मंदसौर। ओंकारेश्वर में पहला तैरने वाला सोलर एनर्जी प्लांट प्रस्तावित होने के बाद अब गांधी सागर की तराई में प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्लांट स्थापित किया जाएगा. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग ने मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता की मांग पर ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को इस योजना पर तत्काल काम करने के आदेश दिए हैं. कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह डंग के आदेश के बाद विभागीय इंजीनियरों ने अगले हफ्ते से यहां सर्वे की शुरुआत करने का आश्वासन दिया है.
बता दें ओंकारेश्वर बांध के जलाशय पर 600 मेगावॉट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएंगे. इसी तर्ज पर गांधी सागर में भी चंबल नदी के दोनों किनारों और इसके पहाड़ी एरिया पर सोलर प्लेट लगाईं जाएंगीं. इससे गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने के साथ ही जलाशय के पानी का वाष्पीकरण भी रुकेगा.
सांसद ने कहा कि इस तकनीक का उपयोग कर जमीन का घेराव भी कम होगा और इससे पैदा होने वाली बिजली से प्रदेश के लोगों को फायदा मिल सकेगा. मंदसौर दौरे पर आए मंत्री हरदीप सिंह डंग ने इस योजना पर तत्काल अमल करने का आश्वासन दिया है. कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह ने मौके पर मौजूद ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को तत्काल फील्ड सर्वे करवाने के निर्देश दिए हैं. विभाग के चीफ इंजीनियर भुवनेश कुमार पटेल ने भी चंबल नदी और गांधी सागर डैम का सर्वे करने की बात कही है. अगर यहां प्लांट प्रस्तावित हो जाता है तो ये प्रदेश का दूसरा फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्लांट होगा.
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट
जानकारों के अनुसार बांध के जलाशय में करीब दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोलर पैनल लगाकर बिजली का उत्पादन होगा. करीब तीन हजार करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट से साल 2022-23 तक बिजली के उत्पादन का लक्ष्य है.
इसके अलावा प्रदेश में हाल ही में रीवा में 750 मेगावॉट क्षमता का एशिया का सबसे बड़ा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क 1500 हेक्टेयर में शुरू हुआ है, जबकि ओंकारेश्वर का सोलर प्लांट पानी पर तैरने वाला होने से जमीन नहीं खरीदनी पड़ेगी. इससे परियोजना की लागत कम आने से सस्ती बिजली मिल सकेगी.
पानी पर तैरेंगे पैनल
सोलर पैनल जलाशय में पानी की सतह पर तैरते रहेंगें. बांध का जलस्तर कम-ज्यादा होने पर यह खुद ही ऊपर-नीचे हो सकेंगे. तेज लहरें और बाढ़ का भी इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सूर्य की रोशनी से निरंतर बिजली का उत्पादन मिलता रहेगा.