मंदसौर। देश का दिल कहे जाने वाला मध्यप्रदेश आस्था का बड़ा केंद्र है. मंदसौर में मौजूद भगवान भोलेनाथ का पशुपतिनाथ मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां भगवान शिव की सबसे बड़ी अष्टमुखी प्रतिमा मौजूद है, जिसके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. 80 साल पहले मंदसौर की शिवना नदी में मिली यह मूर्ति दो हजार साल पुरानी बताई गई है. 7 फीट ऊंजी और ढाई मीटर गोलाकार मूर्ति मंदसौर के अलावा पूरे विश्व में कहीं नहीं है.
सावन के महीने में मिलता है खास मौका
इस धरोहर को राज्य सरकार के पर्यटन विकास निगम ने अपने अधीन कर मंदसौर शहर को पवित्र नगरी घोषित किया है. 3 साल पहले पुरातत्व विभाग के निर्देश के बाद मंदिर की प्रबंध समिति ने प्रतिमा पर सार्वजनिक जलाभिषेक और केमिकल युक्त पूजा सामग्री चढ़ाने पर रोक लगा दी है. हालांकि सावन महीने में यहां श्रद्धालुओं को जलाभिषेक करने की विशेष अनुमति दी जाती है. हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा पर दीपदान भी होता है. इस मौके पर देश और दुनिया भर के श्रद्धालु हर यहां पहुंचते हैं. कार्तिक माह की पूर्णिमा पर यहां15 दिवसीय मेले आयोजन भी होता, जिसमें श्रद्धालु उत्साह के साथ शामिल होते हैं.
8 मुख वाली प्रतिमा है अद्भुत
8 मुख वाली यह प्रतिमा दो भागों में बंटी है. प्रतिमा के मुख जीवन की चारों अवस्थाओं को दर्शाते हैं. जिसे अब पुरातत्व विभाग में संरक्षित धरोहर की श्रेणी में लिया है. हालांकि स्थानीय विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया का आरोप है कि जब से कमलनाथ सरकार आई है तब से मंदिर परिसर के होने वाले विकास कार्य ठप्प हो चुके हैं.
दूसरी प्रतिमा के लिए मंदिर हो रहा तैयार
राज्य सरकार के धर्मस्व विभाग द्वारा इस मंदिर को पवित्र स्थान और शहर को पवित्र नगरी घोषित किया है. इस नदी से एक और शहस्त्र शिवलिंग की प्रतिमा भी मिली थी, लिहाजा यहां एक और भव्य मंदिर तैयार किया जा रहा है.
श्रद्धालुओं की सुविधाओं को किया जा रहा दुरुस्त
भगवान भोलेनाथ का पशुपतिनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व होने के साथ यह लोगों की आस्था का केंद्र भी बना हुआ है. पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को और बेहतर बनाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं.