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मालवा के किसानों का 'सुपरहिट देसी जुगाड़', मशीन बनाकर फसल में ला दी जान - Kharif Season Mandsaur

मंदसौर जिले के मालवा के किसानों ने खरीफ सीजन में लगाए फसलों की खरपतवार नियंत्रण और नमी बनाए रखने के लिए एक जुगाड़ की मशीन बनाई है. जो बाइक से चलती है. जाने कैसे काम करती है ये मशीन..

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ग्रामीणों का देसी जुगाड़
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Published : Jul 12, 2020, 4:31 PM IST

मंदसौर। आधुनिक खेती में इन दिनों किसानों को कई तरह की जरूरत महसूस हो रही है. जिसके चलते किसान और उनके क्षेत्र से जुड़े कारीगर तरह-तरह की मशीनों और यंत्रों का आविष्कार कर रहे हैं. मालवा के किसानों ने इन दिनों खरीफ सीजन में लगाए फसलों में खर पतवार नियंत्रण और वर्षा की स्थिति में पौधों को नमी बनाए रखने के लिए बाइक से चलने वाले एक ऐसे यंत्र का अविष्कार किया है, जो दोनों कामों को आसानी से करता है. इस यंत्र के इजाद होने के बाद से किसानों को काफी सहूलियत हो रही है, वहीं सदियों से चली आ रही बैलगाड़ी अब यहां पूरी तरह से बंद हो गई है.

खेती में नया अविष्कार

मशीन, ऐसे करती है काम

मालवा इलाके के देसी कारीगरों ने अब बाइक पर कसे जाने वाले दो पहियों के एक यंत्र का निर्माण किया है, जो दो पहियों और पुराने टेंपो के डिफरेंशल बॉक्स की सेटिंग से बनाए गए हैं. इस यंत्र को बाइक के पिछले टॉयर को खोल कर उसकी जगह कस दिया जाता है. इसकी फिटिंग के बाद दो पहियों वाली बाइक तीन पहियों वाले वाहन में तब्दील हो जाती है. इस यंत्र पर पुराने जमाने से चले आ रहे बैलगाड़ी के जरिए चलने वाले कोलपे को ठीक उसी तरह फसलों की लाइनों में चलाया जाता है, जैसे बैल गाड़ी के जमाने में चलाया जाता था. किसानी भाषा में इसे फसल को डोरा करना कहते हैं.

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देसी जुगाड़ से बनाई मशीन

खर पतवार को करता है नष्ट

बाइक के जरिए फसल में डोरा चलाने से फसलों के बीच में लगी खर पतवार पूरी तरह से उखड़ कर खत्म हो जाती है. डोरा चलाने से फसल में एक तरह खरपतवार का नियंत्रण होता है. वहीं दूसरी तरफ फसल में पाटा बन जाने से भी बारिश नहीं होने के हालात में फसल के सूखने से उसे बचाने में मदद मिलती है.

मशीन की लागत

देसी कारीगरों ने महज 10 से 12 हजार की लागत से यंत्र को बनाया है. काफी कम कीमत वाले यंत्र की इजाद के बाद एक तरफ किसान काफी खुश हैं. वहीं दूसरी तरफ कई मजदूरों को इससे रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

खर पतवार नियंत्रण में फायदा

पिछले कुछ सालों में इजाद हुए इस यंत्र से मालवा के किसानों को खेती में काफी सहूलियत होने लगी है. इन दिनों कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी जुगाड़ के उपयोग की किसानों को सलाह दे रहे हैं. वैज्ञानिक जीएस चुंडावत ने बताया कि इसमें किसानों को खर पतवार नियंत्रण में अच्छा फायदा मिल रहा है.

मशीन का उपयोग

किसानों का मददगार और बाइक पर कसे जाने वाला ये यंत्र यहां खूब चलन में आ गया है. जिले के दो तिहाई किसानों ने इस तरह के यंत्र खरीद कर अपनी बाइक पर फिट कर लिए हैं. चंद घंटों में फिट होने वाला ये यंत्र कुछ ही दिनों में किसानों की तमाम फसल को आबाद कर देता है. साथ ही जरूरत के बाद किसान इसे निकाल कर फिर रूटीन की बाइक बनाकर उसे उपयोग में ले लेते हैं.

