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मंदसौर गोलीकांड की चौथी बरसी आज, अब भी इंसाफ की आस में पीड़ित परिवार

6 जुन 2017 को किसान आंदोलन मे हुई गोलीबारी में मारे गये किसानों का परिवार आज चार साल बाद भी न्याय की उम्मीद लगाऐ बैठा है. आज किसान आंदोलन की चौथी बरसी पर सभी किसान नेता, मतृक किसानों के गांव-गांव पहुंच कर श्रृद्धांजलि अर्पित करेंगे.

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मंदसौर गोलीकांड
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Published : Jun 6, 2021, 10:19 AM IST

Updated : Jun 6, 2021, 10:33 AM IST

मंदसौर। आज किसान आंदोलन की चौथी बरसी पर सभी किसान नेता, मृतक किसानों के गांव पहुंचकर श्रृद्धांजलि अर्पित करेंगे. इस दौरान किसान नेता मेधा पाटकर और डीपी धाकड़भी मौजूद रहेंगे.

गोलीबारी में 5 किसानों की हुई मौत
बता दें कि महु-नीमच हाईवे स्थित बही पार्श्वनाथ चौराहे पर सैकडों किसान 6 जुन 2017 को किसान हितैषी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. जिसमे फसलों का उचित दाम और स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करना मुख्य मांगे थीं. प्रदर्शन के दौरान किसान उग्र हुए और मौके पर तैनात पुलिस बस ने किसानों पर गोलीबारी करना शुरु कर दिया. इस गोलीबारी में 5 किसानों की मौत हुई, तो वहीं एक अन्य किसान की पुलिस हिरासत में मारपीट से मौत का आरोप लगा.

इन किसानों की गई थी जान
गोलीकांड में किसान कन्हैयालाल पाटीदार (चिलोदपिपलिया), चेनराम पाटीदार नयाखेडा (नीमच), अभिषेक पाटीदार (बरखेडापंथ), पुनमचंद (टकराद), सत्यनारायण धनगर लोध और पुलिस मारपीट से घनश्याम धाकड की मौत हुई. इस तरह मंदसौर किसान आंदोलन की हिंसा में 6 किसानों की दर्दनाक मौत हुई. जिसके बाद किसानों का गुस्सा फुटा और जिले मे हिंसा भडक गई. आक्रोशित किसानों तोडफोड,आगजनी और मारपीट की घटनाओं को अंजाम दिया.

कांग्रेस ने किया न्याय का वादा
किसानों की मौत पर सियासत शुरु हुई और शिवराज सरकार ने मृतक किसानों को एक-एक करोड़ का मुआवजा देने की घोषणा की. उधर, कांग्रेस भी इसे मुद्दा बनाकर सडक पर उतर आई. विधानसभा चुनाव से पहले आंदोलन की पहली बरसी के दिन 6 जुन 2018 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गोलीकांड स्थल से कुछ ही दूरी पर एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए मृतक किसानों को न्याय दिलाने और किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की थी.

कांग्रेस ने नहीं किए पूरे वादे
इस तरह किसान आंदोलन को मुद्दा बनाकर प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई. वहीं तत्तकालीन काग्रेस नेता वर्तमान में भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो यहां तक घोषणा की थी की वे तब तक फूलों की माला नहीं पहनेंगे जब तक किसान परिवारों को न्याय नहीं मिल जाता. सिंधिया भी सभी किसान परिवारों के बीच पहुंचे और श्रृद्धांजलि सभा कर भाजपा को निशाने पर लिया. लेकिन हुआ सब इन वादों के उलट.


अपनी मांगों पर अड़े किसान
आंदोलन के बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी तो हुई पर कर्जमाफी के फेर मे उलझी कांग्रेस ने किसानों के मन को ठेंस पहुंचाई, और 15 माह बाद फिर सत्ता का उलटफेर हुआ सिंधिया के सपोर्ट से भाजपा फिर सत्ता में आ गई. वहीं किसान परिवार मृतक किसानों को शहीदों का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों पर 302 का मुकदमा दर्ज करवाने की मांग पर अडे हैं. वहीं जिले के सभी अलग-अलग किसान संगठन अब एकजुट होकर "किसान समन्वय समिती" के बैनर तले किसानों की मांगो पर जोर देंगे. साथ ही कृषि कानून रद्द करने की मांग करेंगे.

