भोपाल: 'मन की बात' कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से तारीफ पाने वाले भोपाल के महेश की खोज तीन दिन बाद भी पूरी नहीं हो पाई है. बुजुर्गों को डिजीटल पेमेंट के गुर सिखाने वाले महेश का अब तक पता नहीं चल पाया है. उधर कांग्रेस भी अब महेश की खोज के लिए आगे आई है. कांग्रेस ने महेश का पता लगाने के लिए पुलिस से उसे खोजने की गुहार लगाई है. कांग्रेस प्रवक्ता के मुताबिक, ''बीजेपी को भले ही समाज में अच्छा काम करने वालों की फिक्र न हो, लेकिन कांग्रेस बुजुर्गों की मदद करने वाले महेश का सम्मान करेगी.
कार्यक्रम में नाम आने के बाद शुरू हुई खोज
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 नवंबर रविवार को अपने मन की बात कार्यक्रम के 116 एपिसोड में भोपाल के महेश का जिक्र किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, ''कई शहरों में युवा, बुजुर्गों को डिजिटल क्रांति में भागीदार बनाने के लिए आगे आ रहे हैं. ऐसे ही एक शख्स भोपाल के महेश हैं. महेश ने अपने क्षेत्र के कई बुजुर्गों को मोबाइल के जरिए ऑनलाइन पेमेंट करना सिखाया है. इन बुजुर्गों के पास स्मार्टफोन तो था, लेकिन उसका सही उपयोग बताने वाला कोई नहीं था.'' प्रधानमंत्री ने बुजुर्गों को डिजिटल अरेस्ट जैसी साइबर अपराध की घटनाओं से बचाने के लिए युवाओं से आगे आने की अपील भी की.
अब तक नहीं मिला महेश
पीएम मोदी द्वारा भोपाल के युवा का जिक्र आने के बाद महेश की तलाश शुरू हुई. बीजेपी नेताओं ने महेश का पता लगाने की कोशिश शुरू की. शहर भर में महेश का पता लगाने का प्रयास किया गया. जब सफलता नहीं मिली तो जिला प्रशासन से सहयोग मांगा गया. जिला प्रशासन ने भी एक नंबर जारी कर अपील जारी की. कहा गया कि किसी के पास महेश के संबंध में जानकारी हो तो संपर्क किया जाए, लेकिन अब तक महेश का पता नहीं चल पाया है.
कांग्रेस बोली थाने में करेंगे शिकायत
उधर, कांग्रेस युवा नेता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि, ''बुजुर्गों के मददगार बनने वाले महेश का पता लगाने के लिए कांग्रेस भी महेश को खोजेगी. हमारी पुलिस से भी अपील है कि महेश को खोज कर सामने लाया जाए. उम्मीद है पुलिस साइबर अरेस्ट के आरोपियों को तो नहीं खोज पाई लेकिन महेश को जरुर ढूंढ निकालेगी.''
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कलेक्टर बोले, कोई भी दे सकता है सुझाव
उधर, भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह का कहना है कि, ''मन की बात कार्यक्रम में कई माध्यम से जानकारी कलेक्ट की जाती है. इसके अलावा माय गवर्नमेंट पोर्टल पर भी आम लोग अपने सुझाव भेजते हैं. कई सामाजिक संगठन और आम लोग भी सीधे पोस्ट के माध्यम से अपने सुझाव और कामों की जानकारी पीएमओ तक भेजते हैं. हो सकता है यह जानकारी भी ऐसे ही किसी माध्यम से पहुंची हो.''