मंदसौर। आधुनिकता के दौर में कई परंपराएं भी लुप्त होती जा रही हैं, लेकिन मंदसौर के धमनार गांव में आज भी लोग हर साल कार्तिक माह की अलसुबह रामधुन की प्रभात फेरी करते हैं. लोग प्रभात फेरी में राम नाम जपते हैं और गाजे-बाजे से साथ भगवान राम का भजन गाते हुए पूरे गांव का भ्रमण करते हैं.
सदियों से चली आ रही इस परंपरा में यहां के बुजुर्गों और नई पीढ़ी ने मिलकर राग प्रभात और विलुप्त होने वाले सनातन भजनों का सिलसिला जारी रखा है. गांव के लोग सुबह साढ़े 3 बजे उठकर नहाने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर पहुंच जाते हैं. इसके बाद ढोल मंजीरों की थाप से राग प्रभात के गीत शुरू हो जाते हैं. इन गीतों की गूंज के साथ ही गांव में चहल-पहल भी शुरू हो जाती है. बुजुर्गों के साथ ही युवा भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने से खुशी महसूस करते हैं.
कार्तिक महीने के दौरान प्रभात काल में गाए जाने वाले इन गीतों में भगवान के 12 रूपों के वर्णन के अलावा संगीत की आध्यात्मिक विद्या का भी समावेश है. आधुनिक यंत्रों के संगीत से परे इस परंपरा में बुजुर्ग और युवा अभी भी पुरातन संगीत के वाद्य यंत्रों का ही उपयोग करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के भजनों में जीवन के चारों काल खंडों में व्यक्ति के कर्म योगी बनने के साथ ही उसे इमानदारी से देशहित में योगदान देने का भी वर्णन है.
कार्तिक महीने की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक महीने भर चलने वाली रामधुन की परंपरा अब मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनिंदा गांव में ही बची है. हालांकि, आधुनिक दौर में ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से जनजीवन बदल रहा है, लेकिन इन गांव में भोर काल में लोगों को अपने जनजीवन के अलावा स्वास्थ्य का प्राचीन रास्ता दिखाने वाली ये परंपरा अभी भी जारी है. खास बात ये है कि यहां के युवा भी इसे खुशी-खुशी आगे बढ़ा रहे हैं.