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हजारों साल पहले एक ही रात में भूतों ने बनाया था ये मंदिर, आज भी है आस्था का बड़ा केंद्र

मुरैना जिले में हजारों साल पहले तामीर किया गया 110 फीट ऊंचा शिव मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. जिसे बाद में ककन मठ के नाम से जाना जाने लगा.

एक ही रात में भूतों ने बनाया था ये मंदिर
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Published : Sep 28, 2019, 1:24 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 6:06 PM IST

मुरैना। बागी-बीहड़ वाले मुरैना जिले में हजारों साल पहले तामीर किया गया 110 फीट ऊंचा शिव मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. इतिहासकारों की मानें तो सिहोनिया वंश के राजा आनंदपाल सिंह ने 11वीं शताब्दी में अपनी पत्नी ककनावती के लिए इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया था, ताकि रानी ककनावती आसानी से भगवान शिव की आराधना कर सकें. जिसे बाद में ककन मठ के नाम से जाना जाने लगा.

भूतों ने बनाया था भगवान भोलेनाथ का मंदिर

मुगल आक्रांता जब भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ धर्म को नष्ट करने का अभियान चला रहे थे, उस वक्त मठ-मंदिरों का वजूद भी खत्म करने का प्रयास कर रहे थे. मंदिरों में लगी मूर्तियों को नष्ट कर रहे थे, जिसके चलते कई मंदिरों में मूर्तियां आज भी खंडित अवस्था में मौजूद हैं, लेकिन ककन मठ में स्थित शिव मंदिर किसी आक्रांता की वजह से नहीं, बल्कि इसका निर्माण ही आज तक पूरा नहीं हो सका है, इसके पीछे ग्रामीण बताते हैं कि बिना रेत, चूना, पत्थर, मिट्टी के इस विशाल मंदिर का निर्माण संभव नहीं है, कुछ लोगों का अनुमान है कि बिना भूतों के इस मंदिर को कोई नहीं बना सकता क्योंकि सामान्य मानव द्वारा ऐसा निर्माण संभव ही नहीं है.

ग्रामीणों का मानना है कि अगर नाई समाज के सात काने दूल्हे एक साथ बारात लेकर मंदिर के सामने से निकलेंगे तो मंदिर अपने आप ही धराशाई हो जाएगा. लोग बताते हैं कि एक ही रात में भूतों ने विशालकाय पत्थरों से 110 फीट ऊंचे शिव मंदिर का निर्माण किया था, सुबह हो जाने के चलते इंसानी आहट सुनकर भूत अधूरा निर्माण छोड़कर चले गए, जो आज तक अधूरा है. हालांकि, मंदिर का निर्माण जैसे भी जिसने भी कराया था, अद्भुत वास्तु कला का बेजोड़ नमूना है, जिसका धार्मिक महत्व भी है, अब ये मंदिर मध्यप्रदेश पर्यटन के लिए संरक्षित तो है, लेकिन यहां पर्यटकों के लिए न तो कोई सुविधा है और न ही यहां फैली संपदा को व्यवस्थित किया गया है.

मुरैना। बागी-बीहड़ वाले मुरैना जिले में हजारों साल पहले तामीर किया गया 110 फीट ऊंचा शिव मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. इतिहासकारों की मानें तो सिहोनिया वंश के राजा आनंदपाल सिंह ने 11वीं शताब्दी में अपनी पत्नी ककनावती के लिए इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया था, ताकि रानी ककनावती आसानी से भगवान शिव की आराधना कर सकें. जिसे बाद में ककन मठ के नाम से जाना जाने लगा.

भूतों ने बनाया था भगवान भोलेनाथ का मंदिर

मुगल आक्रांता जब भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ धर्म को नष्ट करने का अभियान चला रहे थे, उस वक्त मठ-मंदिरों का वजूद भी खत्म करने का प्रयास कर रहे थे. मंदिरों में लगी मूर्तियों को नष्ट कर रहे थे, जिसके चलते कई मंदिरों में मूर्तियां आज भी खंडित अवस्था में मौजूद हैं, लेकिन ककन मठ में स्थित शिव मंदिर किसी आक्रांता की वजह से नहीं, बल्कि इसका निर्माण ही आज तक पूरा नहीं हो सका है, इसके पीछे ग्रामीण बताते हैं कि बिना रेत, चूना, पत्थर, मिट्टी के इस विशाल मंदिर का निर्माण संभव नहीं है, कुछ लोगों का अनुमान है कि बिना भूतों के इस मंदिर को कोई नहीं बना सकता क्योंकि सामान्य मानव द्वारा ऐसा निर्माण संभव ही नहीं है.

