मुरैना। खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर सरकार भले ही सख्त नजर आ रही हो लेकिन स्थानीय स्तर पर कारोबार करने वाले लोग अधिक मुनाफा कमाने के लालच में आम जनजीवन से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे, इसके पीछे दूसरा कारण यह भी है कि चाहे सही रास्ते से धन अर्जित किया गया हो या गलत रास्ते से लेकिन जो भी कारोबार में सफल हुआ समाज ने उसे स्वीकारोक्ति दी. इसलिए जब तक समाज मिलावट के कारोबारियों को बहिष्कृत नहीं करेगा और मिलावट आने वाली पीढ़ी के लिए अभिशाप नहीं मानेगा, तब तक इस पर केवल प्रशासनिक कार्रवाई से अंकुश लगना संभव नजर नहीं आ रहा.
बीते साल 2020 में मुरैना जिले में तीन सैकड़ा से अधिक कारोबारियों से सैंपल लिए गए और सात लोगों पर आपराधिक मामले दर्ज करते हुए एक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल भेजा गया, बावजूद इसके खाद्य पदार्थों में मिलावट लगातार जारी है.
खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा 1 जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक खाद्य पदार्थों का कारोबार करने वाले ओम 368 कारोबारियों के यहां से सैंपल इन की कार्रवाई की गई, जिसमें 191 सैंपल राशन से संबंधित खाद्य पदार्थों के लिए गए जिनमें मसाले, दाल आदि शामिल हैं तो वहीं 169 सैंपल दूध, घी, मावा पनीर तेल और रिफाइंड आदि के सैंपल लिए गए, इनमें से 84 सैंपल की जांच रिपोर्ट खाद्य सुरक्षा विभाग मुरैना को प्राप्त हुई है.
दूध कारोबार के लिए 68 सैंपल 11 अमानक पाए गए
मुरैना जिले में 1 जनवरी 2020 से 31 जुलाई 2020 तक विभिन्न दूध कारोबारी डेरी और चिल्लर सेंटर से खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने 68 सैंपल लिए, इनमें से 26 सैंपल की जांच रिपोर्ट विभाग को प्राप्त हुई, जिसमें 15 सैंपल जांच में शुद्ध पाए गए 8 सैंपल अमानक पाए गए, जबकी 3 में मिलावट के दौरान रासायनिक कैमिकल का उपयोग किया गया था, जो मानव जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध हुए.
दूध उत्पाद के 54 सैंपल लिए 34 अमानक पाए गए
दूध उत्पाद जैसे मावा, पनीर और मिठाई आदि से 54 सैंपल लिए गए, जिनमें से अभी तक 30 सैंपल की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है. इनमें से 34 अमानक पाए गए हैं, जो कि 20 जांच रिपोर्ट अभी प्राप्त होना शेष है.
7 दूध कारोबारियों पर एफआईआर एक को एनएसए के तहत भेजा जेल
जिन दूध कारोबारियों के 34 सैंपल अमानक पाए गए उनमें से 7 ऐसे कारोबारी जिनके सैंपल पूर्व में कई बार जांच में अमानक पाए गए. उनके खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज कराया गया और जो दूध या दूध से बनने वाले उत्पाद घी, मावा और पनीर में ऐसे रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं, जो मानव जीवन के लिए हानिकारक हैं. जिन 7 कारोबारियों पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया है, जिनमें साधु सिंह तोमर निवासी चोट आई अंबाह, पंकज शर्मा निवासी बरेह अंबाह, कमल किशोर शर्मा निवासी चिरपुरा रोड अंबाह, दीनदयाल शर्मा निवासी खड़ियाहार अंबाह, धर्मेंद्र कुशवाहा निवासी जेवरा खेड़ा मुरैना और अवधेश शर्मा निवासी कोर्ट सिरथार अंबाह शामिल हैं. अवधेश शर्मा कोर्ट सरथला अंबा को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल भी भेजा गया.
47 तेल कारोबारियों के यहां सैंपलिंग की कार्रवाई
मुरैना जिला सरसों तेल उत्पादन में देश में अग्रणी स्थान रखता है, यहां का तेल देश के विभिन्न क्षेत्रों में जाता है. यही कारण है कि यहां के तेल कारोबारियों ने भी सरसों तेल में विभिन्न तरह के कम कीमत वाले खाद्य और खाद्य तेलों को मिलाकर बेचने का कारोबार शुरू किया है. अभी तक जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक कुल 47 तेल कारोबारियों के यहां सैंपलिंग की कार्रवाई की गई. 24 सैंपल की जांच रिपोर्ट प्रशासन को प्राप्त हुई, जिनमें से दो खाद्य तेल के सैंपल अमानक पाए गए. जबकि 23 खाद्य तेल की जांच रिपोर्ट आना अभी लंबित हैं.
मिलावट का कारोबार करने वालों को राजनीतिक संरक्षण
राज्य सरकार के सख्त रुख पर स्थानीय नेता और अधिकारियों का गठजोड़ भारी है, क्योंकि सरकार मिलावट के खिलाफ लगातार अभियान चलाने की बात कर रही है और जिला प्रशासन भी सरकार के निर्देशों के पालन पर लगातार कार्रवाई कर रहा है. लेकिन जिस तरह कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और जो बड़े कारोबारी हैं वह प्रशासन की पहुंच से दूर हैं. इससे साफ स्पष्ट है खाद्य सुरक्षा विभाग मिलावट के कारोबार करने वाले आकाओं तक अभी भी पहुंच नहीं पा रहा, जितनी भी नामचीन कंपनियां हैं. चाहे वह दूध का कारोबार कर रहे हों या फिर खाद्य तेल उत्पादन की इकाई के रूप में स्थापित हों, ऐसी कंपनियों पर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने आज तक कार्रवाई नहीं की और अगर की भी हो तो वह सार्वजनिक नहीं हुई, इससे स्पष्ट है कि कहीं ना कहीं मिलावट खोर कारोबारी स्थानीय राजनेता और प्रशासनिक अधिकारियों का एक गठजोड़ काम कर रहा है, जो सरकार की मंशा को पलीता लगा रहा है.