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1000 साल पहले एक ही रात में भूतों ने बनाया था 100 फीट ऊंचा विशाल शिव मंदिर!

भले ही दुनिया कितना आधुनिक क्यों न हो जाये, लेकिन प्राचीन काल में बनीं इमारतें, मंदिर-मठ आदि की बनावट और उनकी दीवारों पर उकेरी गयी चित्रकारी व कलाकारी देख हर कोई आज भी अभिभूत हो जाता है.

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Published : Jun 6, 2019, 3:50 PM IST

Updated : Jun 6, 2019, 6:06 PM IST

शिव मंदिर

मुरैना। तकनीक के बल पर भले ही हिंदुस्तान हर दिन नये आयाम तय कर रहा है, धरती आसमान को एक क्लिक में समेट दिया है, चांद-मंगल पर आसियाना बनाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन आज भी रूढ़िवादी सोच और किस्से-कहानियां, किंवदंतियां लोगों को पुराने खयालों से निकलने नहीं देती हैं. यही वजह है कि 21वीं सदी में भी 16वीं सदी वाली सोच जिंदा हैं.

भूतों द्वारा निर्मित शिव मंदिर

बीहड़-बागी, मोर, घड़ियाल और गजक की मिठास के लिए मशहूर मुरैना जिले में स्थित ककनमठ भी तारीख पर दर्ज है, स्थानीय लोगों की मानें तो एक रात भूत विशालकाय पत्थरों से 100 फीट ऊंचा शिव मंदिर बना रहे थे, पर इसका निर्माण पूरा होने से पहले सुबह हो गयी और इंसानी हलचल सुनकर भूत अधूरा निर्माण छोड़कर चले गये, तब से ये मंदिर अधूरा ही पड़ा है, जिसे ककनमठ के नाम से जाना जाता है, लोग बताते हैं कि यदि नाई समाज के सात दृष्टिबाधित दूल्हे एक साथ बारात लेकर मंदिर के सामने से निकलेंगे तो ये विशाल शिव मंदिर खुद-ब-खुद जमींदोज हो जायेगा.

वहीं, इतिहासकारों की मानें तो सिहोनिया वंश के राजा अनंगपाल सिंह ने 11वीं शताब्दी में अपनी पत्नी ककनावती के लिए इस विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया था क्योंकि ककनावती शिव भक्त थीं, लिहाजा शिव उपासना के लिए राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया था.

देश में तमाम ऐसी इमारते हैं, जिनके निर्माण को लेकर लोगों में मतभेद है, लेकिन ऐसी इमारतों की बनावट और उसकी दीवारों पर की गयी नक्काशी के लोग आज भी कायल हैं. लिहाजा, सरकार भी ऐसी धरोहरों को संजोने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

नोट- इस खबर की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है, ये खबर स्थानीय लोगों के बताये अनुसार लिखी गयी है.

मुरैना। तकनीक के बल पर भले ही हिंदुस्तान हर दिन नये आयाम तय कर रहा है, धरती आसमान को एक क्लिक में समेट दिया है, चांद-मंगल पर आसियाना बनाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन आज भी रूढ़िवादी सोच और किस्से-कहानियां, किंवदंतियां लोगों को पुराने खयालों से निकलने नहीं देती हैं. यही वजह है कि 21वीं सदी में भी 16वीं सदी वाली सोच जिंदा हैं.

भूतों द्वारा निर्मित शिव मंदिर

बीहड़-बागी, मोर, घड़ियाल और गजक की मिठास के लिए मशहूर मुरैना जिले में स्थित ककनमठ भी तारीख पर दर्ज है, स्थानीय लोगों की मानें तो एक रात भूत विशालकाय पत्थरों से 100 फीट ऊंचा शिव मंदिर बना रहे थे, पर इसका निर्माण पूरा होने से पहले सुबह हो गयी और इंसानी हलचल सुनकर भूत अधूरा निर्माण छोड़कर चले गये, तब से ये मंदिर अधूरा ही पड़ा है, जिसे ककनमठ के नाम से जाना जाता है, लोग बताते हैं कि यदि नाई समाज के सात दृष्टिबाधित दूल्हे एक साथ बारात लेकर मंदिर के सामने से निकलेंगे तो ये विशाल शिव मंदिर खुद-ब-खुद जमींदोज हो जायेगा.

वहीं, इतिहासकारों की मानें तो सिहोनिया वंश के राजा अनंगपाल सिंह ने 11वीं शताब्दी में अपनी पत्नी ककनावती के लिए इस विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया था क्योंकि ककनावती शिव भक्त थीं, लिहाजा शिव उपासना के लिए राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया था.

देश में तमाम ऐसी इमारते हैं, जिनके निर्माण को लेकर लोगों में मतभेद है, लेकिन ऐसी इमारतों की बनावट और उसकी दीवारों पर की गयी नक्काशी के लोग आज भी कायल हैं. लिहाजा, सरकार भी ऐसी धरोहरों को संजोने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

नोट- इस खबर की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है, ये खबर स्थानीय लोगों के बताये अनुसार लिखी गयी है.

Intro:एक रात में भूतों ने बनाया विशालकाय पत्थरों से 100 फीट ऊंचा शिव मंदिर । सुबह हुई तो ग्रामीणों की आहट सुनकर भूत गायब हुए, इसलिए यह मंदिर आज तक अधूरा पड़ा है । जिसे ककनमठ के नाम से पहचाना जाता है ग्रामीणों की किवदंतियों पर विश्वास किया तो यह सत्य है । वही इतिहासकारों की मानें तो सिहोनिया राजा आनंगपाल सिंह ने राजा ने 11वीं शताब्दी में अपनी पत्नी ककनावती के लिए विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया क्योंकि राजा की आनंदपाल की पत्नी शिव भक्त की आप शिव की उपासना के लिए बनाएंगे मंदिर का नाम भी रत्नावती का नाम का ककनमठ रखा गया


Body:जब देश में मुगल आक्रांताओं का प्रभाव बढ़ा उन्होंने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ साथ धर्म को नष्ट करने का बीड़ा उठाया जिसके तहत पूरे देश के मंदिरों को नष्ट करने का प्रयास किया । मंदिरों में बनी संस्कृति को प्रदर्शित करने वाली विशेषकर आकृति और मूर्तियां की तोड़फोड़ का नष्ट किया गया , इसीलिए हिन्दू संस्कृति की अनेक मूर्तियां खंडित दिखाई दे रही है जिन्हें मुगल आक्रांताओ ने तोड़फोड़ कर नष्ट कर दिया था ।


Conclusion:ग्रामीणों की किंबदंती को माना तो बिना रेता, चूना , पत्थर , मिट्टी के बनाया जाना संभव नही है विशाल काय शिव मंदिर को लेकर लोगों का अनुमान है कि बिना भूतों के इस मंदिर को कोई नहीं बना सकता । इसे सामान्य आदमी के द्वारा बनाना असंभव है । यही नहीं ग्रामीणों का मानना है अगर नाई समाज से सात काने दूल्हा एक साथ बारात लेकर निकले जोया तो ये विशाल शिव मंदिर ककनमठ के नाम से पहचाना जाता है धराशाई हो जाएगा ।
बाईट 1 - जितेंद्र सिंह चौहान , पर्यटक निवासी शाजापुर आगर मालवा
बाईट -2 अजय शर्मा - निवासी मुरैना , पर्यटक
Last Updated : Jun 6, 2019, 6:06 PM IST
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