मुरैना। तपती गर्मी और चिलचिलाती धूप में दिन-रात खेतों में मेहनत करने वाले किसानों की कमर लॉकडाउन ने तोड़ी ही थी कि अब उनके सामने एक और परेशानी आ खड़ी हुई है. किसानों के सामने टिड्डियों का टेरर आ गया है, जिस वजह अब दिन में कड़ी मेहनत करने के बाद उनकी रातों की नींद उड़ गई है. हर वक्त डर सताता है तो सिर्फ ये कि न जाने कब टिड्डियों का दल हमला बोल दे और एक बार फिर उनकी मेहनत पर पानी फिर जाए. बता दें, कुछ दिनों पहले ही जिले के कुछ इलाकों में टिड्डियों ने हमला किया था, जिससे किसान परेशान हैं. हालांकि, प्रशासन भी टिड्डी दल से निपटने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद हैं.
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वैज्ञानिकों की सलाह पर किसानों ने टिड्डी दल से फसलों के बचाव के लिए अपना दिन-रात एक कर दिया है. किसान दिन में फसलों की मजदूरी करता है और जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों पर ही चिलचिलाती धूप में रहता है. इसके अलावा अब अपनी रातों की नींद उड़ाकर पूरी रात जागते हुए टिड्डी दल से अपने फसल की रखवाली कर रहा है.
कहीं लाइट तो कहीं साउंड
किसानों की फसल को कहीं टिड्डी दल चट ना कर जाए इसलिए किसान तरह-तरह के जतन अपना रहे हैं. वे न केवल आवाज करते हैं बल्कि हरपल दुआ भी करते हैं कि टिड्डियां अटैक न कर दें. तरह-तरह की आवाजों के लिए किसान कभी बर्तन बजाते हैं तो कभी शोर करते हैं. इसके अलावा रात में खेतों में लाइट जलाकर टिड्डियों पर निगरानी रख रहे हैं.
जिला प्रशासन ने किया टीमों का गठन
कृषि वैज्ञानिकों ने भी टिड्डी दल से फसल के बचाव के लिए कीटनाशक दवाओं के छिड़काव की सलाह जिला प्रशासन और कृषि विभाग को दी है, जिसे लेकर कृषि विभाग ने जिला प्रशासन के निर्देश पर दो दलों का गठन कर दिया है. एक दल टिड्डी दल के आने के संकेत और दिशा का पता लगा रहा है, तो वहीं दूसरा दल उसकी सूचना के आधार पर बचाव के लिए काम कर रहा है. इसके अलावा दूसरा दल मशीनरी से लेकर समाधि क्षेत्र में टिड्डी दल को नष्ट करने की लिए मुस्तैद रहेगा.
टिड्डी दल के हमले में नहीं हुआ नुकसान
कैलारस जनपद और पहाड़ गढ़ जनपद के कुछ ग्राम पंचायतों में टिड्डी दल ने कुछ दिनों पहले हमला किया था. इस दौरान बहुत बड़ा नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन जिन खेतों में सब्जी की फसलें थी, वहां सावधानियां बरती जा रही हैं. साथ ही जिला प्रशासन ने ऐसे इलाकों का सर्वे शुरू कर दिया है.
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बता दें, क्षेत्र में टिड्डी दल राजस्थान के रास्ते से आ रहा है, जिसके लिए जिले के कुछ गांव में किसानों को सलाह दी गई है कि वह अपने खेतों की तत्काल गहरी जुताई कराएं जिससे टिड्डी दल जब आए और अपने अंडे छोड़े तो उनमें से नए टिड्डी न जन्में, इसके लिए गहरी जुताई जरुरी है.