कृषि के क्षेत्र में दिनों-दिन नए नए उपकरणों का अविष्कार किया जा रहा है, जिससे किसानों को काफी सहूलियत और फायदा मिल रहा है, लेकिन इन सभी के बीच कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को रोजगार की कमी हो रही है. जिससे कई लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते रोजगार को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.

मंदसौर। आधुनिक खेती में इन दिनों किसानों को कई तरह की जरूरत महसूस हो रही है. जिसके चलते किसान और उनके क्षेत्र से जुड़े कारीगर तरह-तरह की मशीनों और यंत्रों का आविष्कार कर रहे हैं. मालवा के किसानों ने इन दिनों खरीफ सीजन में लगाए फसलों में खर पतवार नियंत्रण और वर्षा की स्थिति में पौधों को नमी बनाए रखने के लिए बाइक से चलने वाले एक ऐसे यंत्र का अविष्कार किया है, जो दोनों कामों को आसानी से करता है. इस यंत्र के इजाद होने के बाद से किसानों को काफी सहूलियत हो रही है, वहीं सदियों से चली आ रही बैलगाड़ी अब यहां पूरी तरह से बंद हो गई है.

खेती में नया अविष्कार

मशीन, ऐसे करती है काम

मालवा इलाके के देसी कारीगरों ने अब बाइक पर कसे जाने वाले दो पहियों के एक यंत्र का निर्माण किया है, जो दो पहियों और पुराने टेंपो के डिफरेंशल बॉक्स की सेटिंग से बनाए गए हैं. इस यंत्र को बाइक के पिछले टॉयर को खोल कर उसकी जगह कस दिया जाता है. इसकी फिटिंग के बाद दो पहियों वाली बाइक तीन पहियों वाले वाहन में तब्दील हो जाती है. इस यंत्र पर पुराने जमाने से चले आ रहे बैलगाड़ी के जरिए चलने वाले कोलपे को ठीक उसी तरह फसलों की लाइनों में चलाया जाता है, जैसे बैल गाड़ी के जमाने में चलाया जाता था. किसानी भाषा में इसे फसल को डोरा करना कहते हैं.

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देसी जुगाड़ से बनाई मशीन

खर पतवार को करता है नष्ट

बाइक के जरिए फसल में डोरा चलाने से फसलों के बीच में लगी खर पतवार पूरी तरह से उखड़ कर खत्म हो जाती है. डोरा चलाने से फसल में एक तरह खरपतवार का नियंत्रण होता है. वहीं दूसरी तरफ फसल में पाटा बन जाने से भी बारिश नहीं होने के हालात में फसल के सूखने से उसे बचाने में मदद मिलती है.

मशीन की लागत

देसी कारीगरों ने महज 10 से 12 हजार की लागत से यंत्र को बनाया है. काफी कम कीमत वाले यंत्र की इजाद के बाद एक तरफ किसान काफी खुश हैं. वहीं दूसरी तरफ कई मजदूरों को इससे रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

खर पतवार नियंत्रण में फायदा

पिछले कुछ सालों में इजाद हुए इस यंत्र से मालवा के किसानों को खेती में काफी सहूलियत होने लगी है. इन दिनों कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी जुगाड़ के उपयोग की किसानों को सलाह दे रहे हैं. वैज्ञानिक जीएस चुंडावत ने बताया कि इसमें किसानों को खर पतवार नियंत्रण में अच्छा फायदा मिल रहा है.

मशीन का उपयोग

किसानों का मददगार और बाइक पर कसे जाने वाला ये यंत्र यहां खूब चलन में आ गया है. जिले के दो तिहाई किसानों ने इस तरह के यंत्र खरीद कर अपनी बाइक पर फिट कर लिए हैं. चंद घंटों में फिट होने वाला ये यंत्र कुछ ही दिनों में किसानों की तमाम फसल को आबाद कर देता है. साथ ही जरूरत के बाद किसान इसे निकाल कर फिर रूटीन की बाइक बनाकर उसे उपयोग में ले लेते हैं.

कृषि के क्षेत्र में दिनों-दिन नए नए उपकरणों का अविष्कार किया जा रहा है, जिससे किसानों को काफी सहूलियत और फायदा मिल रहा है, लेकिन इन सभी के बीच कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को रोजगार की कमी हो रही है. जिससे कई लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते रोजगार को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.

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