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मुरैना: लोकसभा चुनाव में अपने वजूद को बचाने में जुटी कांग्रेस और बीजेपी - ,मुरैना

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी अपने-अपने वजूद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव में मिली हार के चलते कांग्रेस नेता रामनिवास रावत को अपनी सीट बचाने की कोशिश करनी पड़ रही है.

बीजेपी और कांग्रेस
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Published : Apr 17, 2019, 3:34 PM IST

मुरैना। मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र से बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार अपने वजूद को बचाने में लगे हैं. दरअसल हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह तोमर के घरेलू विधानसभा क्षेत्र दिमनी और अम्बाह में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली है. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास रावत अपनी ही विधानसभा सीट विजयपुर से हार गए.

साल 2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो बीजेपी से नरेंद्र सिंह तोमर और कांग्रेस से रामनिवास रावत ही उम्मीदवार थे. उस समय श्योपुर और सीमावर्ती सबलगढ़ तहसील से कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले थे. वहीं बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर को अम्बाह और दिमनी विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने सबसे अधिक वोट दिए थे. यही वजह है कि बीजेपी की जीत हुई थी. जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी.जबकि बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में इजाफा हुआ था. गौरतलब है कि श्योपुर कांग्रेस नेता रामनिवास रावत का गढ़ माना जाता है, वहीं मुरैना बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ है. हालांकि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों ही दिग्गजों को अपने-अपने गढ़ में हार का सामना करना पड़ा.

कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुश्कि

1993 से 2014 तक लोकसभा के 6 चुनाव हुए. इन सभी चुनावों में बीजेपी को लगातार जीत मिलती रही है. वहीं 1991 में कांग्रेस को विजय मिली थी. उसके बाद से लगातार कांग्रेस का वोट बैंक गिरता चला गया. बीएसपी पार्टी के वोट में इजाफा हुआ. कांग्रेस अपने परम्परागत अनुसूचित जाति के वोट को संभाल नहीं पाई, जो धीरे-धीरे बीएसपी के पाले में चला गया. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर और रामनिवास रावत को अपने-अपने गृह क्षेत्रों में अपना वजूद बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है.

मुरैना। मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र से बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार अपने वजूद को बचाने में लगे हैं. दरअसल हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह तोमर के घरेलू विधानसभा क्षेत्र दिमनी और अम्बाह में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली है. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास रावत अपनी ही विधानसभा सीट विजयपुर से हार गए.

साल 2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो बीजेपी से नरेंद्र सिंह तोमर और कांग्रेस से रामनिवास रावत ही उम्मीदवार थे. उस समय श्योपुर और सीमावर्ती सबलगढ़ तहसील से कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले थे. वहीं बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर को अम्बाह और दिमनी विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने सबसे अधिक वोट दिए थे. यही वजह है कि बीजेपी की जीत हुई थी. जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी.जबकि बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में इजाफा हुआ था. गौरतलब है कि श्योपुर कांग्रेस नेता रामनिवास रावत का गढ़ माना जाता है, वहीं मुरैना बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ है. हालांकि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों ही दिग्गजों को अपने-अपने गढ़ में हार का सामना करना पड़ा.

कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुश्कि

1993 से 2014 तक लोकसभा के 6 चुनाव हुए. इन सभी चुनावों में बीजेपी को लगातार जीत मिलती रही है. वहीं 1991 में कांग्रेस को विजय मिली थी. उसके बाद से लगातार कांग्रेस का वोट बैंक गिरता चला गया. बीएसपी पार्टी के वोट में इजाफा हुआ. कांग्रेस अपने परम्परागत अनुसूचित जाति के वोट को संभाल नहीं पाई, जो धीरे-धीरे बीएसपी के पाले में चला गया. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर और रामनिवास रावत को अपने-अपने गृह क्षेत्रों में अपना वजूद बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है.

Intro:आम चुनाव 2019 में मुरैना लोकसभा क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदावर अपने ही घर में अपने बाजजूद को बचाने में लगे है । इसका पीछे का कारण यह कि अभी हॉल में ही हुई हुए विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा प्रत्यासी नरेंद्र सिंह तोमर के घरेलू विधानसभा दिमनी और अम्बाह में भाजपा को करारी शिकस्त मिली है । तो वही कांग्रेस प्रत्यासी रामनिवास रावत अपनी ही विधानसभा विजयपुर से खुद विधानसभा हार गए ।


Body:सन 2009 के लोकसभा चुनावो में 2018 के जैसी स्थिति थी । भाजपा से नरेंद्र सिंह तोमर और कांग्रेस से रामनिवास रावत ही उम्मीदवार थे । उस समय रावत अपने गृह से जिले श्योपुर दो विधानसभा और सीमावर्ती सबलगढ़ विधानसभा से कांग्रेस चुनाव जीती थी हालांकि यहां कांग्रेस की जीत का अंतर बहुत कम था ।वही भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर अपने गृह क्षेत्र की अम्बाह और दिमनी विधानसभा से 1लाख से अधिक मतों से विजयी हुए है । इन दोनों चुनावों भाजपा को अच्छी जीत मिली , कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही । वही बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में इजाफा हुआ , वह लगातार भाजपा को टक्कर देती रही ।


Conclusion:1993 से 2014 तक लोकसभा के 6 चुनाव हुए इन सभी चुनावो में भाजपा को लगातार जीत मिलती रही । वही 1991 में कांग्रेस को विजयी मिली उसके बाद से लगातार कांग्रेस का वोट बैंक गिरता चला गया । वही बहुजन समाज पार्टी के वोट में इजाफा किया , आज बसपा 2000 के बाद से होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा का कड़ी टक्कर देकर दूसरे स्थान पर रही । वही कांग्रेस अपने परम्परागत अनुसूचित जाति के वोट को संभाल नही पाई जो धीरे धीरे बहुजन के पाले में चला गया । ऐसे में 2019 के चुनावों में भाजपा के नरेन्द्र सिंह और कांग्रेस के रामनिवास रावत को अपने गृह क्षेत्रो में अपने बजूद को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है ।
बाईट - घनश्याम डंडोतिया - पत्रकार एवं राजनीतिक मामले के जानकार
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