मंदसौर। ये जद्दोजहद दो जून की रोटी के लिए है. जान हथेली पर लेकर लोग नदी पार करने के लिए मजबूर हैं. मंदसौर तहसील के दमदम गांव के लोग देशी जुगाड़ लगाकर नदी पार कर रहे हैं. यही देशी जुगाड़ उन्हें सोमली नदी के पार ले जाता है. इसके बाद ही वे अपने खेत पहुंच पाते हैं. ये समस्या आज से नहीं बल्कि आजादी के बाद से बनी हुई है. कई बार शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कुंभकर्णीय नींद में सो रहे हैं.
कहते हैं कि जिस गांव या बस्ती के किनारे जलाशय होता है, वहां के लोग हमेशा आबाद रहते हैं, लेकिन अफसोस कि दमदम गांव के बाशिंदे पिछले 60 सालों से इसी तरह जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं. ये हाल तब है जब सरकारें देश के हर गांव की सूरत बदलने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत को दमदम गांव की ये तस्वीर बयां करने के लिए काफी है.
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635 फीट चौड़ी सेमली नदी में 6 महीने से ज्यादा तक इसी तरह पानी भरा रहता है. ऐसे में देशी जुगाड़ से बनाया गया चप्पू लोगों को इस ओर से नदी के उस तरफ ले जाने का काम करता है. इसकी कोई गारंटी नहीं कि चप्पू सकुशल नदी पार करा देगा. तस्वीरों को देखकर तो यही लगता है कि ग्रामीणों के साथ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है. सोमली नदी पर पुल बनाने की मांग गांव के सरपंच विष्णु बाई राठौड़ ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर आला अधिकारियों से की है, बावजूद इसके हालात जस के तस हैं.
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जब ईटीवी भारत ने ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर अधिकारियों से बात की, तो जिम्मेदारों ने ग्रामीणों की समस्या हल कराने का आश्वासन दे दिया. कलेक्टर ने ग्रामीणों की परेशानी को दूर करने की बात तो कही है, लेकिन ये कब तक दूर होगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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