकान संचालक बाढ़ पीड़ित इलाकों में भी लोगों को पात्र-अपात्र देखकर ही खाद्यान्न बांट रहे हैं, जिसके चलते बाढ़ पीड़ित दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हो रहे हैं और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं.

राशन के लिए परेशान हो रहे बाढ़ पीड़ित

चंबल किनारे बाढ़ से करीब 100 से अधिक गांव प्रभावित हुए थे, और फसलों को भी नुकसान हुआ था. ग्रामीणों को जब तक मुआवजे की राशि और क्षतिपूर्ति नहीं मिलती तब तक बाढ़ पीड़ितों को बीपीएल की दर पर पीडीएस दुकानों से खाद्यान्न देने के आदेश शासन ने जारी किए थे, लेकिन ग्रामीणों को खाद्यान्न वितरित करने से पहले पीडीएस दुकान संचालक उनसे बीपीएल कार्ड मांग रहे हैं.


सहसपुरा के ग्रामीण गुरूवार को मामले की शिकायत लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे लेकिन कलेक्टर से मुलाकात न होने के कारण ग्रामीण मायूस होकर लौट गए, हालांकि इससे पहले भी उन्होंने तहसीलदार और एसडीएम कार्यालय से संपर्क किया और अपनी समस्या बताई लेकिन किसी ने उसको गंभीरता से नहीं लिया. फिलहाल, बाढ़ पीड़ित दो वक्त की रोटी के लिए सरकारी अफसर के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

Intro:सरकार बाढ़ पीड़ितों को बधाई मदद करने के लिए लगातार आश्वस्त कर रही और आदेश देकर संभव मदद देने का वादा कर रही हो लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी और मैदानी अमले की करतूतों से बाढ़ पीड़ित शासन की योजनाओं को और मदद को लेने में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं ऐसा ही एक और मामला सामने आया है यहां शासन के आदेश अनुसार सभी बाढ़ पीड़ितों को बीपीएल की दर पर पीडीएस दुकानों से खाद्यान्न देने के आदेश जारी किए गए । लेकिन पीडीएस दुकान संचालकों द्वारा बाढ़ पीड़ित इलाके में भी लोगों को पात्र अपात्र देखकर ही खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है अगर पीडीएस दुकान संचालक सही है तो फिर शासन जनता को गुमराह क्यों कर रहे हैं और अगर दुकान संचालक जनता के प्रति भेदभाव कर रहे हैं तो उनके विरूद्ध कार्यवाही क्यों नहीं हो रही ।


Body:जिलेभर में चंबल किनारे बाढ़ से 1 सैकड़ा से अधिक गांव प्रभावित हुए थे जहां फसलों में शत-प्रतिशत नुकसान भी हुआ था इन्हीं गांव में ग्रामीणों को जब तक मुआवजे की राशि और क्षतिपूर्ति नहीं मिलती तब तक शासन द्वारा ना खाने पीने के लिए खाद्यान्न बीपीएल की दरों पर उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए थे लेकिन और सब लोग के रतन वसई और जो चलाइए से ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों को खाद्यान्न वितरित करने से पहले वीडियो दुकान संचालक उनसे बीपीएल कार्ड मांगते हैं अगर बीपीएल कार्ड पर ही राशन मिलता तो फिर बाढ़ पीड़ित होने का और शासन के आदेशों का क्या हुआ चित्र आ गया ।


Conclusion:इस समस्या से ग्रसित आधा सैकड़ा ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय पर आकर अपनी समस्या बताना चाहा लेकिन मुलाकात ना होने के कारण मायूस होकर लौट गए हालांकि इससे पूर्व उन्होंने तहसीलदार और एसडीएम कार्यालय से संपर्क किया और अपनी समस्या बताई लेकिन किसी ने उसको गंभीरता से नहीं लिया फिलहाल बाढ़ पीड़ित दो वक्त की रोटी के लिए सरकारी अफसरों के कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं ।
बाईट 1 - रमेश तोमर , निवासी सहसपुरा , खाद्यान्न से वंचित बाढ़ पीड़ित
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