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अन्नकूट पूजा आज, सुख-समृद्धि के लिए पूजे जाते हैं गोवर्धन और भगवान श्रीकृष्ण

मंदसौर में गोवर्धन पूजा के मौके पर महिलाएं गोबर से गोवर्धन नाथ और राधिका की आकृति बनाती हैं. महिलाएं नए पके हुए अनाज का भोजन बनाकर उससे भगवान को भोग लगाती हैं.

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Published : Oct 28, 2019, 2:33 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 3:21 PM IST

पढ़वी के त्योहार पर भगवान गोवर्धन नाथ की पूजा

मंदसौर। जिले भर में आज गोवर्धन की पूजा की जा रही है. भगवान श्री कृष्ण की पूजा के इस त्योहार को परंपरागत तरीके से मनाने की मालवा में सैकड़ों साल पुरानी प्रथा है. प्रभात काल में होने वाली इस पूजा में महिलाएं आज भी अपने आंगन में गाय के ताजे गोबर से भगवान श्री कृष्ण और राधा की आकृति बनाकर नए अनाज से पूजा करती हैं. हिंदू रीति के मुताबिक आज से नए साल की शुरुआत मानी जाती है.

सुख-समृद्धि के लिए पूजे जाते हैं गोवर्धन और भगवान श्रीकृष्ण

सालों पुरानी इस परंपरा में महिलाएं सुबह गायों के अस्तबल में जाकर ताजा गोबर लाती हैं और हर घर-आंगन और चौपाल पर भगवान गोवर्धन नाथ और राधिका की आकृति बनाती है. इस आकृति के अलावा यहां गोरी तालाब और भगवान कार्तिकेय की आकृति भी बनाई जाती है. इन आकृतियों को नए अनाज से सजाया जाता है. माना जाता है कि इन आकृतियों में बनाए गए तालाब में जितना पानी टिकता है, अगले साल उतनी बरसात होती है. भगवान श्री कृष्ण को दही, मक्खन और घी-गुड़ काफी पसंद था, लिहाजा उन्हें यही भोग लगाया जाता है.

मंदसौर। जिले भर में आज गोवर्धन की पूजा की जा रही है. भगवान श्री कृष्ण की पूजा के इस त्योहार को परंपरागत तरीके से मनाने की मालवा में सैकड़ों साल पुरानी प्रथा है. प्रभात काल में होने वाली इस पूजा में महिलाएं आज भी अपने आंगन में गाय के ताजे गोबर से भगवान श्री कृष्ण और राधा की आकृति बनाकर नए अनाज से पूजा करती हैं. हिंदू रीति के मुताबिक आज से नए साल की शुरुआत मानी जाती है.

सुख-समृद्धि के लिए पूजे जाते हैं गोवर्धन और भगवान श्रीकृष्ण

सालों पुरानी इस परंपरा में महिलाएं सुबह गायों के अस्तबल में जाकर ताजा गोबर लाती हैं और हर घर-आंगन और चौपाल पर भगवान गोवर्धन नाथ और राधिका की आकृति बनाती है. इस आकृति के अलावा यहां गोरी तालाब और भगवान कार्तिकेय की आकृति भी बनाई जाती है. इन आकृतियों को नए अनाज से सजाया जाता है. माना जाता है कि इन आकृतियों में बनाए गए तालाब में जितना पानी टिकता है, अगले साल उतनी बरसात होती है. भगवान श्री कृष्ण को दही, मक्खन और घी-गुड़ काफी पसंद था, लिहाजा उन्हें यही भोग लगाया जाता है.

Intro:मंदसौर ।पड़वी और नववर्ष के त्यौहार पर आज जिले भर में गोवर्धन नाथ की पूजा की जा रही है ।भगवान श्री कृष्ण की पूजा के इस त्यौहार को परंपरागत तरीके से मनाने की मालवा में सैकड़ों साल पुरानी प्रथा है। प्रभात काल में होने वाली इस पूजा में महिलाएं आज भी अपने आंगन में, गाय के ताजे गोबर से भगवान श्री कृष्ण और राधा की आकृति बनाकर नए अनाज से बने भोजन से उसकी पूजा करती है।


Body:सालों पुरानी इस परंपरा में महिलाएं प्रभात काल में ही गायों के अस्तबल में जाकर ताजा गोबर लाती है, और हर घर आंगन और चौपाल पर भगवान गोवर्धन नाथ और राधिका की आकृति बनाती है ।इस आकृति के अलावा यहां गोरी तालाब और भगवान कार्तिक की आकृति भी बनाई जाती है। इन आकृतियों को नए अनाज से सजाया जाता है। माना जाता है कि इन आकृतियों में बनाए गए तालाब में जितना पानी टिकता है अगले साल उतनी बरसात होती है। घर की सुख समृद्धि के लिए मनाए जाने वाले इस त्यौहार में भगवान गोवर्धन नाथ की प्रभात काल में ही पूजा होती है। हिंदू रीति के मुताबिक आज से नए साल की शुरुआत मानी जाती है। गोवर्धन नाथ की आकृति बनाने के बाद महिलाएं नए पके हुए अनाज का भोजन बनाकर उससे ही भगवान को भोग लगाया जाता है।


Conclusion:भगवान श्री कृष्ण को दही, मक्खन और घी गुड़ काफी पसंद था लिहाजा आज के दिन भगवान को यही भोग लगाया जाता है। यहां सालों पुरानी मान्यता है कि गोवर्धन पूजा के बाद ही लोग नए अनाज को खाने की शुरुआत करते हैं ।पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही इस परंपरा को नई उम्र की महिलाएं भी बखूबी आगे बढ़ा रही है।
1. मनीषा हकवारिया, स्थानीय महिला
2. निरंजना, स्थानीय महिला


विनोद गौड़, रिपोर्टर, मंदसौर
Last Updated : Oct 28, 2019, 3:21 PM IST
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