मुरैना। बागी-बीहड़ वाले मुरैना जिले में हजारों साल पहले तामीर किया गया 110 फीट ऊंचा शिव मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. इतिहासकारों की मानें तो सिहोनिया वंश के राजा आनंदपाल सिंह ने 11वीं शताब्दी में अपनी पत्नी ककनावती के लिए इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया था, ताकि रानी ककनावती आसानी से भगवान शिव की आराधना कर सकें. जिसे बाद में ककन मठ के नाम से जाना जाने लगा.
मुगल आक्रांता जब भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ धर्म को नष्ट करने का अभियान चला रहे थे, उस वक्त मठ-मंदिरों का वजूद भी खत्म करने का प्रयास कर रहे थे. मंदिरों में लगी मूर्तियों को नष्ट कर रहे थे, जिसके चलते कई मंदिरों में मूर्तियां आज भी खंडित अवस्था में मौजूद हैं, लेकिन ककन मठ में स्थित शिव मंदिर किसी आक्रांता की वजह से नहीं, बल्कि इसका निर्माण ही आज तक पूरा नहीं हो सका है, इसके पीछे ग्रामीण बताते हैं कि बिना रेत, चूना, पत्थर, मिट्टी के इस विशाल मंदिर का निर्माण संभव नहीं है, कुछ लोगों का अनुमान है कि बिना भूतों के इस मंदिर को कोई नहीं बना सकता क्योंकि सामान्य मानव द्वारा ऐसा निर्माण संभव ही नहीं है.
ग्रामीणों का मानना है कि अगर नाई समाज के सात काने दूल्हे एक साथ बारात लेकर मंदिर के सामने से निकलेंगे तो मंदिर अपने आप ही धराशाई हो जाएगा. लोग बताते हैं कि एक ही रात में भूतों ने विशालकाय पत्थरों से 110 फीट ऊंचे शिव मंदिर का निर्माण किया था, सुबह हो जाने के चलते इंसानी आहट सुनकर भूत अधूरा निर्माण छोड़कर चले गए, जो आज तक अधूरा है. हालांकि, मंदिर का निर्माण जैसे भी जिसने भी कराया था, अद्भुत वास्तु कला का बेजोड़ नमूना है, जिसका धार्मिक महत्व भी है, अब ये मंदिर मध्यप्रदेश पर्यटन के लिए संरक्षित तो है, लेकिन यहां पर्यटकों के लिए न तो कोई सुविधा है और न ही यहां फैली संपदा को व्यवस्थित किया गया है.