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वर्षों पुरानी परंपरा को जीवंत कर रही युवा पीढ़ी, अलसुबह करते हैं रामधुन की प्रभात फेरी

मंदसौर के धमनार गांव में अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे आज भी यहां के लोग बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं, जिसमें लोग कार्तिक माह की अलसुबह रामधुन की प्रभात फेरी करते हैं और राम के भजन गाते हैं.

वर्षों पुरानी परंपरा को जीवांत कर रही युवा पीढ़ी
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Published : Nov 11, 2019, 2:29 PM IST

Updated : Nov 11, 2019, 2:58 PM IST

मंदसौर। आधुनिकता के दौर में कई परंपराएं भी लुप्त होती जा रही हैं, लेकिन मंदसौर के धमनार गांव में आज भी लोग हर साल कार्तिक माह की अलसुबह रामधुन की प्रभात फेरी करते हैं. लोग प्रभात फेरी में राम नाम जपते हैं और गाजे-बाजे से साथ भगवान राम का भजन गाते हुए पूरे गांव का भ्रमण करते हैं.

वर्षों पुरानी परंपरा को जीवांत कर रही युवा पीढ़ी


सदियों से चली आ रही इस परंपरा में यहां के बुजुर्गों और नई पीढ़ी ने मिलकर राग प्रभात और विलुप्त होने वाले सनातन भजनों का सिलसिला जारी रखा है. गांव के लोग सुबह साढ़े 3 बजे उठकर नहाने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर पहुंच जाते हैं. इसके बाद ढोल मंजीरों की थाप से राग प्रभात के गीत शुरू हो जाते हैं. इन गीतों की गूंज के साथ ही गांव में चहल-पहल भी शुरू हो जाती है. बुजुर्गों के साथ ही युवा भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने से खुशी महसूस करते हैं.

कार्तिक महीने के दौरान प्रभात काल में गाए जाने वाले इन गीतों में भगवान के 12 रूपों के वर्णन के अलावा संगीत की आध्यात्मिक विद्या का भी समावेश है. आधुनिक यंत्रों के संगीत से परे इस परंपरा में बुजुर्ग और युवा अभी भी पुरातन संगीत के वाद्य यंत्रों का ही उपयोग करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के भजनों में जीवन के चारों काल खंडों में व्यक्ति के कर्म योगी बनने के साथ ही उसे इमानदारी से देशहित में योगदान देने का भी वर्णन है.

कार्तिक महीने की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक महीने भर चलने वाली रामधुन की परंपरा अब मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनिंदा गांव में ही बची है. हालांकि, आधुनिक दौर में ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से जनजीवन बदल रहा है, लेकिन इन गांव में भोर काल में लोगों को अपने जनजीवन के अलावा स्वास्थ्य का प्राचीन रास्ता दिखाने वाली ये परंपरा अभी भी जारी है. खास बात ये है कि यहां के युवा भी इसे खुशी-खुशी आगे बढ़ा रहे हैं.

मंदसौर। आधुनिकता के दौर में कई परंपराएं भी लुप्त होती जा रही हैं, लेकिन मंदसौर के धमनार गांव में आज भी लोग हर साल कार्तिक माह की अलसुबह रामधुन की प्रभात फेरी करते हैं. लोग प्रभात फेरी में राम नाम जपते हैं और गाजे-बाजे से साथ भगवान राम का भजन गाते हुए पूरे गांव का भ्रमण करते हैं.

वर्षों पुरानी परंपरा को जीवांत कर रही युवा पीढ़ी


सदियों से चली आ रही इस परंपरा में यहां के बुजुर्गों और नई पीढ़ी ने मिलकर राग प्रभात और विलुप्त होने वाले सनातन भजनों का सिलसिला जारी रखा है. गांव के लोग सुबह साढ़े 3 बजे उठकर नहाने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर पहुंच जाते हैं. इसके बाद ढोल मंजीरों की थाप से राग प्रभात के गीत शुरू हो जाते हैं. इन गीतों की गूंज के साथ ही गांव में चहल-पहल भी शुरू हो जाती है. बुजुर्गों के साथ ही युवा भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने से खुशी महसूस करते हैं.