मंदसौर। आज किसान आंदोलन की चौथी बरसी पर सभी किसान नेता, मृतक किसानों के गांव पहुंचकर श्रृद्धांजलि अर्पित करेंगे. इस दौरान किसान नेता मेधा पाटकर और डीपी धाकड़भी मौजूद रहेंगे.

गोलीबारी में 5 किसानों की हुई मौत
बता दें कि महु-नीमच हाईवे स्थित बही पार्श्वनाथ चौराहे पर सैकडों किसान 6 जुन 2017 को किसान हितैषी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. जिसमे फसलों का उचित दाम और स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करना मुख्य मांगे थीं. प्रदर्शन के दौरान किसान उग्र हुए और मौके पर तैनात पुलिस बस ने किसानों पर गोलीबारी करना शुरु कर दिया. इस गोलीबारी में 5 किसानों की मौत हुई, तो वहीं एक अन्य किसान की पुलिस हिरासत में मारपीट से मौत का आरोप लगा.

इन किसानों की गई थी जान
गोलीकांड में किसान कन्हैयालाल पाटीदार (चिलोदपिपलिया), चेनराम पाटीदार नयाखेडा (नीमच), अभिषेक पाटीदार (बरखेडापंथ), पुनमचंद (टकराद), सत्यनारायण धनगर लोध और पुलिस मारपीट से घनश्याम धाकड की मौत हुई. इस तरह मंदसौर किसान आंदोलन की हिंसा में 6 किसानों की दर्दनाक मौत हुई. जिसके बाद किसानों का गुस्सा फुटा और जिले मे हिंसा भडक गई. आक्रोशित किसानों तोडफोड,आगजनी और मारपीट की घटनाओं को अंजाम दिया.

कांग्रेस ने किया न्याय का वादा
किसानों की मौत पर सियासत शुरु हुई और शिवराज सरकार ने मृतक किसानों को एक-एक करोड़ का मुआवजा देने की घोषणा की. उधर, कांग्रेस भी इसे मुद्दा बनाकर सडक पर उतर आई. विधानसभा चुनाव से पहले आंदोलन की पहली बरसी के दिन 6 जुन 2018 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गोलीकांड स्थल से कुछ ही दूरी पर एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए मृतक किसानों को न्याय दिलाने और किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की थी.

कांग्रेस ने नहीं किए पूरे वादे
इस तरह किसान आंदोलन को मुद्दा बनाकर प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई. वहीं तत्तकालीन काग्रेस नेता वर्तमान में भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो यहां तक घोषणा की थी की वे तब तक फूलों की माला नहीं पहनेंगे जब तक किसान परिवारों को न्याय नहीं मिल जाता. सिंधिया भी सभी किसान परिवारों के बीच पहुंचे और श्रृद्धांजलि सभा कर भाजपा को निशाने पर लिया. लेकिन हुआ सब इन वादों के उलट.


अपनी मांगों पर अड़े किसान
आंदोलन के बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी तो हुई पर कर्जमाफी के फेर मे उलझी कांग्रेस ने किसानों के मन को ठेंस पहुंचाई, और 15 माह बाद फिर सत्ता का उलटफेर हुआ सिंधिया के सपोर्ट से भाजपा फिर सत्ता में आ गई. वहीं किसान परिवार मृतक किसानों को शहीदों का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों पर 302 का मुकदमा दर्ज करवाने की मांग पर अडे हैं. वहीं जिले के सभी अलग-अलग किसान संगठन अब एकजुट होकर "किसान समन्वय समिती" के बैनर तले किसानों की मांगो पर जोर देंगे. साथ ही कृषि कानून रद्द करने की मांग करेंगे.

Last Updated : Jun 6, 2021, 10:33 AM IST
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