ग्रामीणों का मानना है कि अगर नाई समाज के सात काने दूल्हे एक साथ बारात लेकर मंदिर के सामने से निकलेंगे तो मंदिर अपने आप ही धराशाई हो जाएगा. लोग बताते हैं कि एक ही रात में भूतों ने विशालकाय पत्थरों से 110 फीट ऊंचे शिव मंदिर का निर्माण किया था, सुबह हो जाने के चलते इंसानी आहट सुनकर भूत अधूरा निर्माण छोड़कर चले गए, जो आज तक अधूरा है. हालांकि, मंदिर का निर्माण जैसे भी जिसने भी कराया था, अद्भुत वास्तु कला का बेजोड़ नमूना है, जिसका धार्मिक महत्व भी है, अब ये मंदिर मध्यप्रदेश पर्यटन के लिए संरक्षित तो है, लेकिन यहां पर्यटकों के लिए न तो कोई सुविधा है और न ही यहां फैली संपदा को व्यवस्थित किया गया है.

Intro:8वी से 10वी शताब्दी के बीच शैव संस्कृति भारत मे चरम पर थी , उसी काल खंड में कच्छप घाट राजाओ के द्वारा इस शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था , एक हजार साल तक प्राकृतिक उतार चढ़ाव अपनी विशालकाय शिलाओं पर झेलने वाले यह शिव मंदिर अंचल में ककनमठ के नाम से जाना पहचाना जाता है । अद्भुत वस्तु , कला और अपने आप मे धार्मिक महत्व वाला यह मंदिर मध्यप्रदेश पर्यटन के लिए संरक्षित तो है पर यह पर्यटकों के लिए ना तो कोई सुविधा है और नही यहाँ फैली पूरा संपदा को व्यवस्थित किया गया है ।


Body:
इतिहासकारों की मानें तो सिहोनिया राजा आनंगपाल सिंह ने राजा ने  11वीं शताब्दी में अपनी पत्नी ककनावती के लिए विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया क्योंकि राजा की आनंदपाल की पत्नी शिव भक्त की आप शिव की उपासना के लिए बनाएंगे मंदिर का नाम भी रत्नावती का नाम का ककनमठ रखा गया ।
जब देश में मुगल आक्रांताओं का प्रभाव बढ़ा उन्होंने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ साथ धर्म को नष्ट करने का बीड़ा उठाया जिसके तहत पूरे देश के मंदिरों को नष्ट करने का प्रयास किया ।  मंदिरों में बनी संस्कृति को प्रदर्शित करने वाली विशेषकर आकृति और मूर्तियां की तोड़फोड़ कर नष्ट किया गया , इसीलिए हिन्दू संस्कृति की अनेक मूर्तियां खंडित दिखाई दे रही है जिन्हें  मुगल आक्रांताओ ने तोड़फोड़ कर नष्ट  कर दिया था ।




Conclusion:ग्रामीणों  की किंबदंती को माना तो बिना  रेता, चूना  , पत्थर ,  मिट्टी के बनाया जाना संभव नही है विशाल काय शिव मंदिर को लेकर लोगों का अनुमान है कि बिना भूतों के इस मंदिर को कोई नहीं बना सकता  । इसे सामान्य आदमी के द्वारा बनाना असंभव है । यही नहीं ग्रामीणों का मानना है अगर नाई समाज से सात काने दूल्हा एक साथ  बारात लेकर निकले जोया तो ये विशाल शिव मंदिर ककनमठ के नाम से पहचाना जाता है धराशाई हो
जाएगा ।
ग्रामीणो में प्रचलित किवदंतियों के अनुसार  एक रात में भूतों ने बनाया विशालकाय पत्थरों से 110 फीट ऊंचा शिव मंदिर  । सुबह हुई तो ग्रामीणों की आहट सुनकर भूत गायब हुए,  इसलिए यह मंदिर आज तक अधूरा पड़ा है  । जिसे ककनमठ  के नाम से पहचाना जाता है ग्रामीणों की किवदंतियों पर  विश्वास किया तो यह सत्य है

बाईट 1 - जितेंद्र सिंह चौहान , पर्यटक निवासी शाजापुर आगर मालवा
बाईट -2  अशोक शर्मा  ,  जिला पुरातत्व अधिकारी मुरैना
Last Updated : Sep 28, 2019, 6:06 PM IST
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