कार्तिक महीने के दौरान प्रभात काल में गाए जाने वाले इन गीतों में भगवान के 12 रूपों के वर्णन के अलावा संगीत की आध्यात्मिक विद्या का भी समावेश है. आधुनिक यंत्रों के संगीत से परे इस परंपरा में बुजुर्ग और युवा अभी भी पुरातन संगीत के वाद्य यंत्रों का ही उपयोग करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के भजनों में जीवन के चारों काल खंडों में व्यक्ति के कर्म योगी बनने के साथ ही उसे इमानदारी से देशहित में योगदान देने का भी वर्णन है.

कार्तिक महीने की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक महीने भर चलने वाली रामधुन की परंपरा अब मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनिंदा गांव में ही बची है. हालांकि, आधुनिक दौर में ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से जनजीवन बदल रहा है, लेकिन इन गांव में भोर काल में लोगों को अपने जनजीवन के अलावा स्वास्थ्य का प्राचीन रास्ता दिखाने वाली ये परंपरा अभी भी जारी है. खास बात ये है कि यहां के युवा भी इसे खुशी-खुशी आगे बढ़ा रहे हैं.

Intro:मंदसौर :आज की आधुनिक और भागदौड़ भरी जिंदगी में सब कुछ तेजी से बदल रहा है ।ऐसे समय में नई पीढ़ी की दैनिक व्यस्तता के कारण सदियों से चली आ रही कई पुरातन परंपराएं भी अब विलुप्ती के कगार पर है ।धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में भी ऐसी कई जीवन उपयोगी परंपराएं प्रचलित थी जो नई पीढ़ी द्वारा आगे न बढ़ाने से अब बंद होने लगी है। लेकिन इन सबके बावजूद जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी स्वास्थ्य व अध्यात्म से जुड़ी रामधुन के गीतों की वाली एक ऐसी परंपरा बरकरार है ।इसे नई पीढ़ी के युवा खुशी-खुशी आगे बढ़ा रहे हैं।


Body:यह नजारा है मंदसौर जिले के ग्राम धमनार का। यहां के लोग कार्तिक महीने में हर साल अलसुबह रामधुन की प्रभात फेरी करते हैं ।सुबह 4:00 बजे राम कृष्ण मंदिर से शुरू होने वाली इस प्रभात फेरी में भगवान श्री कृष्ण के भजन राग प्रभात में गाए जाते हैं ।सदियों से चली आ रही इस परंपरा में यहां के बुजुर्गों ने नई पीढ़ी को राग प्रभात और विलुप्त होने वाले सनातन भजनों का सिलसिला आज भी जारी रखा है। गांव के लोग सुबह साढ़े 3 बजे उठकर नहाने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर पर पहुंच जाते हैं।इसके बाद ढोल मंजीरो की थाप से राग प्रभात के गीत शुरू हो जाते हैं। इन गीतों की गूंज के साथ ही गांव में चहल-पहल भी शुरू हो जाती है। बुजुर्गों के साथ ही युवा भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने से खुश हैं।
1. रामकिशन धाकड़ ,स्थानीय नागरिक
2. ईश्वर लाल पटेल ,स्थानीय युवक
कार्तिक महीने के दौरान प्रभात काल में गाए जाने वाले इन गीतों में भगवान के 12 रूपों के वर्णन के अलावा संगीत की आध्यात्मिक विद्या का भी समावेश है ।आधुनिक यंत्रों के संगीत से परे इस परंपरा में बुजुर्ग और युवा अभी भी पुरातन संगीत के वाद्य यंत्रों का ही उपयोग करते हैं ।भगवान श्री कृष्ण के भजनों में जीवन के चारों काल खंडों में व्यक्ति के कर्म योगी बनने के साथ ही उसे ईमानदारी से देशहित में योगदान देने का भी वर्णन है।
3. पंडित पुष्कर राज शर्मा, पुजारी
4. हरिनारायण पपोंडिया, स्थानीय नागरिक


Conclusion:कार्तिक महीने की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक महीने भर चलने वाली रामधुन की परंपरा अब मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनिंदा गांव में ही बची है।हालांकि आधुनिक दौर में ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से जनजीवन बदलाव बदल रहा है, लेकिन इन गांव में भोर काल में लोगों को अपने जनजीवन के अलावा स्वास्थ्य का प्राचीन रास्ता दिखाने वाली यह परंपरा अभी भी जारी है। खास बात यह है कि यहां के युवा भी इसे खुशी-खुशी आगे बढ़ा रहे हैं ।

विनोद गौड़, रिपोर्टर ,मंदसौर
Last Updated : Nov 11, 2019, 2:58 PM IST
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