मुरैना। कृषि उपज मंडी के कानून में परिवर्तन करने के लिए बनाया गए मंडी मॉडल एक्ट के विरोध में आज पूरे प्रदेश के साथ मुरैना जिले की भी सभी मंडियां बंद रहीं. हड़ताल के दौरान कृषि उपज मंडी के कर्मचारियों को व्यापारी और हम्मालों का भी समर्थन मिला.
केंद्र सरकार ने कृषि उपज मंडी में किसानों की फसल क्रय विक्रय संबंधी नियमों में परिवर्तन करते हुए अनाज खरीदने और बेचने की किसी को भी अनुमति दे दी है. कोई भी व्यक्ति कृषि उपज मंडी के अंदर अथवा बाहर क्रय विक्रय कर सकता है. कृषि उपज मंडी के बाहर कृषि उपज के क्रय-विक्रय पर कोई भी टैक्स अनिवार्य रूप से नहीं वसूला जा सकता. यही नहीं अगर कोई व्यक्ति कृषि उपज खरीद कर अपने क्षेत्र की स्थानीय मंडी में ना बेचने के बजाय वो किसी भी राज्य की किसी भी मंडी में जाकर बेच सकता है. उसे किसान की कैटेगरी में रखा जाएगा न के व्यापारी की.
कर्मचारियों का आरोप है कि मॉडल एक्ट से मंडी कर्मचारियों के अधिकारों का हनन होता है. साथ ही कृषि उपज मंडी में अनाज बेचने के लिए लाए जाने की बाध्यता भी समाप्त होती है, जिसे लेकर व्यवसायी और मंडी समितियों के कर्मचारी परेशान हैं.
कृषि उपज मंडी समिति के कर्मचारियों का कहना है कि इस व्यवस्था से कृषि उपज मंडी समिति सरकार की एक इकाई ना होकर निजीकरण की ओर जा रही है, जिससे सरकार को राजस्व का घाटा होगा और कर्मचारियों का अहित होगा.
इस व्यवस्था के विरोध में आज मुरैना जिले की सभी सात कृषि उपज मंडी आ पूरी तरह बंद रहीं और इन हड़ताली कर्मचारियों को जिले के सभी व्यापारियों ने समर्थन देते हुए 3 दिन तक मंडी बंद रखने की सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को दे दी है. इस हड़ताल में कर्मचारियों का साथ व्यापारियों और हम्मालों ने भी दिया.