मुरैना। तकनीक के बल पर भले ही हिंदुस्तान हर दिन नये आयाम तय कर रहा है, धरती आसमान को एक क्लिक में समेट दिया है, चांद-मंगल पर आसियाना बनाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन आज भी रूढ़िवादी सोच और किस्से-कहानियां, किंवदंतियां लोगों को पुराने खयालों से निकलने नहीं देती हैं. यही वजह है कि 21वीं सदी में भी 16वीं सदी वाली सोच जिंदा हैं.
बीहड़-बागी, मोर, घड़ियाल और गजक की मिठास के लिए मशहूर मुरैना जिले में स्थित ककनमठ भी तारीख पर दर्ज है, स्थानीय लोगों की मानें तो एक रात भूत विशालकाय पत्थरों से 100 फीट ऊंचा शिव मंदिर बना रहे थे, पर इसका निर्माण पूरा होने से पहले सुबह हो गयी और इंसानी हलचल सुनकर भूत अधूरा निर्माण छोड़कर चले गये, तब से ये मंदिर अधूरा ही पड़ा है, जिसे ककनमठ के नाम से जाना जाता है, लोग बताते हैं कि यदि नाई समाज के सात दृष्टिबाधित दूल्हे एक साथ बारात लेकर मंदिर के सामने से निकलेंगे तो ये विशाल शिव मंदिर खुद-ब-खुद जमींदोज हो जायेगा.
वहीं, इतिहासकारों की मानें तो सिहोनिया वंश के राजा अनंगपाल सिंह ने 11वीं शताब्दी में अपनी पत्नी ककनावती के लिए इस विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया था क्योंकि ककनावती शिव भक्त थीं, लिहाजा शिव उपासना के लिए राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया था.
देश में तमाम ऐसी इमारते हैं, जिनके निर्माण को लेकर लोगों में मतभेद है, लेकिन ऐसी इमारतों की बनावट और उसकी दीवारों पर की गयी नक्काशी के लोग आज भी कायल हैं. लिहाजा, सरकार भी ऐसी धरोहरों को संजोने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
नोट- इस खबर की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है, ये खबर स्थानीय लोगों के बताये अनुसार लिखी गयी है.